मिन्हाज उस सिराज (जन्म 1192 ई.) सल्तनत काल का प्रथम महत्वपूर्ण इतिहासकार
है। उन्होंने अपनी ऐतिहासिक कृति ‘तबकात-ए-नासिरी’ की 23 तबकों (अध्यायों) में विभक्त
किया है। उन्होंने अपनी इस कृति में इस्लाम के उत्थान से लेकर, भारत में तुर्क सत्ता की
स्थापना पर प्रकाश डालते हुये गुलाम वंश तक का विवरण प्रस्तुत किया है। यद्यपि उन्होंने
तत्युगीन राजनीतिक स्थिति का विवरण प्रस्तुत किया है फिर भी उनकी कृति में सल्तनत
कालीन अर्थव्यवस्था का भी यत्र-तत्र प्रसंगवश उल्लेख मिलता है।
मिन्हाज बताते हैं कि सल्तनत काल का प्रथम सुल्तान कुतुबुद्दीन एबक बड़ा ही दानी
सुल्तान था। उसने उसे ‘हातिम द्वितीय’ कह कर संबोधित किया है। वह लिखता है कि
उसका दान लाखों तक पहुँचता था। मिन्हाज बताता है कि एक बार मुइजुद्दीन मोहम्मद गौरी
ने एक समारोह के अवसर पर कुतुबुद्दीन एबक को इनाम दिया। एबक ने वह सारा धन तुर्कों,
द्वारपालों, फर्राशों एवं अन्य कर्मचारियों को बांट दिया। यहाँ तक उसके स्वयं के पास कुछ
भी शेष न बचा।
मिन्हाज ने बताया है कि कुतुबुद्दीन एबक का दास एवं उत्तराधिकारी सुल्तान
इल्तुतमिश भी बड़ा ही दानी था। वह वीरता में दूसरा कर्रार एवं दान में दूसरा हातिम था।
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अपने राज्य के प्रारंभ से ही वह आलिमों, सैयदों, मलिकों, अमीरों एवं सद्रो को हजार लाख
से अधिक दान देता था।
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