संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख उद्देश्य

इस संस्था का गठन द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात राष्ट्र संघ के स्थान पर किया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ही दुनियाभर ने स्थायी शांति एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, कई सम्मेलनों के पश्चात 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्भव एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में हुआ ताकि विश्व में मानव जाति की सुरक्षा का ध्यान रखा जा सके। इसका मुख्यालय जेनेवा अवस्थित है तथा करीब 182 देश इसके सदस्य हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख उद्देश्य 

इसके चार्टर में वर्णित है। इसके प्रस्तावना में यह घोषण की गई है कि अंतर्राष्ट्रीय संगठन में शामिल हुई मानव जाति का लक्ष्य है आने वाली पीढि़यांे को युद्ध जैसी भयंकर त्रासदी से बचाना। इस चार्टर के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखना है। इसके अलावा जिन उद्देश्यों को चार्टर के पहले अध्याय के पहले अनुच्छेद में वर्णन किया गया, वे हैंः
  1. अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखना तथा इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए झगड़ों का शांतिपूर्ण निपटारा और सशस्त्र आक्रमण की स्थिति से निटपने के लिए प्रभावशाली सामूहिक कार्यवाही का प्रयत्न करना।
  2. आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा मानवीय किसी भी प्रकार की अंतर्राष्ट्रीय समस्या को सुलझाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना।
  3. अंतर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करना।
  4. राष्ट्रों के आत्मनिर्णय और उपनिवेशवाद विघटन की प्रक्रिया को गति देना तथा निरस्त्रीकरण के अलावा नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की स्थापना करना।
उपर्युक्त सभी उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के द्वारा अपनी स्थापना काल से लेकर आज तक वैश्विक स्तर पर अनेक प्रयास किए गए। इन प्रयासों का ही प्रतिफल है कि विश्व की मानव जाति को पुनः प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध जैसी त्रासदी का सामना नहीं करना पड़ा। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं शांति में अहम् भूमिका रही है। इसके सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य अमेरीका, इंगलैण्ड, फ्रांस, रुस और चीन को वीटो शक्ति का अधिकार है।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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