निष्पादन बजट क्या है? निष्पादन बजट एवं परम्परागत बजट के अन्तर

निष्पादन बजट शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सन् 1949 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हूवर कमीशनने अपनी रिपोर्ट में किया था, जिसमें यह उल्लेख किया गया कि बजट ऐसा होना चाहिए, जो कार्यों, कार्यक्रमों एवं क्रियाकलापों पर आधारित हो। वास्तव में निष्पादन बजट की अवधारणा प्रबन्धकीय कुशलता में वृद्धि से सम्बन्धित है, जो कार्यों एवं कार्यक्रमों पर आधारित होता है तथा उद्देश्यों एवं व्ययों के वर्गीकरण पर आधारित बजट बनाया जा सकता है।

निष्पादन बजटन में बजट व्यवस्था इस प्रकार की होती है, जिसमें बजट आवंटन के साथ ही उस बजट के आधार पर कार्य निष्पादन का उत्तरदायित्व भी निर्धारित होता है। उदाहरण के लिए विज्ञापन का बजट 5 लाख रुपये का किया गया और यह भी निर्धारित किया गया कि उसके आधार पर बिक्री में 50 लाख रुपये की वृद्धि आवश्यक रूप से होनी चाहिये यह निष्पादन बजट कहलायेगा।

निष्पादन बजट का सम्बन्ध उपक्रम द्वारा निर्धारित लक्ष्यों से होता है। इसके अन्तर्गत नियोजित प्रावधान कर उद्देश्यों के अनुरूप धनराशि का वितरण किया जाता है तथा यह सुनिश्चित किया जाता है कि विभिन्न कार्यक्रमों के लिए किस प्रकार साधनों का विनियोग किया जाय। 

निष्पादन बजटन का आशय

निष्पादन बजट एक कार्य योजना है, जो स्वीकृत प्रमाप पर आधारित विभिन्न उत्तरदायित्वों के सम्बन्ध में एक निर्धारित अवधि में लागत तथा प्राप्य लक्ष्यों को स्पष्ट करती है। निष्पादन बजट एक विशिष्ट प्रारूप में तैयार किया गया बजट होता है, जिसमें निम्न पहलुओं को शामिल किया जाता है -

1. उद्देश्यों का निर्धारण - सर्वप्रथम संस्था के उन उद्देश्यों को स्पष्ट किया जाता है, जिनका निष्पादन किया जाना है और उनके लिए कोषों की आवश्यकता कितनी होगी।

2. क्रियाकलापों की लागत - निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रस्तावित क्रियाओं की लागत का निर्धारण किया जाता है।

3. कार्यात्मक वर्गीकरण - बजट का कार्यात्मक वर्गीकरण किया जाता है। दूसरे शब्दों में बजट को कार्यानुसार और क्रियाकलापों के अनुसार तथा परियोजना के अनुसार बनाते हुए प्रस्तुत किया जाता है।

4. निष्पादन मापदण्ड - निष्पादन बजट को मापने के लिए संख्यात्मक मापदण्ड विकसित किये जाते हैं।

5. कार्य की मात्रा - प्रत्येक क्रियाकलाप के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्य की मात्रा स्पष्ट की जाती है।

6. वित्तीय एवं भौतिक पहलुओं का तालमेल - निष्पादन बजट में वित्तीय एवं भौतिक दोनों पहलुओं को मिलाकर रखा जाता है, जिसमें प्रबन्धकीय नियन्त्रण एवं नियोजन में सहायता मिलती है।

निष्पादन बजट की परिभाषा

निष्पादन बजट की कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्नवत हैं -

1. ए0 प्रेमचन्द के अनुसार - ‘‘निष्पादन बजटन एक प्रक्रिया है, जिसमें राजकीय प्रक्रियाओं द्वारा कार्यों, कार्यक्रमों तथा गतिविधियों को एक संगठित राय से प्रस्तुत किया जाता है।’’

2. जैसी वर्कहेड के अनुसार - ‘‘एक विस्तृत आधार पर निष्पादन बजटन को बजट वर्गीकरण के साथ सम्बद्ध किया जाता है, जिसमें सरकार क्या करती है, उसका उल्लेख होता है, बजाय इसके जो सरकार खरीदती है। निष्पादन बजटन में उद्देश्यों को पूरा करने के साधनों के बजाय उद्देश्यों के निर्धारण को अधिक महत्व दिया जाता है।

3. घोष एवं गुप्ता के अनुसार - ‘‘निष्पादन बजट एक तकनीक है, जिसमें सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों को उसकी क्रियाकलापों तथा परियोजनाओं के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। निष्पादन बजट किसी भी संस्था के उद्देश्यों को पूरा करने से सम्बन्ध रखता है, न कि विभिन्न उद्देश्यों पर व्यय की जाने वाली धनराशि से।’’

