श्यामपट्ट कितने प्रकार के होते हैं

श्यामपट्ट का आविष्कार सर्वप्रथम जेम्स विलियम ने किया था। श्यामपट्ट का साधारणत इन कार्याे में उपयोग किया जाता है-


  1. पाठ का सारांश लिखने के लिए।
  2. पाठ की रूप रेखा लिखने के लिए।
  3. नियम, परिभाषा तथा शिक्षण बिन्दु देने के लिए।
  4. सूचना अंकन, तिथि का ज्ञान देने तथा तालिका आलेखन के लिए।
  5. मुख्य निर्देश तथा आदेश लिखने के लिए।
  6. चित्र, रेखाचित्र, ग्राफ, मानचित्र तथा लाक्षणिक उदाहरण देने कम लिए।
  7. कठिन शब्द तथा अक्षरों को स्पष्ट करने के लिए।

श्यामपट्ट के प्रकार

1. स्थिर श्यामपट्ट - एक बड़े लकड़ी के तख्ते पर काला रंग कर दिया जाता है तथा इसे दीवार पर फिक्स कर दिया जाता है। अतः इसे स्थिर श्यामपट्ट कहा जाता है।

2. स्टैण्ड पर श्यामपट्ट - इसमें लकड़ी के बड़े तख्ते को दोनों ओर से काला रंग करके, लकड़ी के ही स्टैंण्ड पर रख दिया जाता है। इस स्टैंण्ड को आगे-पीछे व ऊपर-नीचे भी किया जा सकता है तथा इसे सरलता से कक्षा में या कक्षा के बाहर लाकर प्रयोग किया जा सकता है।

3. चलित श्यामपट्ट - इस प्रकार के श्यामपट्ट को पुली की सहायता से चलित बनाया जाता है तथा इसे ऊपर-नीचे, आवश्यकता अनुसार किया जा सकता है। जब श्यामपट्ट का एक भाग पूरा भर जाये तो उसे ऊपर और खाली भाग को लिखने के लिए नीचे ले आते हैं।

4. सीमेण्ट का श्यामपट्ट - भवन बनते समय ही सीमेण्ट का श्यामपट्ट बना दिया जाता है जिस पर काला रंग कर दिया जाता है। इसे स्थिर श्यामपट्ट भी कहा जाता है।

5. चुम्बकीय श्यामपट्ट - इन चुम्बीय श्यामपट्टों का प्रयोग इंग्लैण्ड में अपेक्षाकृत अधिक प्रयोग किया जाता है। ये श्यामपट्ट लोहे के बने होते है तथा चुम्बक इन पर फिक्सड होते है। इसमे सरलता से चित्र, डायग्राम तथा चार्ट आदि चुम्बक की मद्द से फिक्सड कर लेता है। 

6. ग्लास श्यामपट्ट  - ये श्यामपट्ट सीमेण्ट से बने श्यामपट्ट की भांति स्थिर होते है। पर सीमेण्ट के स्थान पर ग्लास (शीशे) के बने होते है। ये ज्यादा मजबूत तथा उत्तम स्तर के माने जाते है। इन पर लिखावट भी ज्यादा स्पष्ट तथा प्रभावशाली होती है।

7. श्यामपट्ट लपेट - इसे रौलर, रौलआप या लपेटने वाला श्यामपट्ट भी कहा जाता है। यह श्यामपट्ट Oil Cloth पर बनाया जाता है। इसके नीच े तथा ऊपर दो साइड में लकड़ी को गोलाकार पट्टियाँ लगी होती है, जिससे इन्हें सरलता से लपटे कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। 

इस प्रकार के श्यामपट्ट का प्रयोग शिक्षण-प्रशिक्षण में काफी किया जाता है।

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