फाॅस्फोरस क्षुद्रान्त में अर्काबनिक फाॅस्फेटों के रूप में अवशोषित होता है। अन्त्र का
अम्लीय माध्यम तथा कैल्शियम की उपस्थिति अवशोषण में सहायक होती है।
फाॅस्फोरस प्रत्येक कोशिका में होता है। शरीर में इसकी कमी की बहुत कम
सम्भावना रहती है। यह फाॅस्फोप्रोटिन के रूप में, दूध की केसिनोजन में फाॅस्फोटाइड के रूप
में एवं अण्डे यकृत तथा अग्न्याशय में भी होता है। सौ मिली लीटर रक्त में 8 से 18
मिली-ग्राम फाॅस्फो-लाइपिड के रूप में रहता है।
शरीर में फास्फोरस के कार्य
- शरीर की प्रत्येक कोशिका में उपस्थित न्यूक्लिक अम्ल तथा न्यूक्लियोटाइड के संगठन में फाॅस्फोरस होता है।
- ऐडीनोसिन ट्राइफाॅस्फेट तथा क्रियेटिन फाॅस्फेट के रूप में यह ऊर्जा का संग्रहकर्ता है।
- अकार्बनिक फाॅस्फेट कैल्शियम से संयुक्त होकर अस्थि-निर्माण में मुख्य रूप से भाग लेता है।
100 मिलीलीटर रक्त में बच्चों में 5-6
मिलीग्राम तथा वयस्क में 2.5 से 4.5 मिलीग्राम फाॅस्फेट रहता है। बच्चों के रक्त में इसलिए
अधिक होता है कि उनको अस्थि आदि की वृद्धि के लिए अधिक फाॅस्फोरस की आवश्यकता
होती है। यदि 100 मिलीलीटर रक्त में इसकी मात्रा 2 मिलीग्राम से कम होती है तो यह मूत्र
में नहीं आता है।
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