विटामिन B12 के स्रोत
यह दूध, माँस, अण्डे, यकृत, वृक्क आदि में मिलता है। आमाशय में केवल
अन्तःस्थ कारक की उपस्थिति में इसका अवशोषण होता है। अतः इस विटामिन को बहिरस्थ
कारक भी कहते है। अवशोषित होकर यह विटामिन यकृत में संग्रहित हो जाता है।
विटामिन B12 के कार्य
- यकृत में अस्थितगत रक्तमज्जा में पहुंच लोहित कोशिकाओं की परिपक्वता का कार्य करता है।
- न्यूक्लिक अम्ल के निर्माण में भाग लेता है।
- अस्थिगत मज्जा में श्वेत कोशिकाओं तथा बिम्बाणुओं के निर्माण को प्रोत्साहित करता है।
- तन्त्रिका तन्त्र को स्वस्थ रखता है।
- कार्बाेहाइड्रेट से लाइपिडों के निर्माण में सहायक होता है।
- अनेक एन्जाइमों को ‘को-एन्जाइम’ के रूप में प्रभावकारी बनाता है। इस प्रकार यह चयापचय में भाग लेता है।
विटामिन B12 की कमी से होने वाले रोग
- प्रणाशी अरक्तता हो जाती है।
- अति ग्लूकोजरक्तता हो जाती है।
- शरीर की वृद्धि पर कुप्रभाव पड़ता है।
- जिह्वा तथा मुख का शोष हो जाता है।
- मेरू दण्ड के पश्च एवं पाश्र्व स्तम्भों का व्यपजनन हो जाता है।
- महालोहित कोशिका प्रसूजनित अरक्तता हो जाती है।
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