डाॅ. बी.आर. अम्बेडकर के अनुसार, अन्य बातों के साथ-साथ निर्देशक सिद्धांत विशेष रूप से
सामाजिक तथा आर्थिक लोकतंत्र स्थापित करने के उद्देश्य से बनाये गये हैं ।
डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा है, राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों का उद्देश्य जनता के कल्याण को बढ़ावा
देनेवाली सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करना है ।
संविधान की धाराएँ 36 से 51 राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों से संबंधित हैं, जिसका विवरण है:
- धारा 38: राज्य लोक-कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनायेगा ।
- धारा 39: समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता देना ।
- धारा 40: ग्राम पंचायतों का संगठन ।
- धारा 41: कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता प्रदान करने का अधिकार ।
- धारा 42: काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं तथा प्रसूति सहायता का उपबंध् ।
- धारा 43: कर्मचारियों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि ।
- धारा 44: नागरिकों के लिए एकसमान सिविल संहिता ।
- धारा 45: बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा ।
- धारा 46: अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों की शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि ।
- धारा 47: पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को उँचा करने तथा लोक स्वास्थ्य में सुधर करने हेतु राज्य का कर्तव्य । धारा 48: कृषि और पशुपालन का संगठन ।
- धारा 49: राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और स्थानों का संरक्षण ।
- धारा 50: कार्यपालिका से न्यायापालिका का पृथक्करण ।
- धारा 51: अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि।