चालू अंकेक्षण क्या है चालू अंकेक्षण के लाभ

चालू अंकेक्षण ऐसा अंकेक्षण है जिसमें अंकेक्षक तथा उसके कर्मचारी निश्चित या अनिश्चित समय पक्षकारों के संस्था में जाकर उनके लेखा पुस्तकों की जाँच करते हैं। यह अंकेक्षण वर्षभर निरंतर चलता रहता है, इस अंकेक्षण को विस्तृत अंकेक्षण तथा निरंतर अंकेक्षण से भी संबोधित किया जाता है। चालू अंकेक्षण में अंतिम खातों का अंकेक्षण नहीं किया जाता, क्योंकि अंकेक्षण का कार्य वर्षभर निरंतर चलता रहता है।

चालू अंकेक्षण क्या है

चालू अंकेक्षण की परिभाषा

1. स्पाईसर एवं पेग्लर - “चालू अंकेक्षण वह होता है जहाँ अंकेक्षक के कर्मचारी लगातार वर्षभर खातों की जाँच करने में लगे रहते हैं अथवा जहाँ अंकेक्षक वित्तीय वर्ष के दौरान निश्चित या अनिश्चित समयान्तर के बाद उपस्थित होता है और अन्तरिम अंकेक्षण करता है। ऐसे अंकेक्षण वहाँ अपनाए जाते हैं, जहाँ किया जाने वाला पर्याप्त कार्य रहता है तथा उसके पक्ष में कोई बातें होती हैं, यद्यपि उन्हें कुछ हानियाँ भी होती हैं।” 

2. जे.आर. बाटलीबाॅय - “एक चालू या विस्तृत अंकेक्षण में अंकेक्षक द्वारा सभी व्यवहारों की विस्तृत जाँच की जाती है जो व्यवसाय के पूर्ण अवधि के दौरान निश्चित समय के अंतर पर यथा साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक उपस्थित होता रहता है।“ 

3. आर.जी. विलियम्स - “चालू अंकेक्षण ऐसा अंकेक्षण है जिसमें अंकेक्षक या उसके कर्मचारी वर्षभर खातों की जाँच करने में निरंतर लगे रहते हैं अथवा जिसमें अंकेक्षक या उसके कर्मचारी वर्ष के दौरान निश्चित या अनिश्चित समयान्तरों पर उपस्थित होते रहते हैं।” 

उपरोक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है कि चालू अंकेक्षण वह है जो कि वित्तीय वर्ष में प्रारम्भ से अन्त तक किया जाता है। यह अंकेक्षण वित्तीय वर्ष में निरंतर जारी रहता है। इस अंकेक्षण में अंकेक्षक एवं उसके कर्मचारी नियोक्ता के दफ्तर में निरंतर आते-जाते रहते हैं।

चालू अंकेक्षण की विशेषताएँ

  1. चालू अंकेक्षण वर्षभर निरंतर जारी रहता है।
  2. चालू अंकेक्षण के अंतर्गत खातों की विस्तृत एवं गहन जाँच होती है। 
  3. चालू अंकेक्षण के कारण वित्तीय वर्ष के समाप्ति के पश्चात अंतिम लेखे जल्द तैयार हो जाते हैं।

चालू अंकेक्षण की उपयोगिता क्षेत्र

चालू अंकेक्षण निम्न परिस्थितियों में उपयोगी होते हैं- 
  1. जहाँ व्यवसायों का कारोबार अधिक मात्रा में होता है। 
  2. जहाँ आंतरिक निरीक्षण प्रणाली प्रभावी तथा संतोषजनक नहीं होती है। 
  3. जहाँ वित्तीय वर्ष समाप्त होने के पश्चात अंतिम लेखे शीघ्र जारी करने की आवश्यकता होती है। 
  4. जहाँ चालू वर्ष के अंतर्गत त्रैमासिक, अर्धवार्षिक खाते तैयार करना अनिवार्य होता है।

चालू अंकेक्षण के लाभ

चालू अंकेक्षण के लाभ हैं- 
  1. लेखा पुस्तकों की विस्तृत जाँच करना संभव। 
  2. वित्तीय वर्ष के समाप्ति के पश्चात अंतिम खातों को शीघ्र तैयार करना संभव। 
  3. अंतरिम खातों को तैयार करना संभव। 
  4. छल-कपट एवं त्रुटियों का शीघ्र प्रगट होना। 
  5. खातें अद्यतन रहते हैं। 
  6. कर्मचारियों को मार्गदर्शन संभव। 
  7. अंतिम अथवा अंतरिम लाभांश की घोषणा करना संभव। 
  8. संस्थाओं को वित्तीय स्थिति की अद्यतन जानकारी संभव। 
  9. अंकेक्षण के समय कोई भी व्यवहार छूटने की अत्यल्प संभावना।
1. लेखा पुस्तकों की विस्तृत जाँच संभवः चालू अंकेक्षण में लेखा पुस्तकों की जाँच निरंतर चलती रहती है जिसके कारण लेखा पुस्तकों की गहन एवं विस्तृत जाँच संभव है।

