सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरूण, वरूण, यम व कारला आदि हैं जबकि आकार के आधार पर वृहस्पति, शनि, अरूण, वरूण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल, बुध और यम हैं। मंगल एवं बृहस्पति के मध्य बहुत अधिक दूरी है। इसका कारण यहाँ पाए जाने वाले आवान्तर ग्रह या क्षुद्र ग्रहों का समूह है।
सूर्य से बढती दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम
1. सूर्य
सूर्य आग का धधकता हुआ एक चमकीला गोला है। सूर्य का आकार (आयतन) पृथ्वी से 13 लाख
गुना अधिक है एवं इसका व्यास पृथ्वी के व्यास से 109 गुना है। सूर्य का व्यास 13,93,000 किलोमीटर है। सूर्य की पृथ्वी से औसत दूरी 14.96 करोड़ किलोमीटर है।
प्रकाश द्वारा एक सेकण्ड में लगभग 3 लाख किलोमीटर दूरी तय की जाती है।
इसे मानक मानकर पृथ्वी सूर्य से 8 मिनिट 22 सेकण्ड दूर है।
2. बुध
यह सूर्य के सबसे निकट का ग्रह और नौ ग्रहों में से सबसे छोटा
ग्रह है, किन्तु यह पृथ्वी के चन्द्रमा से थोड़ा बड़ा है। इसका व्यास 4880
किलोमीटर है। यह सूर्य से मात्र 576 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। बुध
ग्रह को अपनी कीली पर एवं सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में 88 दिन का
समय लगता है अर्थात् इस ग्रह का एक दिवस एवं एक रात दोनों ही पृथ्वी
के 88 दिन के बराबर होते हैं। बुध का कोई उपग्रह नहीं है। इस ग्रह का
अधिकतम तापमान 350 सेण्टीग्रेड रहता है, अतः यहाँ पर किसी भी प्रकार
के जीवन-स्वरूप की कल्पना नहीं की जा सकती।
3. शुक्र
यह ग्रह बुध, मंगल एवं कुबेर से बड़ा एवं अन्य ग्रहों से छोटा है।
इसका व्यास 12104 किलोमीटर है। इसकी सूर्य से दूरी 10 करोड़ 82
लाख किलोमीटर है, यहाँ का एक दिन पृथ्वी का लगभग 3/4 होता है एवं
इसे सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में पृथ्वी के 225 दिन लगते हैं। यह ग्रह
तेज चमकने वाला है। लगभग पृथ्वी के आकार और भार वाला शुक्र ग्रह
गर्म और तपता हुआ ग्रह है। इसका सूर्य के सम्मुख अधिकतम तापमान
100 सेण्टीग्रेड है, अतः यहाँ भी जीवन के विकास की संभावना नहीं पाई
जाती। प्रातः पूर्व एवं सायं पश्चिम में
दिखाई पड़ने के कारण इसे भोर का तारा एवं संध्या तारा कहा जाता
है। यह आकार एवं द्रव्यमान में पृथ्वी से थोड़ा छोटा है।
4. पृथ्वी
यह बुध, शुक्र, मंगल एवं कुबेर से बड़ा
और शेष ग्रहों से छोटा है। इसका व्यास 12756 कि.मी. है। इसकी सूर्य से
दूरी 14 करोड़ 96 लाख कि.मी. है। पृथ्वी अपनी स्थिति की दृष्टि से सूर्य
से तीसरे स्थान पर है। इसे अपनी कीली पर एक चक्कर पूरा करने में
लगभग चौबीस घंटे लगते हैं एवं सूर्य की परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन
6 घंटे का समय (एक वर्ष) लगता है। यह ग्रह अपनी कीली पर
