मुन्तखाब-उत-तवारीख क्या है इसकी रचना किसने की ?

मुन्तखाब-उत-तवारीख क्या है

इस ग्रन्थ की रचना अब्दुल कादिर बदायुनी ने की थी। यह ग्रंथ जहांगीर के शासनकाल में प्रकाश में आया। इसे तारीख-ए-बदायुॅनी के नाम से भी जाना जाता है। मुन्तखाव- ए- तवारीख की रचना बदायुॅनी ने 1590 ई. में शुरू की थी। इसे फरवरी 1596 ई. में पूरा कर दिया था। वह ऐतिहासिक कृति तीन भागों में विभक्त है । पहले भाग में सुबुक्तगीन से लेकर हुमाऊँ की मृत्यु तक का विवरण मिलता है। 

दूसरे भाग में अकबर के प्रथम चालीस वर्षों की जानकारी दी गयी है। तीसरे भाग में सन्तों कवियों विद्वानों की जानकारी मिलती है। बदायुॅनी ने अकबर के शासनकाल में हुये युद्धों की जानकारी व प्रशासनिक संस्थानों का विवरण दिया है। स्पष्ट है कि मुगलकालीन इतिहास लेंखन में बदायुॅनी का महत्वपूर्ण स्थान है। उसने अपने लेखन में सामाजिक, आर्थिक,गतिविधियों को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इस दृष्टि से उसकी कृति रूढ़ीवादी विचारों के बावजूद भी महत्वपूर्ण है। 

खालिद अहमद निजामी की सोच है कि अकबरकालीन इतिहासकारों में मात्र बदायूॅनी ही एक इतिहासकार है । जिसकी अपनी ऐतिहासिक दृष्टि है, किन्तु कुछ विद्वानों का मानना है कि उसके लेखन में विश्लेषण, निष्पक्षता, आलोचनात्मक, दृष्टिकोण का अभाव है। मुन्तखाब का दूसरा भाग विषयवस्तु आकार, संयोजन आदि की दृष्टि से अलग है। 

इसमें अकबर के 40 वर्षों का लेखा जोखा लिखा गया है। उसने अपने लेखन में अकबर के शासन काल का विस्तार से वर्णन दिया है। उसने घटनाओं व उसकी श्रेष्ठता के क्रम को बनाये रखते हुए जीवन संबंधी टिप्पणी भी लिखी है। इससे हमें अकबरकालीन व अन्य समकालीन आर्थिक इतिहास की जानकारी भी मिलती है।

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