मालवी भाषा के कवि

malvi bhasha ke kavi मालवी भाषा के कवि संत पीपा, आनंदराव दुबे, हरीश निगम, बालकवि बैरागी और नरहरि पटेल है।

मालवी भाषा के कवि

मालवी भाषा के कवि संत पीपा, आनंदराव दुबे, हरीश निगम, बालकवि बैरागी और नरहरि पटेल है।

1. संत पीपा

संत पीपा प्रतापराव खीची राजपूत थे। संत पीपा जी के जन्मकाल के संबंध में विद्वानों में मतभेद रहा है। एलेक्जंडेर कनिंघम के अनुसार सन 1360 और 1385 ई. के मध्य तथा परशुराम चतुर्वेदी के अनुसार, सन 1408 और 1418 के बीच माना जाता है। पीपा जी संत कबीर के समकालीन माने जाते हैं इस दृष्टि से उनका जन्मकाल 1360 एवं 1385 के मध्य उपयुक्त प्रतीत होता है। मालवा का गागरोन उनके राज्य की राजधानी था। संत पीपा का शासनकाल 14वीं सदी के अंतिम चरण से 15वीं शती के आरम्भ तक माना जाता है। पीपा की 12 या 20 रानियों में सबसे छोटी रानी पद्मावती भी राजसी परिधान त्यागकर पति के साथ सन्त बन गई थी। इसलिए वह सीता सहचरी कहलाई। पीपा रामानन्द के प्रत्यक्ष शिष्य थे। कबीर आदि उनके 12 शिष्य थे, उनमें से पीपा भी एक शिष्य रहे थे। पीपा पंथी समाज उनका महाप्रयाण वि.सं. 1441 (1384 ई.) की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मानता है।

2. आनंदराव दुबे

आधुनिक मालवी कविता के ख्याति प्राप्त कवि आनन्दराव का जन्म 12 नवम्बर, 1918 को ग्राम धुलेट, जिला इन्दारै के एक सम्भ्रान्त परिवार में हुआ। इन्होंने बी.ए. तक शिक्षा प्राप्त की। इनका बचपन तो गांव में ही बीता, लेकिन शिक्षा-दीक्षा इन्दौर में हुई और तत्कालीन मध्य भारत राज्य के पंचायत विभाग में ये पंचायत निरीक्षक पद पर नियुक्त हुए। आनंदराव दुबे अच्छे गायक थे। इनका कण्ठ भी मधुर था। स्वतन्त्रता के पर्वू आरम्भ हुआ इनका लेखन निरन्तर चलता रहा। इनका निधन 22 सितम्बर, 1996 को हुआ।

3. बालकवि बैरागी

बालकवि बैरागी का वास्तविक नाम नन्दरामदास बैरागी था। बालकवि बैरागी का जन्म 10 फरवरी, 1931 ई. को रामपुरा जिला नीमच में हुआ था। इनके माता-पिता मनासा में रहते थे। इनका परिवार अत्यन्त विपन्न था और आजीविका का साधन था-भिक्षा। इनका बचपन कठोर संघर्ष में बीता। इन्हें लोकप्रिय रूप से ‘बालकवि’ बैरागी कहा जाता था, क्योंकि इन्हानें े बचपन में कुछ श्रेष्ठ कविताएं लिखी थीं। बड़ी मुश्किल से इनकी पढ़ाई-लिखाई चलती रही और बी.ए. किया। उज्जैन में रहकर एम.ए. किया। इन्होंने 9 वर्ष की उम्र में ही कविता लिखना आरम्भ कर दिया था।

बालकवि बैरागी बहुचर्चित कवि थे। इनकी काव्य-यात्रा के साथ ही 15 वर्ष की उम्र से ही ये राजनीति में कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय हो गए थे। सन् 1964 आरै 1980 में मनासा विधानसभा क्षत्रे से दो बार विधायक चुने गए और मध्यप्रदेश शासन में संसदीय सचिव तथा राज्यमंत्री के पदों पर भी रहे। सन् 1984 में मंदसौर -जावरा क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और सन् 1998 में मध्य प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य चुने गए। 13 मई, 2018 को इनका देहावसान हो गया था।

4. नरहरि पटेल

नरहरि पटेल का जन्म 2 जनवरी, 1934 ई. को सैलाना (रतलाम) के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। बचपन से इनके मन में लोक-कला, लोक-गायन और लोक-साहित्य के प्रति लगाव रहा है। नाट्य क्षेत्र में भी इनकी गहरी रूचि रही है। इन्दारै नगर की विभिन्न रंग-गतिविधियों में ये सदैव सक्रिय रहे हैं। इन्दौर में ये नाट्य संस्था ‘इप्टा’ की स्थापना से जुड़े रहे। ‘इप्टा’ ही बाद में यवनिका बन गई। बाबा डिके के नाटकों से भी ये संबद्ध हुए। कला गुरु विष्णु चिंचालकर से भी इनका गहरा सम्पर्क बना रहा।

आकाशवाणी के नाट्य रूपकों में इन्हांने े महती भूमिका का निर्वहन किया है। गत् 50 वर्षों से इनकी काव्य-साधना निरन्तर गतिमान है।

नरहरि पटेल मालवी कविता क्षेत्र में ध्वनि गीतकार एवं गजलकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। ‘मालव की रात’ इनका मालवी गीत संग्रह है। उजाला दो, गीत गंगा और मन-मुरली इनके हिंदी कविता संकलन हैं। पटेलजी ने आनंदराव दुबे के काव्य संकलन ‘रामाजी रइग्या ने रेल जाती री’ एवं नरेन्द्रसिंह तोमर के तीन संकलनों का सम्पादन भी किया है।

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