पृथ्वी की आयु निर्धारण की विधियां

पृथ्वी की आयु का सीधा सम्बन्ध सौर मण्डल की उत्पत्ति से रहा है, फिर भी पृथ्वी की आयु के सम्बन्ध में प्राचीन काल से ही मानव द्वारा इस प्रश्न को हल करने की चेष्टा की जाती रही है।

फारस के लोगों का विश्वास है कि पृथ्वी 12,000 वर्ष पुरानी है। आयरलैण्ड के पादरी जेम्स असर के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति ईसा से 4004 वर्ष पूर्व 22 अक्टूबर सायं 7 बजे हुई थी ‘‘ईसाइयों की धर्म पुस्तक बाइबल” में भी पृथ्वी की आयु ईसा से 4000 वर्ष पूर्व मानी गई।

विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में भी इस विषय में विचार प्रकट किए गए। जैन दर्शन के अनुसार पृथ्वी आदिकाल से चली आ रही है एवं अनंत काल तक कालक्रम की चक्रीय या आरा व्यवस्था के अनुसार निरन्तर चलती रहेगी। वैदिक तथा उत्तरवैदिक साहित्य के अनुसार सम्पूर्ण ब्रह्याण्ड की आयु, सृष्टि, रचना, संहार की प्रक्रिया आदि एक व्यापक चक्रीय व्यवस्था का अनुसरण करते हैं।

पृथ्वी एवं ब्रह्याण्ड भी काल गणना करते समय सम्पूर्ण सृष्टि रचना का सफल जीवन चक्र ब्रह्य से 100 ब्रह्म वर्ष के बराबर माना। संभावना प्रकाश की गति से सम्बन्धित है, क्योंकि ब्रह्य का मात्र एक दिन व रात (पूर्व दिवस या अहोरात) चौदह मन्वन्तर या 432 करोड़ वर्ष है। इसमें पृथ्वी का विकास, विस्तार, विनाश एवं प्रलय सभी सम्मिलित हैं। इस ब्रह्म दिवस के सन् 2000 तक 197, 29, 49 963 वर्ष बीत चुके हैं एवं शेष बाकी हैं। इसाई धर्म के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति ई.पू. 4004 मेरी 22 अक्टूबर को हुई थी। फारसवासियांे के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति 12,000 वर्ष पूर्व हुई थी।

द्वितीय विष्व युद्ध के बाद  तक आधुनिक विज्ञानवेत्ता  चट्टान के प्रमाण, चन्द्रमा की उत्पत्ति एवं अन्य प्रमाणों के आधार पर भी पृथ्वी की उत्पत्ति अथवा इसकी पपड़ी के ठोस होने की आयु या प्रारंभ की तिथि को भी लगभग 200 करोड़ वर्ष पूर्व की मानते हैं। यह बात भारतीय दर्शन की गणना से मेल खाती है। वर्तमान में तो पृथ्वी की आयु का ज्ञान आण्विक पदार्थों के विखण्डन से प्राप्त विशेष तत्वों एवं गैसों आदि की प्राप्ति की दर, रूबीडियम का विखण्डन, प्लेट विवर्तनिकी सिध्दान्त एवं कम्प्यूटरों द्वारा गणना जैसी अतिशुद्ध विधियों का उपयोग करके पृथ्वी आयु को उल्काओं एवं अन्य ग्रहों के साथ ही 400 से 500 करोड़ वर्ष बताते हैं।

पृथ्वी की आयु के निर्धारण की विधियाँ

पृथ्वी की आयु को निर्धारित करने के लिए समय-समय पर जो विधियां अपनाई गई हैं, वे है

1. जाॅर्ज बफन के अनुसार - फ्रांसीसी वैज्ञानिक जाॅर्ज बफन ने 18 वीं शताब्दी में एक अनोखा प्रयोग करके पृथ्वी की आयु का अनुमान लगाया। उसने धातु की दो बड़ी गेंदें ली और उन्हें लाल गरम कर लिया। इसके बाद उसने प्रयोग करके देखा कि ये गेंदें किस गति से ठण्डी हो रही है। जिस गति से ये गेंदें ठण्डी हुई, उसकी तुलना उसने पृथ्वी से की और पता लगाया कि पृथ्वी की आयु 75000 वर्ष से अधिक है।

2. लाॅर्ड केन्विन के अनुसार - पृथ्वी 45000 सेण्टीगे्रड तापमान से ठण्डी हुई, इस आधार पर पृथ्वी को ठोस अवस्था प्राप्त किये 10 करोड़ वर्ष से अधिक नहीं हुए हैं।

3. चन्द्रमा के आधार पर - चन्द्रमा के गुरूत्वाकर्षण के द्वारा पृथ्वी पर ज्वार उत्पन्न होता है, ज्वार से उत्पन्न लहरें पृथ्वी के परिभ्रमण में बाधा उपस्थित करती हैं, जिससे पृथ्वी के परिभ्रमण का समय बढ़ता जा रहा है। पृथ्वी की परिभ्रमण गति में वृद्धि के साथ-साथ चन्द्रमा की परिभ्रमण गति में भी वृद्धि हो रही है, परिभ्रमण गति के कारण चन्द्रमा पृथ्वी से दूर होता जा रहा है। 

4. जाॅर्ज डार्बिन के अनुसार, ‘‘प्रतिवर्ष चन्द्रमा पृथ्वी से 13 कि.मी दूर होता जा रहा है। वर्तमान में चन्द्रमा पृथ्वी से 3 लाख 84 हजार कि.मी. दूर है। 13 कि.मी. प्रतिवर्ष की दर से चन्द्रमा को इतनी दूर हटने में 400 करोड़ वर्ष का समय लगेगा।’’ इस आधार पर पृथ्वी की आयु 4 अरब वर्ष ठहरती है।

