इसके तीसरे भाग में औरंगजेब के शासनकाल का पूरा इतिहास दिया
गया है। खाफी खाँ ने अपने समय 1680 ई. से 1733 ई. की घटनाओं का विवरण व्यक्ति अनुभव के
आधार पर निष्पक्ष रूप से लिखा है। उसने इस ग्रंथ में राजनैतिक घटनाओं के साथ-साथ आर्थिक पक्ष
का भी वर्णन किया है।
ग्रंथ में पुर्तगालियों के विषय में विवरण दिया गया है। वह लिखता है कि
पुर्तगालियों के हाथ में अनेक बंदरगाह थे। उन्होंने अनेक किले बनवा लिये थे। असर्फी नामक चांदी का
सिक्का उन्होंने चलाया था । इस ग्रन्थ के अनुसार बादशाह ने उपाधियों और राजकीय पदों को मनमाने
ढंग से बाटना शुरू कर दिया जिससें उसका महत्व घट गया। बादशाह की मुहर व हस्ताक्षर का कोई
मूल्य नहीं रहा। औरंगजेब की आर्थिक दशा का विवरण इस ग्रंथ में मिलता है।
लेखक ने इतिहास लेखन
की परम्परागत शैली को ही अपनाया है। उसने सरकारी अभिलेखों से लेखन सामग्री का उपयोग किया।
ग्रन्थ में औरंगजैब और उसके उत्तराधिकारियों के इतिहास पर काफी महत्वपूर्ण प्रकाश डाला गया है।
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मुन्तखव-उल-लुबाव