नीति निदेशक तत्व क्या है ?

नीति निदेशक तत्व क्या है

नीति-निर्देशक तत्व वो सिद्धांत है, जो जनता की भलाई एवं देश में सामाजिक तथा आर्थिक प्रजातंत्र को स्थापित करने के लिए राज्य को काम करने की दृष्टि से प्रेरणा देते हैं । नीति-निर्देशक सिद्धांतों का अर्थ ऐसे सिद्धांतों से है जिन्हें राज्य अपनी नीतियों तथा कानूनों को बनाते समय ध्यान में रखें । 

डाॅ. बी.आर. अम्बेडकर के अनुसार, अन्य बातों के साथ-साथ निर्देशक सिद्धांत विशेष रूप से सामाजिक तथा आर्थिक लोकतंत्र स्थापित करने के उद्देश्य से बनाये गये हैं ।

डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा है, राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों का उद्देश्य जनता के कल्याण को बढ़ावा देनेवाली सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करना है ।

संविधान की धाराएँ 36 से 51 राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों से संबंधित हैं, जिसका विवरण है: 
  1. धारा 38: राज्य लोक-कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनायेगा । 
  2. धारा 39: समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता देना । 
  3. धारा 40: ग्राम पंचायतों का संगठन । 
  4. धारा 41: कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता प्रदान करने का अधिकार । 
  5. धारा 42: काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं तथा प्रसूति सहायता का उपबंध् । 
  6. धारा 43: कर्मचारियों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि । 
  7. धारा 44: नागरिकों के लिए एकसमान सिविल संहिता । 
  8. धारा 45: बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा । 
  9. धारा 46: अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों की शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि ।
  10. धारा 47: पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को उँचा करने तथा लोक स्वास्थ्य में सुधर करने हेतु राज्य का कर्तव्य । धारा 48: कृषि और पशुपालन का संगठन । 
  11. धारा 49: राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और स्थानों का संरक्षण । 
  12. धारा 50: कार्यपालिका से न्यायापालिका का पृथक्करण । 
  13. धारा 51: अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि।

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