आहार नियोजन का अर्थ
आहार नियोजन का अर्थ हैं कि भोजन के पदार्थों की मात्रा इस प्रकार लेनी चाहिए कि सभी पौष्टिक तत्व उन भोज्य पदार्थों द्वारा उचित मात्रा में भोजन में सम्मिलित किये जाये। इसके साथ ही परिवार की आवश्यकता, समय तथा उपलब्ध धन को भी ध्यान में रखना चाहिए। आहार योजना एक कला है।
आहार नियोजन के सिद्धांत
1. प्रतिदिन की आहार बनाने के लिए पूरे दिन को लेना आवश्यक होता है; जैसे सुबह का नाश्ता, दोपहार का खाना और रात्रि का भोजन। आहार तालिका का एक साथ बनानी चाहिए। प्रत्येक भोजन के समय में सभी पौष्टिक तत्व उचित मात्रा में उपस्थित रहना चाहिए। प्रत्येक भोजन के समय में सभी पौष्टिक तत्व उचित मात्रा मे उपस्थित रहना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति की पौष्टिक तत्व की आवश्यकता अलग-अलग होती है जो कि उनकी आयु, लिंग
व्यवसाय से प्रभावित होती है।
2. भोजन तालिका बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक समय के भोजन में पाँच भोज्य वर्गों में दिये गये प्रत्येक वर्ग का समावेश हो।
3. भोजन में कुछ ऐसे भोज्य पदार्थ जो कि छिल्के या रेशे से युक्त हों अवश्य ही रखने चाहिए-सुबह के नाश्ता में दलिया, दोपहर के खाने में साबुत चना या लोबिया, रात्रि में मैंथी की सब्जी।
4. आर्थिक कारण - आहार तालिका आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर बनानी चाहिए। सस्ते खाद्य पदार्थों को भी मनोहर ढ़ग से पकाने की कला गृहिणी को अच्छी तरह आना आवश्यक है। किसी कारणवश यदि कोई भोज्य पदार्थ यदि उपलब्ध न हो तो समान गुण वाले अन्य पदार्थों को उसकी जगह प्रयोग में लाना चाहिए।
5. मौसम - भोजन तालिका बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि तालिका किस जलवायु एवं मौसम के लिए बनाई जा रही है।
6. आहार तालिका की योजना करते समय परिवार की रुचि, आदतों को भी ध्यान में रखना चाहिए। भोज्य सम्बन्धी आदतें धर्म, समाज का वातावरण, संस्कृति आदि से प्रभावित होती है। भोजन सम्बन्धी गलत
धारणाओं तथा आदतों में धीरे-धीरे परिवर्तन करना आवश्यक है।