पपीते की मुख्य प्रजातियां

पपीते की मुख्य प्रजातियां

पपीता की उत्पत्ति उत्तरी अमेरिका में हुई। इसे 16वीं सदी में भारत लाया गया। विश्व के विभिन्न देशों जैसे Australia, Hawaii, Taiwan, Peru, Florida, Texas, California, Gold Coast, मध्य एवं दक्षिणी अफ्रीका के बहुत सारे भाग, पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं भारत आदि में  पपीते की खेती प्रमुखता से की जाती है। पपीता उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। पपीता एक बहुत ही पौष्टिक फल है। 

पपीते के पके हुए फल के प्रति 100 ग्राम गूदे से 40 कैलोरी ऊर्जा, 0.5 ग्रा0 प्रोटीन, 0.1 ग्रा0 वसा, 9.5 ग्रा0 कार्बोहाइड्रेट, 2020 आई0यू0 विटामिन ए एवं 0.04 मि0ग्रा0 विटामिन बी पाया जाता है। इसके पके फलों से जैम, स्क्वैष, हलवा, खीर, टूटी फ्रूटी आदि उत्पाद भी बनाये जाते हैं। 

पपीते के परिपक्व फलों से निकलने वाले दूधिया स्राव को सुखाकर पपेन का निर्माण किया जाता है जो एक प्रोटियोलिटिक एन्जाइम की तरह कार्य करता है। इसका प्रयोग माॅस को मृदु बनाने मे, च्यूंगम तथा सौन्दर्य प्रसाधन आादि बनाने में किया जाता है।

पपीता की प्रजातियां

पपीता एक बहुलिंगी पौधा है जिसमें नर, मादा एवं द्विलिंगी पौधे पाये जाते हैं। पपीते में पृथकलिंगी  तथा उभयलिंगी दो प्रकार की प्रजातियाॅ पायी जाती हैं। पृथकलिंगी प्रजाति में नर व मादा पुष्प अलग अलग पौधों पर निकलते है जबकि उभयलिंगी प्रजातियो में मादा तथा द्विलिंगी दोनों  प्रकार के पौधे पाये जाते हैं जबकि नर पौधे नहीं पाये जाते हैं।  पपीते की मुख्य प्रजातियाॅ हैं- 
  1. पृथकलिंगी प्रजातियाॅ - पूसा जायन्ट, पूसा ड्वार्फ, पूसा नन्हा, सी0ओ0 1, सी0 ओ0 2, सी0ओ0 5, सी0ओ0 6, पिंक फ्लेष स्वीट । 
  2. उभयलिंगी प्रजातियाॅ - पूसा डिलिसियस, पूसा मजेस्टी, कुर्ग हनी ड्यू, सनराइस सोलो, ताइवान, सूर्या एवं सी0ओ0-3। 
उपर्युक्त प्रजातियो में से कुर्ग हनी ड्यू, पूसा डिलीसियस एवं  पिंक फ्लेश स्वीट आदि प्रजातियो को पके फल के रूप में खाने के लिए उपयुक्त माना जाता है जबकि सी0 ओ0 2, सी0ओ0 5 एवं सी0ओ0 6 प्रजातियाॅ पपेन उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। इसके अलावा पूसा जायन्ट प्रजाति डिब्बाबंदी के लिए अच्छी मानी जाती है। 

पपीते के प्रमुख कीट एवं रोग 

लाल मकड़ी एवं फल मक्खी पपीते की उपज को प्रभावित करने वाले प्रमुख कीट हैं जबकि आद्र्र गलन तना/पाद विगलन, फल विगलन, चूर्णी फफदूं, ऐन्थ्रेक्नोस, रिंग स्पाट या वलय रोग, पर्ण कुंचन, एवं मोजैक विषाणु पपीते की उपज को प्रभावित करने वाली प्रमुख रोग हैं।

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