Digital signature (डिजिटल हस्ताक्षर) क्या है ?

हस्ताक्षर का अर्थ है कि आप उस पर अपनी सहमति प्रदान करते है। डिजिटल हस्ताक्षर एक तकनीक है जिससे हम यह पता लगा सकते हैं कि दस्तावेज वैधानिक है या नहीं। इसमें इलैक्ट्रानिक दस्तावेज की सही जानकारी प्राप्त होती है। एक बैलिड डिजिटल हस्ताक्षर हमें यह भरोसा प्रदान करता है कि भेजे गये दस्तावेज जाने पहचाने सैन्डर ने भेजा है। और इसमें किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की है। इसका इस्तेमाल साफटवेयर डिस्ट्रीब्यूशन , वित्तीय लेनदेन में किया जाता है।

यह पब्लिक की क्रिप्टोग्राफी पर आधारित है जिसे असिमैट्रिक क्रिप्टोग्राफी भी कहते है। यह पब्लिक की एलग्रोथिम जैसे कि RSA का इस्तेमाल करके दो की बनाता है। जो प्राइवेट तथा पब्लिक की होती है। और गणितीय रुप से लिंक होती हे साइनिंग साफटवेयर की मदद से जिस इलैक्ट्रानिक डाटा का हस्ताक्षर बनाना है उसका वनवे हैश बनाया जाता है। फिर प्राइवेट की मदद से हैश को एनक्रिप्ट किया जाता है। इसी एनक्रिप्ट हैश और उससे जुड़े दूसरी सूचना को हैशिंग एलग्रोथिम को डिजिटल हस्ताक्षर कहा जाता है। 

उदाहरण के लिए श्रीमान अजय ईमेल के माध्यम से डाकूमैन्ट भेजना चाहता है जो श्रीमान राजकुमार के पास पहुंचेगा जिस दस्तावेज को डिजिटल साइन करने की जरुरत है उसमें हैश फंक्शन एप्लाई किया जाता है। और उससे एक नम्बर सिक्वेन्स निकलता है जिसे हैश कहते है। उसके बाद उसी हैश को एनक्रिप्ट किया जाता है उसी प्राइवेट की से । ऐसा करने से वह दस्तावेज डिजिटल साइन हो जाएगा। अब उसे राजकुमार को भेज दिया जायेगा। राजकुमार आदमी उस दस्तावेज को प्राप्त करने के बाद उसकी आथेन्टीसिटी की जाॅंच करने के लिए दस्तावेज पर हैश फंक्शन का इस्तेमाल करेगा, जिससे उसे रिजल्ट में हैश (HI) मिलेगा । अब पब्लिक की का इस्तेमाल करके हैश (H2)मिलेगा यदि H1 तथा H2 समान है तो डाॅकूमैन्ट आरिजनल हैं और उसमें कोई भी हेरफेर नहीं हुई है।

Bandey

मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता (MSW Passout 2014 MGCGVV University) चित्रकूट, भारत से ब्लॉगर हूं।

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