19वीं शताब्दी के मध्य भारत में मुगलवंश के पंजाबी मिर्जा गुलाम
अहमद कादियानी (1839 से 1908 ई) ने एक नवीन आन्दोलन प्रांरभ किया
था यह अहमदिया आन्दोलन के नाम से जाना जाता है। उनका मानना था
कि मौलवियों को बुराईयों से बचने के लिये मुसलमानों को इनसे दूर रहना
चाहिये, क्योंकि वे उन्हें असत्य की ओर ले जा रहे है। कादियानी ने मुस्लिम
समाज को पीरो ओर कब्रो की पूजा करने से भी रोका। वे स्वयं को खुदा
द्वारा भेजा गया विशेष पैगम्बर कहते थे। उन्होंने पर्दा प्रथा, बाल विवाह और
तलाक का समर्थन किया। इन्होंने बाद में अपने को कृष्ण का अवतार भी
बताया है। यह आन्दोलन शास्त्र विरूद्ध माना गया और इस कारण अधिक
सफल नहीं हुआ। इनके शिष्य कादियानी कहलाये। मिर्जा गुलाम अहमद ने
अपने सिद्धान्तो की व्याख्या अपनी पुस्तक बराहीन -ए- अहमदिया में की
थी। 1908 ई. में गुलाम अहमद कादियानी की मृत्यु हो गयी।