चंदेल वंश के पतन के कारण

चंदेल वंश के पतन के कारण

चंदेल वंश के पतन के निम्न कारण रहे- 
  1. परमर्दी, चंदेल वंश का अंतिम प्रतापी सम्राट था। उसके समय में महमानों तथा अन्य शासकों द्वारा आक्रमण किए गए। निरंतर आक्रमण से चंदेल साम्राज्य निर्बल हो रहा था। अब परमर्दी इतना योग्य शासक नही था कि वह तुर्की आक्रमण का सामना कर सके। 
  2. इस काल की सबसे प्रमुख बात यह थी कि समस्त शासक अपनी व्यक्तिगत शत्रुता को निभाते थे, यदि सभी ने व्यक्तिगत स्वार्थों को छोड़ कर एकता का परिचय दिया होता तो विदेशी आक्रमण प्रभावशाली नहीं होता। चंदेल वंश के पतन का यह भी मुख्य कारण था। 
  3. 1203 ई. में गहड़वालांे की शक्ति नष्ट हो जाने पर कुतुबुद्दीन ने कालिंजर पर आक्रमण किया था। प्रारंभ में तो परमर्दी ने बड़ी कुशलता से तुर्की आक्रमण का सामना किया किंतु परिस्थितिवश परमर्दी को आत्मसमर्पण करना पड़ा, और इस प्रकार चंदेलांे का पतन हो गया। तत्पश्चात कालिंजर तथा महोबा पर कुतुबुद्दीन ऐबक का अधिकार हो गया। इस प्रकार राजाओं के आपसी द्वेष तथा बाद के निर्बल शासकों के कारण चंदेलों का पतन हो गया।

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