वसा का शरीर में कार्य

वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। स्वस्थ पुरुषों में शारीरिक भार का 15-20 प्रतिशत तथा स्वस्थ महिलाओं में शारीरिक भार का 18-25 प्रतिशत भार वसा से  बना होता है। यह भी कार्बन , आक्सीजन व हाइड्रोजन से बना एक कार्बनिक यौगिक है। परंतु इसमें अनुपात भिन्न पाया जाता है। वसा मुख्य रूप से दो प्रकार की र्पाइ जाती है- (1) संतृप्त वसा, (2) असंतृप्त वसा।

संतृप्त वसा में पशुजन्य उत्पाद आते हैं, जैसे मासं , घी, दूध, मक्खन आदि। जबकि असतंप्ृत वसा में वनस्पतिक पदार्थ पाए जाते है। इसमें अनेक प्रकार के तले , हरी पत्तेदार सब्जियां आदि आती हैं।

आहार में वसा की मात्रा 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे अधिक वसा ग्रहण करने से मोटापा जैसी बीमारियां हो जाती है।

वसा का शरीर में कार्य

  1. वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। 
  2. वसा संचित रूप में भी शरीर में रहती है, लंबे उपवास में यही संचित वसा ऊर्जा प्रदान करती है। 
  3. शरीर के कोमल अंगांे को सुरक्षा प्रदान करती है। जैसे गुर्दे, यकृत, फेफड़े इत्यादि। 
  4. वसा हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित रखती है। 
  5. मानव द्वारा लिए जाने वाले आहार की स्वाद वृद्धि में भी वसा की महत्वपूर्ण भूमिका है। 
  6. शारीरिक कार्यों को सुचारु ढंग से चलाने में वसा की महत्वपूर्ण भूमिका है।

Bandey

मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता (MSW Passout 2014 MGCGVV University) चित्रकूट, भारत से ब्लॉगर हूं।

Post a Comment

Previous Post Next Post