प्रारंभ में जब पृथ्वी द्रव्य अवस्था से ठोस अवस्था को प्राप्त हुई तो उस पर कठोर चट्टानों का आवरण निर्मित हुआ होगा। तदानुसार बाहय शक्तियांे के द्वारा अपरदन एवं अपक्षय प्रारंभ हुआ। अपरदन के कारण ठोस भूपटल का कटाव होने लगा और कटा हुआ पदार्थ अवसाद के रूप में समुद्र में जमा होने लगा। यदि नदियांे व हिमलियांे आदि साधनों के द्वारा समुद्र में अवसाद जमा करने की दर से और निक्षेपित मलबे की मोटाई ज्ञात की जा सके, तो पृथ्वी की आयु का सरलता से अनुमान लगाया जा सकेगा। अवसादों के निक्षेप के आधार पर पृथ्वी की आयु 40 करोड़ वर्ष नापी गई, किन्तु यह सत्य प्रतीत नहीं होता।

5. समुद्रों की लवणता के आधार पर -  जाॅर्ज गेगोव के अनुसार समुद्र में जल की कुल राशि लगभग 1 अरब 50 करोड़ घन किलोमीटर है और इस जल राशि में 3% नमक मिला हुआ है। जल में घुले हुए इस सम्पूर्ण नमक को यदि हम निकाल सकें, तो उससे 2 करोड़ घन कि. मी. ऊँचा पर्वत खड़ा हो जाएगा और उसका वजन 40,000,000,000 टन से अधिक होगा। कुछ भू-गर्भवेत्ताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष नदियाँ समुद्र में 40 करोड़ टन नमक बहा के ले जाती है। इस गणना के आधार पर समुद्रों की आयु लगभग 100 करोड़ वर्ष ठहरती है।

6. पोल्टन ने प्राणिशास्त्र के आधार पर हिसाब लगाकर बताया है कि वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत के वर्तमान समय तक के विकास में कम से कम 50 करोड़ वर्ष लगे होंगे, जिससे सिद्ध होता है कि पृथ्वी 50 करोड़ वर्ष से भी अधिक पुरानी है। अब यह पता लग चुका है कि जिस तत्व से सौरमण्डल के ग्रह बने है, वे अणु कास्मिक धूल से 508 करोड़ वर्ष पूर्ण बने थे। इससे यह निश्चित होता है इनकी आयु 350 करोड़ वर्ष से अधिक लेकिन 500 करोड़ वर्ष से कम है।

7. पोल्टन के प्राणिशास्त्र के आधार पर -  पोल्टन ने प्राणिषास्त्र के आधार पर हिसाब लगाकर बताया है कि वनस्पतिजगत तथा प्राणीजगत के वर्तमान समय तक के विकास में कम से कम 50 करोड़ वर्ष लगे होंगे, जिससे सिद्ध होता है कि पृथ्वी 50 करोड़ वर्ष से भी अधिक पुरानी है। फ्रांस के प्रसिद्ध ज्योतिषी लाप्लास ने पृथ्वी की धुरी की दीर्घवृत्तता ;म्ससपचजपबपजलद्ध के आधार पर पृथ्वी की आयु 2 करोड़ 10 लाख वर्ष आँकी है।

अब यह पता लग चुका है कि जिस तत्व से सौरमंडल के ग्रह बने हैं, वे अणु काॅस्मिक धूल से 508 करोड़ वर्ष पूर्व बने थे। इससे यह निश्चित हो चुका है कि पृथ्वी की आयु 350 करोड़ वर्ष से अधिक लेकिन 500 करोड़ वर्ष से कम है।

रेडियोधर्मी तत्व जब खण्डित होते हैं तो उसके साथ कुछ गैसें भी उत्पन्न होती हैं। विखण्डन के साथ गैसों के निकलने से चट्टानों की आयु गणना में निश्चित ही अन्तर पड़ेगा। अतः कुछ वैज्ञानिकों ने रेडियोधर्मी तत्वों के आधार पर चट्टानों की आयु ज्ञात करने की विधि में कुछ संषोधन किया है। इन वैज्ञानिकों के अनुसार यूरेनियम अथवा थोरियम जैसे पदार्थों के स्थान पर रूबीडियम नामक तत्व के विखण्डन के आधार पर चट्टानों की आयु की अधिक सही गणना की जा सकती है। रूबीडियम एक ठोस पदार्थ है और लगभग 43 करोड़ वर्ष में यह स्ट्रौंशियम में रूपान्तरित हो जाता है। दोनों ही ठोस पदार्थ होने से इसमें गैस के बनने तथा विखण्डन के समय उसके मुक्त होने की कोई सम्भावना नहीं रहती। इसलिए जितना भी रूबीडियम स्ट्रौंशियम में बदलेगा, वह चट्टानों की सही आयु को बताएगा। इस आधार पर चट्टानों की आयु 400 करोड़ वर्ष ठहरती है, तो पृथ्वी की भी सम्भावित आयु होगी।

कुछ वर्षों पूर्व दो रूसी वैज्ञानिक पोलकानोव और इ. गेरलिंग ने बताया कि रेडियासक्रिय पोटैशियम आर्गन में बदलता रहता है। भू-पटल में इस खनिज के आर्गन बदलने की गति के आधार पर उन्होंने पृथ्वी की आयु कम से कम 310 करोड़ और अधिक से अधिक 500 करोड़ वर्ष निश्चित की है।

यह बड़े आश्चर्य की बात है कि उल्काओं और पृथ्वी की आयु लगभग समान बैठती है। इससे इस सम्भावना की पुष्टि होती है कि पृथ्वी सहित सौरमंडल के सभी ग्रहों का निर्माण एक साथ हुआ होगा।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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