4. बजटरी सुधार एवं अनुमान समिति के अनुसार - ‘‘निष्पादन बजट कार्यों, क्रियाओं एवं परियोजनाओं पर आधारित बजट है, जो निष्पत्ति के साधनों, जैसे-कार्मिक सेवा, आपूर्ति, संयन्त्र आदि के बजाय निष्पत्ति किये जाने वाली सेवा पर ध्यान केन्द्रित करता है। इस प्रणाली के अन्तर्गत विभिन्न संगठनात्मक इकाइयों के कार्यों को क्रियाओं, उप-कार्यक्रमों तथा संगठन योजनाओं में विभाजित किया जाता है तथा प्रत्येक के लिए अनुमान प्रस्तुत किये जाते हैं।’’

संक्षेप में निष्पादन बजट प्रणाली के अन्तर्गत प्रावधानिक धनराशि का विभिन्न उद्देश्यों के अनुसार वर्गीकरण किया जाता है। इस बजट प्रणाली में यह दर्शाया जाता है कि विभिन्न क्रियाओं, कार्यकलापों एवं कार्यक्रमों के लिए किस प्रकार धनराशि का विनियोजन किया जाय।

निष्पादन बजटन की विशेषतायें

निष्पादन बजटन प्रणाली की निम्नलिखित विशेषतायें हैं -

1. उद्देश्यों एवं लक्ष्यों का निर्धारण - निष्पादन बजटन के अन्तर्गत सर्वप्रथम संस्था के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों का निर्धारण किया जाता है। सामान्यतः संस्था के उद्देश्य दीर्घकालीन प्रवृत्तियों से सम्बन्धित होते हैं, जिसके लिए दीर्घकालीन लक्ष्य का निर्धारण किया जाता है। लक्ष्य संस्था के विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्राप्त किये जा सकते हैं।

2. दीर्घकालीन नियोजन - निष्पादन बजट के अन्तर्गत निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति हेतु कोषों का आवंटन दीर्घकालीन अवधि के लिए किया जाता है। निष्पादन बजट दीर्घकालीन अवधि के लिए तैयार किया जाता है। उदाहरणार्थ - यदि कोई परियोजना की अवधि 10 वर्ष है, तो परियोजना 10 वर्ष में पूरी होगी लेकिन परियोजना के लिए बजट प्रत्येक वर्ष आवंटित किया जायेगा।

3. लागत-लाभ विश्लेषण - निष्पादन बजटन के अन्तर्गत संस्था के निर्धारित उद्देश्यों व लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु आवश्यक धनराशि की व्यवस्था की जाती है तथा लागत का मूल्यांकन किया जाता है। लागत तथा धनराशि आवंटन का तालमेल इस तरह किया जाता है कि संस्था को अधिक से अधिक लाभ अर्जित हो सके। लागत लाभ विश्लेषण प्रत्येक विकल्प का मूल्यांकन करने तथा विभिन्न क्रियाकलापों की प्राथमिकता निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करता है।

4. व्ययों का कार्यात्मक वर्गीकरण - निष्पादन बजट के अन्तर्गत व्ययों व कार्यक्रमों, क्रियाओं व परियोजनाओं के अनुसार वर्गीकरण किया जाता है। कार्य किसी भी संस्था की निर्देशित क्रियाओं के वृहत समूह होते हैं, जैसे - उद्योग तथा कृषि का विकास आदि।

निष्पादन बजटन के उद्देश्य

निष्पादन बजट के मुख्य उद्देश्य हैं -
  1. वार्षिक बजट तथा विकास योजनाओं के बीच तालमेल स्थापित करना। 
  2. विकास में किस प्रकार प्रगति हो रही है, उसका निर्धारण करना, आवश्यकता पड़ने पर विविध योजनाओं के कार्यक्रमों के महत्व को देखकर प्रावधानों में परिवर्तन किया जा सके।
  3. व्यय सम्बन्धी नियोजन एवं कार्यक्रमों में वर्गीकरण में एकरूपता लाना।
  4. भौतिक प्रगति का भविष्य में किये जाने वाले वित्तीय प्रावधानों से सम्बन्ध स्थापित किया जाता है।
  5. निर्धारित दीर्घकालीन उद्देश्यों का मूल्यांकन करना।
  6. निष्पादन अंकेक्षण को कार्य साधन बनाना।

