भारत की सीमाओं का विस्तृत वर्णन

भारत की सीमाएँ

भारत एक महान, सुसम्पन्न एवं सुसंस्कृत देश है। महामानव ‘भरत’ के नाम पर ही इस महादेश का नामकरण ‘भारत’ हुआ। सिन्धु नदी के तटीय निवासियों को हिन्दू एवं इस भू-भाग को हिन्दुस्तान की संज्ञा ईरानियों की देन है। बाद में रोमवासियों ने सिन्धु नदी को इण्डस तथा देश को इण्डिया कहा। 

इसका क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह विश्व का सातवां बड़ा देश है संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, रूस, चीन और आस्ट्रेलिया इससे बडे़ हैं।

भारत की सीमाएँ

भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत श्रेणी दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण-पूरब में बंगाल की खाड़ी तथा दक्षिण में हिन्द महासागर इसकी प्राकृतिक सीमाएँ बनाते हैं । हिमालय की पर्वत श्रृंखलाएँ भारत को सोवियत संघ रूस और मध्य एशिया के अनेक देशों से पृथक रखती है । कुछ दरें भी इस ओर स्थित हैं, जैसे - जोजिला, काराकोरम और जेलेप्का आदि । परन्तु, ये अत्यधिक ऊँचाई पर अवस्थित हैं, अतः हमेशा बर्फ से ढँके रहते हैं । इसी प्रकार, उत्तरी-पश्चिमी भागों में, जो अब पाकिस्तान में अवस्थित है, में अनेक दर्रे हैं, जैसे - खैबर, गोमल, बोलन, टोची और कुर्रम इत्यादि, जो प्राचीन काल में आर्य, मंगोल, तुर्क, हूर्ज आदि जातियों के आने का मार्ग बना था । कालांतर में ये जातियाँ यहीं बस गई थीं । यद्यपि पूरब की ओर हिमालय की श्रेणियाँ नीची हैं, परन्तु सघन वनों, गहरी और तीव्रगामी नदियों के कारण भारत और बर्मा के बीच स्थल मार्गों द्वारा अधिक आवागमन नहीं होता है । 

भारत का स्थल सीमा 5,200 किलोमीटर लम्बी है, जिसमें हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र सम्मिलित हैं । सन् 1962 तक इस सीमांत को प्रायः सुरक्षित माना जाता था, किन्तु चीन के आक्रमण के उपरांत अब यह सीमांत निरापद नहीं रहा है । 

भारत के सीमांत का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है:

(1) भारत-चीन सीमांत - भारत और चीन के बीच की सीमा रेखा को मैकमोहन रेखा कहते हैं । यह रेखा 1914 में शिमला सम्मेलन जिसमें भारत, चीन तथा तिब्बत के राजदूत उपस्थित थे । 

2. भारत बर्मा के बीच सीमा - इन दोनों देशों के बीच हिमालय से निकलने वाली पूर्वी पर्वत श्रेणी (जिसमें लुशाई, पटकोई और अराकनयोमा सम्मिलित हैं) स्थलीय सीमा बनाती है । इसकी पूर्वी सीमा पर स्थित राज्यों में असम, मेघालय, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैण्ड और मणिपुर है।

3. भारत-बांग्लादेश के बीच सीमा - पूरब की ओर बांग्लादेश और भारत के बीच स्थलीय राजनीतिक सीमा रेखा है । इसकी सीमा पर पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और मेघालय राज्यों के भाग हैं ।

4. भारत-पाकिस्तान सीमांत - पश्चिम में भारत एवं पाकिस्तान के बीच की सीमा कृत्रिम एवं खुली है । भारत की पश्चिमी, सीमा पर गुजरात, राजस्थान, पंजाब तथा जम्मू और कश्मीर राज्य स्थित है । विभाजन के बाद पाकिस्तान घुसपैठियों द्वारा कश्मीर पर आक्रमण किया गया और उसके उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र पर अवैधनिक रूप से अधिकार किया गया । तब से आज तक (ताशकंद समझौता के बाद भी) कश्मीर सीमा का विवाद हल नहीं हो पाया है । भारत की सम्पूर्ण पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा के लिए अनेक फौजी चैकियाँ स्थापित की गयी हैं ।

