एक्स-रे से प्राप्त चित्रों का प्रयोग हड्डियों के फ्रैक्चर,
पथरी और शरीर के विभिन्न संक्रमण को देखने के लिए किया जाता है। इन
शक्तिशाली एम्स किरणों की खोज जर्मनी के वैज्ञानिक विलहम काॅनरैड
राॅन्टजन ने की थी। राॅन्टजन कैथोड रे ट्यूब में विद्युत के प्रवाह का अध्ययन
कर रहे थे तब उन्होंने देखा कि इस ट्यूब के पास बेरियम प्ले-रिनोसाईनाइड
का एक टुकड़ा रख देने से वह चमकने लगता है। राॅटजन इस बात को समझ
गए थे कि कैथोड रे ट्यूब द्वारा उत्सर्जित कुछ अज्ञात विकिरण इस प्रतिदीप्ति
का कारण है। रान्टजन ने पाया कि ये किरणें विद्युत चुंबकीय विकिरण है जो
कि कागज, लकड़ी और ऊतकों के माध्यम के पार जा सकती है। उनकी इस
खोज के कुछ सप्ताह के भीतर ही जर्मनी में कई एक्स-रे मशीनें हड्डी के
फ्रैक्चर का पता लगाने के लिए लगा दी गयीं।
एक्स-किरणों का उपयोग चिकित्सा निदान के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी किया
जाता है।