भारत में सिंचाई ईसा पूर्व से हो रही है। उदाहरण के लिए
कावेरी नदी पर ग्राण्ड एनीकट बाँध का निर्माण पहली सदी में ही हो गया था।
आधुनिक सिंचाई प्रणाली का विकास सन् 1882 में उत्तर प्रदेश में पूर्वी यमुना नहर के
निर्माण के साथ प्रारम्भ हुआ था। प्रथम पंचवर्षीय योजना के आरम्भ तक लगभग 226
लाख हेक्टर भूमि पर सिंचाई की जाती थी। स्वतंत्रता के बाद सिंचित क्षेत्र में काफी
तेजी से वृद्धि हुई है। सन् 1999-2000 में लगभग 847 लाख हेक्टर भूमि पर सिंचाई
की जाती है।
भारत में सिंचाई का महत्व एवं आवश्यकता
देश में सिंचाई की आवश्यकता इन कारणों से है-
1. भारत के अधिकांश भाग में वर्षा काफी कम होती है जो कृषि उत्पादन के लिए अपर्याप्त है।
2. देश में वर्षा कुछ महिनों में ही होती है और शीतकाल तथा ग्रीष्मकाल लगभग शुष्क रहता है। फलस्वरूप अन्य महिनों में बिना सिंचाई के कृषि संभव नहीं हो पाती है।
3. भारत में न केवल वर्षा की मात्रा अनिश्चित होती है बल्कि वर्षा का आगमन तथा समाप्त होना अनिश्चित है। साथ ही इसकी तारतम्यता, लय, तथा सघनता भी अनिश्चित होती है। कृषि के लिए इस तरह के संकटों से केवल सिंचाई ही सुरक्षा प्रदान करती है। फलस्वरूप वर्षा ऋतु में भी सिंचाई आवश्यक हो जाती है।
4. उन्नत किस्म के बीजों के लिए सतत् जल की आवश्यकता होती है। इसीलिए उन्नत बीजों पर आधारित हरित क्रांति वहीं सफल हुईं जहाँ पर सिंचाई की सुविधा पर्याप्त है।
5. असिंचित क्षेत्रों की तुलना में सिंचित क्षेत्रों में उत्पादकता अधिक है। इसीलिए कृषि उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ाने के लिए सिंचाई का विकास आवश्यक है।
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