हेनरी लुई विवियन डिरोजिओ द्वारा कौन सा सुधारवादी आंदोलन चलाया गया?

Henry Louis Vivian Derozio (हेनरी लुई विवियन डिरोजिओ) इंडियन था। ये 1826 से 1831 तक हिन्दू कालेज के प्राध्यापक रहे। वे प्रतिभा सम्पन्न प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे। इनके द्वारा समाज सुधार हेतु चलाया गया, आन्दोलन ’यंग बंगाल आन्दोलन’ के नाम से जाना गया। आपने आत्मिक उन्नति और समाज सुधार को दृष्टिगत रखते हुए ’’एकेडेमिक एसोसिएशन और सोसाटी फाॅर द एक्वीजीशन आफ जनरल नाॅलेज’’ नामक संगठनों की स्थापना की। उन्होंने अपने समर्थकों को विवेकपूर्ण और मुक्त ढंग से, प्रमाणों के आधार पर विचार ने समानता और स्वतंत्रता तथा सत्य की स्थापना के लिये प्रेरणा दी। देश और समाज के लिये एंग्लो - इंडियन हिन्दू एसोसिएशन, ’बंगहित सभा’ और ’डिवेटिंग क्लब’ का गठन किया। इनका मुख्य उद्देश्य था विधवाओं का उद्वार करना और समाज में फैली रूढिवादिता का डटकर विरोध करना। हिन्दू संस्कृति में उत्पन्न हुए अनेक दोशों को वे पूर्णतः समाप्ति हेतु प्रयत्नशील थे। कट्टर हिन्दुओं ने इन लोगों का विरोध किया ओर डिरोजियों को अप्रैल 1831 ई. को हिन्दू कालेज से निकाल दिया गया। अब इन्होंने ईस्ट इंडिया नामक दैनिक पत्र का संपादन करना आरंभ कर दिया। 

26 दिसम्बर 1831 को हैजा हो जाने के कारण डिरोजियों की अकाल मृत्यु हो गई। इस समय उनकी आयु 23 वर्ष 8 माह थी। डिरोजियों की मष्त्यु के बाद ’एकेडेमिक एसोसिएशन के स्थान पर उनके शिष्यों ने 1838 ई. में सोसाइटी फाॅर द एक्वीजीशन आॅफ जनरल नालेज स्थापित किया। उनके शिष्यों में कृष्णमोहन बनर्जी ,रामगोपाल घोष एवं महेशचन्द्र घोष आदि शीर्षस्थ थे जो आगे चलकर बंगाल के प्रमुख नेता भी बने। 1828 से 1843 के मध्य हिन्दू कालेज के विद्यार्थियों ने लगभग आधा दर्जन पत्र प्रकाशित किए। 

1834 ई. में बंबई एलफिंस्टन कालेज की स्थापना हुई। यहां के विद्यार्थियों ने यंग बाम्बे, आन्दोलन शुरू किया। इन आन्दोलनों ने भारत के नौजवानों में नवजागरण का संचार किया हालांकि आम जनता इसमें शामिल नहीं हुई। क्योंकि यह आंदोलन बौद्धिक अधिक था और सामाजिक कम फिर भी राजाराममोहनराय की परंपरा को इस आन्दोलन ने आगे बढाया और भारतीयों को प्रेरित किया।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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