निष्पादन बजटन की सीमायें

वर्तमान समय में निष्पादन बजट सरकारी एवं व्यावसायिक दोनों क्षेत्रों में अपने विभिन्न कार्यक्रमों एवं नियोजन को लागू करने में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। फिर भी यह प्रणाली दोषयुक्त है। इसकी मुख्य सीमाएँ निम्नलिखित हैं -

1. निष्पादन बजट की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न विभाग सुसंगठित हो तथा उनकी पहचान विभिन्न कार्यक्रमों एवं गतिविधियों के साथ हो, किन्तु व्यवहार में ऐसा नहीं होता है।

2. निष्पादन बजट का मुख्य उद्देश्य सरकारी कार्यकलापों को उनके कार्यों, कार्यक्रमों तथा गतिविधियों के आधार पर वर्गीकृत करना है। किन्तु आज के समय में इतना साफ-सुथरा वर्गीकरण सम्भव नहीं है।

3. निष्पादन बजटन के द्वारा विभिन्न योजनाओं का केवल परिमाणात्मक मूल्यांकन ही हो पाता है, गुणात्मक मूल्यांकन नहीं।

4. निष्पादन बजटन का प्रयोग पुलिस प्रशासन, कानून एवं शोध के क्षेत्रों में सीमित हो जाता है, क्योंकि इनके अन्तिम परिणामों की माप सम्भव नहीं है।

5. निष्पादन बजटन के द्वारा संस्थाओं में व्याप्त कमियों को दूर नहीं किया जा सकता।

6. विभिन्न कार्यक्रमों के लिए लागत अनुमान के वर्गीकरण की प्रक्रिया काफी कठिन है।

7. बजट बनाने का निर्णय लेते समय विभिन्न योजनाओं के तुलनात्मक मूल्यांकन में कठिनाई होती है। यह निष्पादन बजट से सम्भव तब तक नहीं होता है, जब तक कि इसको अन्य विश्लेषणात्मक उपकरणों से नहीं जोड़ा जाय।

निष्पादन बजट एवं परम्परागत बजट के अन्तर

निष्पादन बजटन एवं परम्परागत बजटन के अन्तर हैंः 

1. बजटन प्रारूप - निष्पादन बजटन में व्ययों को कार्यों के आधार पर बाँटा जाता है, जैसे उत्पादन सेविवर्गीय प्रबन्ध, विपणन इत्यादि। प्रत्येक कार्य को कार्यक्रमों के आधार पर विभक्त किया जाता है। जैसे - विपणन में विज्ञापन विक्रय सम्वर्द्धन आदि प्रत्येक कार्यक्रम को क्रियाओं और परियोजनाओं में विभाजित किया जाता है। इसके विपरीत परम्परागत बजटन में व्ययों की प्रकृति के आधार पर बजट आवंटन को दर्शाया जाता है। जैसे स्थायी व्यय, सामग्री व्यय, वेतन और भत्ते, परिवहन व्यय इत्यादि।

2. पश्चोन्मुख एवं भावी उपागत - परम्परागत बजटन का उपागम का पश्चोन्मुख होता है, जिसमें यह मापन किया जाता है कि वर्तमान संसाधनों से क्या किया गया था, जिससे अगले बजट के अनुमान लगाए जा सकें। इसके विपरीत निष्पादन बजटन भावी उपागम पर आधारित होता है, जिसमें वर्तमान निर्णयों के भावी प्रभावों पर प्रकाश डाला जाता है।

3. प्रबन्ध स्तर से सम्बन्ध - परम्परागत बजटन का सम्बन्ध प्रबन्ध के उच्च स्तर की समस्याओं से होता है, जबकि निष्पादन बजटन का सम्बन्ध निचले और मध्यम स्तरीय प्रबन्ध की समस्याओं से होता है। एकसमान ही हो।

7. विकेन्द्रीकृत उत्तरदायित्व संरचना एवं भारार्पण - निष्पादन बजटन एक ऐसी तकनीक है जिसके लिए विकेन्द्रीकृत उत्तरदायित्व संरचना पर आधारित प्रबन्ध शैली की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार की उत्तरदायित्व संरचना के लिए यह आवश्यक है कि वित्तीय शक्ति का नीचे की ओर भारार्पण किया जाए और ऐसा करते समय विभिन्न स्तर पर उत्तरदायित्व की सीमा को ध्यान में रखा जाए। इस प्रकार भारार्पण की संरचना भी अति आवश्यक है।

8. निष्पादन मूल्यांकन - इस व्यवस्था में दो आधार पर तुलना की जाती है (अ) बजट में अनुमानित व्यय और वास्तविक व्यय, तथा (ब) बजट में अनुमानित निष्पादन लक्ष्य और वास्तविक निष्पादन।

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