यह आन्दोलन मुसलमानों में पुराने रीति रिवाजों और धार्मिक नियमों को कायम रखने के
लिए था। इसका नेतृत्व मिर्जा गुलाम अहमद (1839-1908) ने किया था उन्होने
’’बरहीन-ए-अहमदिया‘‘ नामक पुस्तक में मुस्लिम धर्म का विवरण दिया है। जिसमें मुसलमानों
में प्रचलित प्रथाओं को जीवित रखने के लिए कुछ विशेष नियमों पर बल दिया गया उदाहरण
स्वरूप पर्दा प्रथा को आवश्यक बताया तथा इस्लामी तलाक और बहुपत्नि का समर्थन किया।
मिर्जा गुलाम अहमद के पश्चात इस आन्दोलन का संचालन एक खलीफा द्वारा किया गया। बाद
में यह आन्दोलन दो भागों में विभाजित हो गया एक लाहौरी दल और द्वितीय कादियानी दल के
नाम से प्रसिद्ध हुआ।
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अहमदिया आंदोलन