हंटर कमीशन 1882 की सिफारिशें
इसने अपनी रिपोर्ट में सिफारिशें पेश कीं-
- उच्च शिक्षा संस्थाओं के प्रबन्ध तथा प्रत्यक्ष रूप में सहायता करने से सरकार धीरे-धीरे अपना हाथ खींच ले। यदि सम्भव हो सके तो इसे भारतीयों के हाथ में हस्तांतरित कर दिया जाय।
- काॅलेजों को सामान्य तथा विशेष अनुदान देने की व्यवस्था की जाय। काॅलेज शुल्क तथा निःशुल्क शिक्षा देने के सम्बन्ध में कुछ साधारण सिद्धांतों का अनुसरण करने पर बल दिया गया। छात्रवृत्ति के संबंध में नये नियमों के बनाने की व्यवस्था की गई। बड़े-बड़े काॅलेजों में वैकल्पिक विषयों को रखने की व्यवस्था करने का भी निर्णय लिया गया। एक नमूने की पाठ्य-पुस्तक के बनाने का प्रयत्न किया गया जो स्वाभाविक धर्म के आधार पर बनी हो एवं जो सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाओं में पढ़ाई जाय।
- मुसलमानों में शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिये विशेष प्रकार के उपायों का प्रयोग किया जाय।
- सभी प्राइमरी स्कूलों का निरीक्षण शिक्षा-विभाग के सरकारी अफसरों द्वारा होगा और उन पर उनका नियंत्रण रहेगा।
- विद्यार्थियों के शारीरिक तथा बौद्धिक दोनों प्रकार के विकास की ओर ध्यान दिया जाय।
- प्रारम्भिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाय। प्रान्तीय सरकार को प्राइमरी शिक्षा के लिये अपनी आय का एक भाग अलग कर देना चाहिए एवं यह शिक्षा राज्य जिला बोर्डों तथा नगरपालिकाओं द्वारा दी जानी चाहिए।