झुका हुआ है। इससे पृथ्वी पर सौर ताप प्राप्ति, वर्षा एवं अन्य अनेक
क्रियाओं तथा ऋतुओं पर विशेष प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी पर औसत तापमान,
नमी एवं विशेष वायुमण्डल की दषाएँ आदि सभी मिलकर यहाँ के जीवन
के विकास में विशेष सहायक रहे हैं। ऐसा या इससे मिलता वायुमण्डल
केवल ग्रह पर ही है जहाँ संभवतः कभी भिन्न प्रकार का जीवन-स्वरूप रहा
होगा। यहाँ का अधिकतम तापमान 58.4 सेण्टीग्रेड है। इसका एक उपग्रह
चन्द्रमा है। यह उपग्रह पृथ्वी से मात्र चार लाख किलोमीटर दूर है। मध्य
तापमान, आक्सीजन और प्रचूर मात्रा में जल की उपस्थिति के कारण पृथ्वी
सौर मण्डल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ पर जीवन है।
5. मंगल
यह ग्रह बुध एवं कुबेर से बड़ा है एवं सूर्य से चौथे स्थान पर
स्थित है। इसका व्यास 6787 किलोमीटर है। सूर्य से इसकी दूरी 22 करोड़
79 लाख किलोमीटर है इसे सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में पृथ्वी के
687 दिन का समय लगता है। इसके फोबोस तथा डिमोस नामक दो
उपग्रह हैं। यहाँ का तापमान 30 सेण्टीग्रेड है। अतः यहाँ पर जीवन होने
की संभावना की जाती रही है। सन् 1909 में यह ग्रह पृथ्वी के समीप था,
तब अमेरिकी विद्वान लोवेल ने इसे एरिजोना से दूरबीन की करते समय देखा
तथा महत्वपूर्ण तथ्य सामने रखे जिनके सम्बन्ध में सभी विद्वान एकमत नहीं
थे। नासा (अंतरिक्ष की संस्था अमेरिका) द्वारा प्रस्तुत सन् 1992 की
खोज एवं रिपोर्ट के अनुसार आज से लगभग 3000 करोड़ वर्ष पहले
विशाल सागर या जल भण्डार थे। तब संभवतः यहाँ विशेष प्रकार का जैव
जगत विकसित रहा हो, मंगल ग्रह की बंजर भूमि का रंग गुलाबी है। अतः
इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है। यहाँ पर बड़े-बड़े शिलाखंड हैं। इसकी
सतह पर गहरे गड्ढे ज्वालामुखी और घाटियाँ हैं।
6. बृहस्पति
इसकी सूर्य से दूरी 77 करोड़
83 लाख कि.मी. है। इसका व्यास 142800 है। इसे सूर्य की एक परिक्रमा
पूरी करने में पृथ्वी के 11 वर्ष 9 माह का समय लग जाता है। इसका
तापमान बहुत नीचा 132 सेण्टीग्रेड रहता है। अतः यहाँ किसी भी प्रकार
का जीवन संभव नहीं है। इसके 16 उपग्रह हैं। इनमें से एक उपग्रह तो
बुध, मंगल व कुबेर से भी बड़ा है। यह ग्रह गैनिमीड है। अन्य उपग्रहों में
आयो, यूरोपा, कैलिस्टो एवं आलमथिया आदि हैं। इसके चौदहवें उपग्रह की
खोज सन् 1917 में हुई थी।
7. शनि
यह बृहस्पति के पश्चात सबसे बड़ा ग्रह है। इसका व्यास 120000
कि.मी. है। यह सूर्य से 142.7 करोड़ कि.मी. दूर है। इसे सूर्य की परिक्रमा
पूरी करने में पृथ्वी के 29.5 वर्ष लग जाते हैं। यहाँ पर भीषण शीत पड़ती
है और अधिकतम तापमान भी 151 सेण्टीग्रेड रहता हैं। इसके 21 उपग्रह
हैं। इसका सबसे बड़ा उपग्रह टिटाॅन है। यह आकार में बुध ग्रह के बराबर
है। अन्य उपग्रहों में मीमास, एनसीलाडु, टेथिस, डीआन, रीया, हाइपेरियन,