2. वित्तीय वर्ष के समाप्ति के पश्चात् अंतिम खातों को शीघ्र तैयार करना संभवः चालू अंकेक्षण के अंतर्गत अंकेक्षण कार्य वर्षभर निरंतर चलता है, जिसके कारण वर्ष के अन्त में अंतिम खातांे को तैयार करना शीघ्र संभव होता है।

3. अंतरिम खातों को तैयार करना संभवः चालू अंकेक्षण में अंकेक्षण का कार्य अंकेक्षक एवं उसके कर्मचारियों द्वारा वर्षभर निरंतर चलता रहता है। इस वजह से जहाँ वित्तीय वर्ष में समय.समय पर अपनी वित्तीय स्थिति को प्रगट करना होता है, वहाँ चालू अंकेक्षण ही लाभदायक होता है।

4. छल-कपट एवं त्रुटियों का शीघ्र प्रगट होनाः चालू अंकेक्षण में अंकेक्षण कार्य निरंतर शुरू रहता है जिसके कारण लेखा पुस्तकों की छल-कपट एवं त्रुटियाँ तुरंत पकड़ी जाती हैं।

5. खाते अद्यतन रहते हैंः चालू अंकेक्षण में अंकेक्षक मुवक्कील के व्यावसायिक संस्थानों में निश्चित एवं अनिश्चित समय पर अंकेक्षण कार्य के लिए जाते हैं जिस वजह से खाते अद्यतन रहते हैं।

6. कर्मचारियों को मार्गदर्शन संभवः मुवक्कील के कर्मचारियों को लेखांकन में कुछ भ्रम या संदेह हो, तो ऐसे समय अंकेक्षक से मार्गदर्शन लेकर अपने भ्रम या संदेह का समाधान शीघ्र कर सकते हैं, क्योंकि अंकेक्षक तथा उसके कर्मचारी निरंतर आते हैं।

7. अंतिम अथवा अंतरिम लाभांश की घोषणा करना संभवः कंपनियाँ अंतिम एवं अंतरिम लाभांश की घोषणा करती हैं, उसके लिए आवधिक वित्तीय विवरण तैयार रखने की आवश्यकता होती है, यह सिर्फ चालू अंकेक्षण में ही संभव है।

8. संस्थाओं को वित्तीय स्थिति की अद्यतन जानकारी संभवः चालू अंकेक्षण के कारण कंपनी के संचालक मंडल को चालू वर्ष की वित्तीय स्थिति की अद्यतन जानकारी प्राप्त होती है।

9. अंकेक्षण के समय कोई भी व्यवहार छूटने की अत्यल्प संभावनाः चालू अंकेक्षण में अंकेक्षण कार्य वर्षभर जारी रहता है जिससे लेखा-पुस्तकों का गहन परीक्षण संभव है, इस वजह से अंकेक्षण के समय कोई भी व्यवहार छूटने की अत्यल्प सम्भावना रहती है।

चालू अंकेक्षण की हानियाँ

  1. खर्चीली पद्धति
  2. दैनिक कार्य में बाधा
  3. नैतिक प्रभाव में कमी
  4. अंकों में परिवर्तन की संभावना
  5. अंकेक्षण कार्य निरस
  6. अंकेक्षण कार्य से कुछ व्यवहार छूटने की संभावना
  7. साँठगाँठ
1. खर्चीली पद्धतिः चालू अंकेक्षण में अंकेक्षक तथा उसके कर्मचारी वर्षभर मुवक्किल के कार्यालय में अंकेक्षण कार्य करने हेतु आते रहते हैं। इस वजह से उनके आने-जाने, भोजन, निवास एवं यात्रा व्यय मुवक्किल को वहन करना होता है, इसलिए यह अंकेक्षण पद्धति खर्चीली है।

2. दैनिक कार्य में बाधाः चालू अंकेक्षण में अंकेक्षक तथा उसके कर्मचारी वर्षभर मुवक्किल के कार्यालय में अंकेक्षण कार्य करने हेतु आते रहते हैं, इस वजह से मुवक्किल की संस्था में दैनिक कार्य प्रभावित होता है जिससे कार्य में बाधा पैदा होती है।

3. नैतिक प्रभाव में कमीः चालू अंकेक्षण में अंकेक्षक एवं कर्मचारियों का नैतिक प्रभाव कम होता है, क्योंकि वे वर्षभर संस्था में निरंतर आते-जाते रहते हैं। इसी वजह से उनके मन में अंकेक्षक का डर नहीं रहता है। अतः इससे अंकेक्षक का कर्मचारियों में प्रभाव कम होता है।

