सेरेस की खोज इटली के खगोलशास्त्री पियाजी ने की थी। आई.ए.यूकी
नई परिभाषा के अनुसार इसे बौने ग्रह की श्रेणी में ही रखा जाता है जहां
पर इसे संख्या 1 से माना जाएगा। इसकी कक्षा सूर्य से 446,000,000 किलोमीटर
है। इसका व्यास 950 किलोमीटर है। सेरेस कृषि का रोमन देवता है।
यह मंगल और गुरु के मध्य स्थित मुख्य क्षुद्र ग्रह पट्टे में हैं। यह इस पट्टे
में सबसे बड़ा पिंड है। सेरेस का आकार और द्रव्यमान उसे गुरुत्व के प्रभाव में
डालकर बनाने के लिए पर्याप्त है। अन्य बड़े क्षुद्रग्रह जैसे 2 पलास, 3 जूनो और
10 हायजीआ अनियमित आकार के हैं। सेरेस एक चट्टानी केन्द्रक है और 100
किलोमीटर मोटी बर्फ की परत है।
यह 100 किलोमीटर मोटी परत सेरेस के द्रव्यमान का 23 से 28 प्रतिशत तथा आयतन का 50 प्रतिशत है। यह पृथ्वी पर ताजे जल से ज्यादा है। इसके बाहर एक पतली धूल की परत है। सेरेस की तरह ब् वर्ग के क्षुद्रग्रह के जैसे है। सेरेस पर एक पतले वातावरण के संकेत मिले हैं। सेरेस तक कोई अन्तरिक्ष यान नहीं गया है। लेकिन नासा का डान इसकी याया 2015 में करेगा।
यह 100 किलोमीटर मोटी परत सेरेस के द्रव्यमान का 23 से 28 प्रतिशत तथा आयतन का 50 प्रतिशत है। यह पृथ्वी पर ताजे जल से ज्यादा है। इसके बाहर एक पतली धूल की परत है। सेरेस की तरह ब् वर्ग के क्षुद्रग्रह के जैसे है। सेरेस पर एक पतले वातावरण के संकेत मिले हैं। सेरेस तक कोई अन्तरिक्ष यान नहीं गया है। लेकिन नासा का डान इसकी याया 2015 में करेगा।