इयापेट्स तथा फोबे हैं। फोबे उपग्रह शनि की कक्षा में, विपरीत दिशा में
परिक्रमा करता है। शनि ग्रह के चारों ओर एक सुन्दर अँगूठी (वलय) बनी
हुई है। इस वलय की उत्पत्ति भीतरी उपग्रहों के विखंडित होकर धूल कणों
में बदलने एवं उन पर जमा हुई गैसों के साथ वलय के आकार में (अँगूठी)
संगठित होने से हुई है। यह वलय या अँगूठी अथवा कुण्डली शनि की
सतह से मात्र 13 हजार किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है।
वोयजर-1
ने जानकारी दी है कि शनि यह ग्रह के वलय हजारों सर्पीली तरंगों की
पट्टी है। इस पट्टी की मोटाई 100 फीट है। इसके चन्द्रमा टिटाॅन पर
नाइट्रोजनीय वातावरण और हाइड्रोकार्बन मिले हैं। इन दोनों की उपस्थिति
से जीवन के लक्षण का पता चलता है, लेकिन यहाँ पर जीवन का अस्तित्व
नहीं मिला है। शनि ग्रह पर हाइड्रोजन एवं हीलियम गैस पाई जाती हैं
तथा कुछ मात्रा में मीथेन एवं अमोनिया भी मिलती है। शनि ग्रह की प्रमुख
विशेषता उसके चारांे ओर गैस हिमकण एवं छोटे-छोटे ठोस चट्टानों के
मलवे का पाया जाना है। इस ग्रह पर सूर्य का केवल 1
100 वाँ भाग ही
पड़ता है।
8. अरूण
इसका व्यास 51800 किमी.
है। यह ग्रह वृहस्पति व शनि से छोटा है। यह सूर्य से 286.96 करोड़
कि.मी. की दूरी पर स्थित है। आकार में यह वरूण से कुछ बड़ा है। इसमें
15 उपग्रह है। इसमें एरियल, अम्ब्रिरयल, टिटेनया, ओबेराॅन तथा मिराण्डा
आदि प्रमुख हैं। इसे सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में पृथ्वी के 84 वर्ष
का समय लगता है। यहाँ के तापमान 200 सेण्टीग्रेड से भी नीचे रहते हैं।
9. वरूण
इस ग्रह की खोज सन् 1846 में जर्मन खगोलज्ञ जोहान गाले ने
की। यह ग्रह बृहस्पति, शनि, एवं अरूण से छोटा तथा अन्य ग्रहों से बड़ा
है। इसका व्यास 49500 कि.मी. है। इसकी सूर्य से दूरी 449.66 करोड़ किमी.
है। इसे सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में पृथ्वी के 164 वर्ष का समय
लगता है। इसके 8 उपग्रह हैं। यहाँ का तापमान 185 सेण्टीग्रेड रहता
है।
10. यूरेनियम या कुबेर
आन्तरिक्ष में सबसे अधिक गहराई पर
स्थित होने से इसका नाम प्लूटो पड़ा। यह ग्रह बुध के पश्चात सबसे छोटा
है एवं सौरमण्डल की बाहरी सीमा पर सूर्य से 590 कि.मी. की दूरी पर
स्थित है। इसे सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में पृथ्वी के 248 वर्ष लगते
हैं। यह सबसे ठण्डा ग्रह है एवं यहाँ के तापमान 220 सेण्टीग्रेड से भी
नीचे रहते हैं। यह ग्रह प्लूटो यद्यपि सदैव रहस्यमय रहा है, लेकिन ऐसा
प्रतीत होता है कि यह पानी और मीथेन का ठण्डे बर्फ का गोला है। यह
सौरमण्डल में बिना किसी क्रम के परिक्रमा पथ पर घूमता है।
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ग्रह
Very nice bro
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