सूफी काव्य की विशेषताएँ

विद्वान सूफी शब्द का अर्थ सूफ (उन) बताते हैं और उनी वस्त्र पहनने वालो को सूफी कहते हैं। कुछ विद्वान सूफी शब्द ‘सफा’ शब्द से जोडते हैं जिसका अर्थ पवित्रता और शुद्धता है इसी के अनुसार पवित्र और शुद्ध आचरण वाले व्यक्ति को सूफी कहा गया है। कुछ विद्वान ‘सूफी’ शब्द का सम्बन्ध् यूनानी के शब्द ‘सोफोस’ से मानते हैं जिसका अर्थ है ‘ज्ञानी’।

यह भी पढ़ें: सूफी आंदोलन के प्रमुख सिद्धांत और प्रभाव

सूफी काव्य की विशेषताएँ

1. सूफी कवियों ने अधिकांश प्रेम कथाएं हिन्दू घरानों से ली है। प्रेम मार्गी सूफी कवियों का प्रेम संत कवियों से भिन्न है। उनका प्रेम व्यक्तिगत होने वेफ साथ-साथ समष्टिगत भी है। यही कारण है कि इनवेफ प्रेम काव्यों में लोक जीवन का चित्रण बड़ी सफलता के साथ किया गया है। सूफी कवियों को हिन्दू धर्म और संस्कृति का अच्छा ज्ञान था।

2. सूफी काव्य में किसी भी धर्म, जाति या सम्प्रदाय का खण्डन-मण्डन नहीं किया। इसके विपरीत सूफी काव्य में हिन्दू जीवन का पूर्ण चित्रण किया गया है जिसमें जन साधारण के अन्ध् विश्वास, मनौतियाँ, जन्त्र-तन्त्र प्रयोग, जादूटोना, डायनों की करतूतों आदि का वर्णन किया गया। ‘पद्मावत’ में जायसी ने हिन्दू जीवन का पूर्ण चित्र अंकित कर दिया है। 

3. सूफी कवियों की रचनाओं में फारसी की मसनवी शैली अपनाई गई है किन्तु साथ साथ ही उन्होंने भारतीय कथा-रूढि़यों का भी प्रयोग किया है। 

5. सूफी काव्य में रहस्यवाद के भी दर्शन होते है। सूफियों ने ईश्वर और जगत् दोनों को सत्य माना है। जब ईश्वर को हम सत्य मानते हैं तो उस का बनाया जगत् असत्य कैसे हो सकता है ऐसा सूफियों का मानना था। इसी आधार पर सूफी कवियों ने रहस्यवाद की सुन्दर अभिव्यक्ति की है।

6. सूफी काव्य में नायक के चरित्र-चित्रण की ओर विशेष ध्यान दिया। क्योंकि वहीं उनकी सम्पूर्ण सिद्धि का साधक है। इसी कारण सूफी काव्यों में नायक अनेक कठिनाइयों को पार करता हुआ लक्ष्य की सिद्धि करता है। नायक के माध्यम से ही सूफियों ने अपने विचारों का प्रचार किया।

7. सूफी कवियों ने संत कवियों की तरह नारी को साधना में बाधक नहीं माना और न ही उससे बच कर रहने का उपदेश दिया। उन्होंने तो नारी को परमात्मा रूप में चित्रित किया तथा उसे सिद्धि प्राप्त करने में सहायक माना।

8. सूफी काव्य अधिकांशतः प्रेम काव्य ही हैं अतः इस में श्रृंगार रस की प्रधानता होना स्वाभाविक ही है। सूफी काव्य में श्रृंगार की दोनों अवस्थाओं, संयोग और वियोग का सुन्दर चित्रण हुआ है किन्तु वियोग वर्णन सूफी काव्य की एक बड़ी विशेषता है। 

Post a Comment

Previous Post Next Post