आदिभाषा संस्कृत को हिन्दी भाषा की जननी कहा जाता है। संस्कृत-पालि-
प्राकृत-अपभ्रंश-हिन्दी के अनुक्रम में हिन्दी का विकास हुआ। भौगोलिक व ऐतिहासिक
दृष्टि से हिन्दी प्रदेश के भूखण्ड में पांच प्राकृत भाषाएं थीं। अपभ्रंश, शौरसैनी, अर्धमागधी,
मागधी और खस, इन्हीं पांच प्राकृतों से हिन्दी की पांच उपभाषाएं- राजस्थानी हिन्दी,
पश्चिमी हिन्दी, पूर्वी हिन्दी, बिहारी हिन्दी और पहाड़ी हिन्दी का विकास हुआ।
पूर्वी हिन्दी
के अंतर्गत तीन बोलियां या उपभाषाएं आती हैं-अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी। बघेली
भाषा हिन्दी भाषा के पूर्वी हिन्दी प्रभाग की एक प्रमुख भाषा है।
बघेली भाषा का परिचय एवं इतिहास
बघेली भाषा क्षेत्र को बघेलखंड के नाम से जाना जाता है। इस प्रदेश का उल्लेख प्राचीन समय से मिलता है। बघेल वंश के नाम से इस भू-भाग को बघेलखंड के नाम से जाना जाने लगा तथा बघेल वंश द्वारा शासित भूभाग में बोली जाने वाली भाषा को बघेली के नाम से जाना जाता है। बघेली भाषा वर्तमान में रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, कटनी, जबलपुर, चित्रकूट, बादा, मिर्जापुर आदि जिलों में बोली जाती है।
बघेली बोली की कई उपबोलियां हैं जो बघेली से साम्यता रखने के कारण इसकी उपबोलियां कही जाती हैं। तिरहारी, गहोरा, जुड़ार, बनाकरी, मरारी पोवारी, कुम्भारी, बशोरी, ओझी, गोंडवानी, केवरी तथा चरखारी आदि हैं, जिनकी बुन्देली व छत्तीसगढ़ी के साथ बघेली से ज्यादा साम्यता देखी जा सकती है।
ठेठ बघेली का स्वरूप केवल रीवा, सीधी, सतना, शहडोल आदि जिलों में मिलता है। रीवा में बोली जाने के कारण बघेली भाषा को रिमर्हर या रिमाई नाम से भी जाना जाता है।
बघेली भाषा को लिखने में पहले कैथी लिपि का प्रयोग किया जाता था लेकिन वर्तमान में देवनागरी व कैथी दोनों लिपियों का प्रयोग किया जाता है।
बघेली में अ की जगह अँ तथा ए की जगह अइ और औ की जगह अउ जैसी ध्वनियों का प्रयोग होता है।
बघेली भाषा को अवधी भाषा की उपबोली कहा गया है लेकिन सर जार्ज गियर्सन के अनुसार बघेली का व्याकरणिक वैशिष्टय भिन्न है।
(1) बघेली की अतीत काल की क्रिया में ‘ते’ अथवा ‘तैं’ लगता है जिसका अवधी में अभाव है। जैसे-गयेन ते, सुनेन ते।
(2) भविष्यकाल की क्रिया के रूप में अवधी में ‘देखबो किन्तु बघेली में देखिहौ, अइहौं, कहिहौं, लिखिहौं आदि प्रयुक्त होते हैं।
(i) काकी गाना गावति हइ - काकी गाना गाती है।
(ii) भीखा किताबि पढ़त हय - भीखा किताब पढ़ता है।
(iii) उइँ पचे कबिता लिखत हँय - वे लोग कविता लिखते हैं।
(iv) गीता पढि़ लिहिस हइ - गीता ने पढ़ लिया है।
(v) खेतबा जोतरिगा हय - खेत की जुताई हो गई।
(vi) सोनिया जेउनार बनाई! - सोनिया खाना बनाएगी।
(vii) हम कविता लिखब - मैं कविता लिखूंगा।
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