4. अंकों में परिवर्तन की संभावनाः चालू अंकेक्षण में खाते का अंकेक्षण निरंतर जारी रहता है जिस वजह से मुवक्किल के कर्मचारियों को अंकेक्षित लेखा पुस्तकों में छल-कपट से पुस्तकों के अंकों में परिवर्तन की संभावना अधिक रहती है, क्योंकि अंकेक्षक पूर्व अंकेक्षित कार्य पुनः अंकेक्षित नहीं करता है।

5. अंकेक्षण कार्य निरसः एक ही व्यावसायिक संस्था में अंकेक्षण कार्य पूरे वर्ष के दौरान निरंतर जारी रहता है, इसलिए वह कार्य अंकेक्षक, अंकेक्षक के कर्मचारी तथा मुवक्किल के कर्मचारियों को निरस लगता है।

6. अंकेक्षण कार्य से कुछ व्यवहार छूटने की संभावनाः चालू अंकेक्षण में अंकेक्षण कार्य एक ही सत्र में पूरा नहीं हो पाता है। इसलिए यह संभावना बनी रहती है।

7. साँठगाँंठः चालू अंकेक्षण में खातों का अंकेक्षण निरंतर जारी रहता है, इस वजह से अंकेक्षक एवं उसके कर्मचारी तथा मुवक्किल के कर्मचारियों के बीच साँठगाँठ होने की संम्भावना बनी रहती है।

चालू अंकेक्षण की हानियों से बचने के उपाय

चालू अंकेक्षण की हानियों से बचने के उपाय निम्न हैं-
  1. विशेष चिन्हों का प्रयोग करना
  2. आकस्मिक् जाँच करना
  3. एक ही सत्र में कार्य पूरा करना
  4. कर्मचारियों को बदलना
  5. अंकेक्षण लेखों में परिवर्तन निषिद्ध
  6. अंकेक्षण स्मरण पुस्तिका का प्रयोग
  7. प्रभावी अंकेक्षण कार्यक्रम
1. विशेष चिन्हों का प्रयोग करनाः अंकेक्षक को लेखा पुस्तकों की जाँच करते समय विशेष एवं गुप्त चिन्हों का प्रयोग करना चाहिए जिसकी नकल करना मुवक्किल के कर्मचारियों को संभव न हो और जहाँ विशेष एवं गुप्त चिह्नों का प्रयोग किया गया है, उसके मुख्य शेषांे का अंकेक्षण स्मरण पुस्तिका में प्रविष्ट कर लेना चाहिए। ऐसा करने से गत सत्र में अंकेक्षित कार्यों की प्रविष्टि अंकेक्षण स्मरण पुस्तिका में होने के कारण, दूसरे सत्र में कार्य आरंभ करते समय अंकेक्षक को अंकेक्षण स्मरण पुस्तिका में जो मुख्य शेष प्रविष्ट हैं, उसे मिलाने के बाद ही अपने कार्यों को प्रारंभ करना चाहिए। अंकेक्षक ने विशेष स्याही का उपयोग चिन्हों के लिए करना चाहिए।

2. आकस्मिक् जाँच करनाः अंकेक्षक को मुवक्किल के संस्था में बिना पूर्व सूचना के निरीक्षण करना चाहिए।

3. एक ही सत्र में कार्य पूरा करनाः किसी विशेष व्यवहार की जाँच अंकेक्षक को एक ही सत्र में पूरा करना चाहिए।

4. कर्मचारियों को बदलनाः अंकेक्षक को अपने कर्मचारियों को बदल-बदल कर मुवक्किल के संस्था में अंकेक्षण के लिए भेजना चाहिए।

5. अंकेक्षण लेखों में परिवर्तन निषिद्ध जो अंकेक्षित कार्य हो चुका है, उन लेखों में परिवर्तन न करने की सूचना मुवक्किल के कर्मचारियों को देनी चाहिए।

6. अंकेक्षण स्मरण पुस्तिका का प्रयोग अंकेक्षक को अंकेक्षण स्मरण पुस्तिका का प्रयोग हर सत्र के अंत में मुख्य शेषांे को प्रविष्ट करने के लिए करना चाहिए जिससे अंकेक्षक को अंकेक्षण कार्य दूसरे सत्र में कहाँ से शुरू करना है, इसकी जानकारी प्राप्त होती है। अंकेक्षक को अंकेक्षण स्मरण पुस्तिका में जो स्पष्टीकरण मुवक्किल के कर्मचारियों से माँगे हैं, उसकी प्रविष्टि भी स्मरण पुस्तिका में होती है।

7. प्रभावी अंकेक्षण कार्यक्रमः अंकेक्षक को अंकेक्षण के लिए प्रभावी अंकेक्षण कार्यक्रम तैयार करना चाहिए जिससे कोई भी अंकेक्षण कार्य नहीं छूटे तथा अंकेक्षण के विभिन्न कार्यों में समन्वय बना रहे।

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