अंकेक्षण कितने प्रकार के होते हैं

अंकेक्षण के प्रकार

अंकेक्षण के विभिन्न प्रकारों को चार विभागों में वर्गीकृत किया गया हैं - 
  1. वैधानिक अंकेक्षण,
  2. ऐच्छिक अंकेक्षण, 
  3. सरकारी अंकेक्षण और 
  4. व्यवहारिक अंकेक्षण हैं।
1. वैधानिक अंकेक्षण याने वह अंकेक्षण है, जो विधान (कानून) व्दारा करना अनिवार्य होता है। इसके अंतर्गत कंपनी का अंकेक्षण, प्रन्यासों का अंकेक्षण तथा संसद व्दारा पारित अधिनियमों से स्थापित संस्थाओं के अंकेक्षण का समावेश होता है।

2. ऐच्छिक अंकेक्षण, जो संस्था अथवा स्वयं विधानों के प्रावधानों के अनिवार्यता के अलावा स्वेच्छा से करवाया जाता है, उस अंकेक्षण को ऐच्छिक अंकेक्षण कहते हंै। ऐच्छिक अंकेक्षण एकल व्यापारी, साझेदारी संस्था एवं व्यक्ति करवाते हैं।

3. सरकारी अंकेक्षण याने सरकारी कंपनियों का अंकेक्षण है जो कंप्ट्रोलर एंड आॅडिटर जनरल द्वारा किया जाता है, यह अंकेक्षण वैधानिक अंकेक्षण है।

4. व्यवहारिक अंकेक्षण भिन्न-भिन्न उद्देश्यों से कराए जाते है उदा. पूर्ण अंकेक्षण, चालू अंकेक्षण, सामयिक अंकेक्षण, आंशिक अंकेक्षण, मध्य अंकेक्षण, रोकड़ अंकेक्षण, आंतरिक अंकेक्षण आदि। व्यवहारिक अंकेक्षणों में चालू एवं सामायिक अंकेक्षण महत्वपूर्ण हैं। 
  1. चालू अंकेक्षण वह अंकेक्षण होता है, जो लेखांकन के कार्यों के साथ वर्षभर जारी रहता है। यह अंकेक्षण बड़ी संस्था में उपयुक्त है। इस अंकेक्षण के लाभ एवं दोष भी हैं। इन दोषों को दूर करने के लिए उपाय भी हैं जिससे इस अंकेक्षण के दोषों का समाधान किया जा सकता है। सामयिक अंकेक्षण वह अंकेक्षण होता है जो वित्तीय वर्ष के समाप्ति के पश्चात किया जाता है। यह अंकेक्षण वहाँ उपयुक्त है जहाँ व्यवसाय का क्षेत्र व्यापक नहीं होता। इस अंकेक्षण के गुण वह हैं जो चालू अंकेक्षण के दोष है तथा दोष वह हैं जो चालू अंकेक्षण के गुण है। 
  2. सामयिक अंकेक्षण के दोषों का निराकरण के लिए उपाय हैं, उनके अमल में लाने से उन दोषों का समाधान किया जा सकता है।

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