5. भारत की समुद्री सीमा - भारत की समुद्री सीमा स्थलीय सीमा रेखा की अपेक्षा कम है । भारतीय तट रेखा की लम्बाई 6,100 किलोमीटर है । भारत के दक्षिणी भाग का विस्तार हिन्द महासागर में प्रायद्वीपीय रूप में है, जिसका दक्षिणी-पूर्वी भाग बंगाल की खाड़ी तथा दक्षिणी-पश्चिमी भाग अरब सागर के नाम से प्रसिद्ध है । दक्षिण में मन्नार की खाड़ी श्रीलंका को भारत से अलग करती है ।

भारत की प्राकृतिक सीमाएँ 

भारत की प्राकृतिक सीमाएँ दो प्रकार की हैं - (अ) स्थलीय (ब) जलीय। 

उत्तर में हिमालय पर्वत श्रेणी, दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी एवं धुर दक्षिण में हिन्द महासागर इसकी प्राकृतिक सीमाएँ बनाते हैं। भारत, उत्तर, उत्तर-पूर्व एवं उत्तर-पश्चिम में हिमालय पर्वत से घिरा हुआ है। उत्तर में हिमालय की महान श्रृंखला भारत को रूस और मध्य एशिया के अनेक देशों से पृथक करता है। यहाँ जोजीला, काराकोरम, जैपल्ला, चारडिंगला, इमिसला आदि दर्रें हैं, जो अधिक ऊँचाई के कारण बर्फ से ढके रहते हैं। अतः भारत का मध्य एशिया के देशों से व्यापार स्थल की ओर निरर्थक है। केवल उत्तर-पश्चिमी भाग में, जो अब पाकिस्तान में है, जहाँ खैबर, बोलन और गोमल आदि मुख्य दर्रें हैं, जिनमें से होकर प्राचीन काल में आक्रमणकारी जातियाँ आर्य, मंगोल एवं तुर्क लोग भारत में प्रवेश कर गये और स्थायी रूप से बस गये। 

पूर्व की ओर हिमालय की श्रेणियाँ नीची हैं, किन्तु सघन वनों, गहरी तंग घाटियों एवं तेज बहने वाली नदियों के कारण भारत और म्यांमार के बीच स्थल मार्गों द्वारा अधिक आवागमन नहीं होता है। अरुणाचल प्रदेश की ओर त्सेला, तुंग तथा तोग्यम दर्रें, तिब्बत की ओर नाभ्री, डिफू, कुमजांग, म्यांमार की चोकान दर्रें महत्वपूर्ण हैं।

यदि भारत में आक्रमणकारी लोग उत्तर-पश्चिम से आये तो उपनिवेशकारी देशों के लोग समुद्र के मार्गों से आये। 17 वीं. शताब्दी में अंग्रेज, डच, फ्रांसीसी एवं पुर्तगाली व्यापारी इन्हीं सागरों से होकर भारत में आये और कोलकत्ता, मुम्बई, कोचीन, मरमागोआ, वास्कोडिगामा, दमन, दीव एवं पाण्डिचेरी में अपनी कोठियाँ स्थापित कीं।

भारत की कृत्रिम सीमाएँ 

भारत की स्थलीय सीमा पर उत्तर में नेपाल, भूटान, तिब्बत (चीन), पूर्व में बांग्लादेश एवं म्यानमार, पश्चिम में पाकिस्तान, काश्मीर की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर अफगानिस्तान की सीमाएँ भी भारत को छूती हैं। भारत की उत्तर-पश्चिम में 1,120 किलोमीटर लम्बी भारत-पाकिस्तान की सीमा जो राजस्थान राज्य की अन्तिम परिधि है, कृत्रिम सीमा है।

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