इसको सुखासन, वज्रासन, सिद्धासन अथवा पद्मासन में बैठकर करना चाहिए।
मानसिक तनाव एवं विचारों पर नियंत्रण पाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम किया जाता है।
भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि
यह प्राणायाम किसी भी समय, कुर्सी
पर बैठकर अथवा सोते समय लेटकर किया जा सकता है। इस योगासन में दोनों हाथों
से दोनों कानों को पूरी तरह से बंद कर ले। दो उंगलियों को माथे पर रखें तथा छः
उंगलियों को आंखों पर रखें। इसके पश्चात गहरी सांस लेकर गले से भँवरे जैसी
आवाज निकालें।
- सबसे पहले समतल स्थान पर दरी अथवा चटाई बिछाकर बैठें।
- दोनों हाथों को बगल में अपने कंधों के समानांतर फैलायें।
- दोनों हाथों को कुहनियों से मोड़कर हाथ को कानों के पास रखें।
- दोनों हाथों के अंगूठों से दोनों कानों को बंद कर लें।
- दोनों हाथों की तर्जनी उंगली को माथे पर और मध्यमा , अनामिका, कनिष्ठा उंगली आंखों के ऊपर रखनी चाहिए।
- कमर, पीठ, गर्दन तथा सिर को सीधा और स्थिर रखें।
- नाक से सांस अंदर लें (पूरक)।
- नाक से सांस बाहर छोड़ें (रेचक)।
- सांस बाहर छोड़ते हुए गले से भँवरे की भांति आवाज निकलनी चाहिए। यह आवाज पूर्ण सांस छोड़ने तक करनी है तथा आखिर तक एक जैसी रहनी चाहिए।
- सांस अंदर लेने का समय 10 सेकंड तथा बाहर छोड़ने का समय 20 से 30 सेकंड होना चाहिए।
- प्रारंभ में पांच मिनट करें तथा बाद में धीरे-धीरे समय बढ़ायंे।
- इस प्राणायाम को करते समय तर्जनी उंगली से दोनों कान बंद कर बाकी उंगलियां की हल्की मुद्रा बनाकर भी यह प्राणायाम किया जा सकता है।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ
- क्रोध, चिंता, भय, तनाव और अनिद्रा इत्यादि मानसिक विकारों को दूर करने में सहायक है।
- इससे मन और मस्तिष्क शांत रहता है।
- सकारात्मक सोच को बढ़ावा मिलता है।
- अर्धसीसी में लाभदायक है।
- बुद्धि तेज होती है।
- स्मरणशक्ति में वृद्धि करता है।
- उच्च रक्तचाप को ठीक करता है।
- भ्रामरी प्राणायाम करते समय ठुड्डी को गले से लगाकर (जालंदर बंध) करने से थाइराॅइड में लाभ मिलता है।
भ्रामरी प्राणायाम करने में सावधानी
- कान में दर्द या संक्रमण होने पर प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- अपनी क्षमता से ज्यादा करने का प्रयास न करें।
- प्राणायाम करने का समय और चक्र धीरे-धीरे बढ़ायं।े
भ्रामरी प्राणायाम करने के बाद आप धीरे-धीरे नियमित सामान्य श्वसन कर श्वास
को नियंत्रित कर सकते है। भ्रामरी प्राणायाम करते समय चक्कर अथवा घबराहट होना,
खांसी आना, सिरदर्द या अन्य कोई परेशानी होने पर प्राणायाम रोककर अपने डाक्टर
या योग विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।