भारतीय नागरिकों को प्राप्त 6 मूल अधिकार |
भारतीय नागरिकों को प्राप्त 6 मूल अधिकार
भारतीय नागरिकों को प्राप्त 6 मूल अधिकार हैं:
1. समानता का अधिकार
भारतीय समाज में व्याप्त असमानताओं को मिटाने के लिए संविधान निर्माताओं ने समान अधिकार को प्रथम स्थान दिया है । कानून के समक्ष सभी नागरिक समान हैं । धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा । किसी भी रूप में छुआछूत का व्यवहार करने की मनाही है।2. स्वतंत्रता का अधिकार
संविधान के अंतर्गत स्वतंत्रताएँ प्रदान की गयी हैं:-- विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ।
- शांतिपूर्ण सभा सम्मेलन की स्वतंत्रता ।
- संघ और संस्था निर्माण की स्वतंत्रता ।
- देश के भीतर घूमने की स्वतंत्रता ।
- कोई भी व्यवसाय या कारोबार की स्वतंत्रता ।
- देश के किसी भी भाग में बसने या निवास करने की स्वतंत्रता ।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा जीवन की सुरक्षा ।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
किसी भी व्यक्ति के किसी भी रूप में शोषण की मनाही की गयी है । मनुष्य के क्रय-विक्रय और बेगार पर रोक लगाया गया है । 14 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे को खानों या कारखानों में काम पर नहीं लगाया जा सकता है ।4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
भारतीय संविधान में भारत के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गयी है । प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म को मानने व उसका प्रचार-प्रसार करने का अधिकार है । सरकारी शिक्षण संस्थाओं में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जायेगी ।5. संस्कृति व शिक्षा-संबंधी अधिकार
भारत में विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, भाषाओं तथा संस्कृतियों के लोग रहते हैं । अतः संविधान में प्रत्येक संप्रदाय को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति बनाये रखने का अधिकार होगा तथा इस उद्देश्य की प्राप्ति करने के लिए वे शिक्षा संस्थाओं की स्थापना तथा उनका संचालन कर सकते हैं ।6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार
यह अधिकार सभी नागरिकों को अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पास जाने की छूट देता है ।
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