अपशिष्ट किसे कहते है अपशिष्ट के प्रकार एवं वर्गीकरण ?

सरलीकृत शब्दों में, अपशिष्ट का मतलब किसी भी भौतिकवादी वस्तु से है जो अधिक उपयोगी नहीं है। अपशिष्ट एक ऐसा वस्तु है जिसकी आवश्यकता किसी एक या अनेक कारणों से व्यक्ति को नहीं होती है। इसके अलावा यह कहा जा सकता है कि अपशिष्ट ऐसा पदार्थ है जो किसी प्रक्रिया के अंतिम में बनता है और उपयोगकर्ता के लिए इसकी उपयोगिता एवं कार्य नहीं होती है। अपशिष्ट आमतौर पर ठोस एवं तरल अवस्था में पाए जाते है जो विभिन्न प्रकार के मानव और जीवों के गतिविधियों से उत्पन्न होते है और उन्हें बेकार या अवांछित माना जाता है। 

इसके अलावा उसे मानव और पशु उत्सर्जन जैसे कार्बनिक पदार्थों से लेकर धातु, प्लास्टिक और विनिर्माण उद्योग के रसायनिक उप उत्पादन के रूप में पाया जाता है। 

सभी अपशिष्ट बेकार नहीं होते है, प्रौद्योगिकी की प्रगति साथ अन्य उपयोगी उत्पादों के निर्माण के लिए अपशिष्ट पुनर्चकण/पुनः उपयोग करना संभव हो गया है। उदाहरण के लिए, कांच की सामग्री, पेपर कार्ड बोर्ड और धातुओं का पुनः उपयोग किया जा सकता है; और फलों के छिलके, बगीचे के कचरो आदि का उपयोग खाद्य (जैविक खाद्य) बनाने के लिए भी किया जा सकता है। वास्तव में वर्तमान समय में कुछ भी बेकार/अपशिष्ट नहीं है क्योंकि ज्यादातर वस्तुओं का पुनः उपयोग और पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है।

अपशिष्ट के प्रकार

प्रकृति में उनकी अवस्था के आधार पर तीन प्रकार के अपशिष्ट होते हैं। वे ठोस, तरल और गैसीय अवस्था में पाए जाते हैं। ठोस अपशिष्ट गैर घुलनशील अपशिष्ट या प्लास्टिक कांच से बने समान, खाद्य अपशिष्ट, कागज, लकड़ी, धातु, खनन अवशेष आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों से अस्वीकृत सामग्री का ठोस हिस्सा है। अधिकांश ठोस पुनर्चकण योग्य नहीं होते है और इसके निम्नीकरण में लंबा समय लगता है।

तरल अपशिष्ट कचरे कें तरल भाग होते है जिनमें शहरी अपशिष्ट जल, सीवेज, उद्योगों और लैंडफिल साइटो से अपशिष्ट, कृषि अपवाह और कृषि रसायनों की लीचिंग आदि शामिल है। तरल अपशिष्ट आमतौर पर कंटेनरों का उपयोग करके या पाइप के माध्यम नदी/जलस्रोतों में छोड़े गए सीवेज की अधिक मात्रा नाजुक/भंगुर पारिस्थितिकी तंत्र को बइदल सकती है। उदाहरणस्वरूप मछली।

गैसीय अपशिष्ट में विनिर्माण उद्योगों, रसायनिक कारखानों आदि से विभिन्न मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न गैसिय रूप में अपशिष्ट शामिल है। गैसों में मिथेन (ब्भ्4), कार्बन डाइआॅक्साइड (ब्व्2), क्लोरोफ्लोरोकार्बन (ब्थ्ब्) शामिल है, जो पर्यावरणीय समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है। जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन आदि। इस इकाई में वर्तमान चर्चा केवल अपशिष्ट तक ही सीमित है।

अपशिष्ट का वर्गीकरण

अपशिष्टों को उनके उत्पादन के स्रोतों और सामग्री के प्रकार के आधार पर मुख्य रूप से दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

1. घरेले अपशिष्टः ये अपशिष्ट घरेलू स्तर पर या घरो, अपार्टमेंट और अवासीय भवनों से उत्पन्न होते है। इनमें बचा हुआ भोजन, डिटर्जेंट के उपयोग से दूषित अपशिष्ट जल, घरेलू कचरा, राख, फर्नीचर सामग्री, कपड़े, प्लास्टिक आदि शामिल है।

2. कृषि अपशिष्टः इनमें कृषि क्षेत्र से या कृषि गतिविधि और संबंधित प्रक्रियाओं के परिणाम के कारण अपशिष्ट शामिल है। ये पौधो और जानवरों से जैविक अपशिष्ट, खराब खाद्यान कटाई के बाद फसल अवशेष, रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग के बाद दूषित पानी और अन्य कृषि अवशेष है।

3. औद्योगिक अपशिष्टः इस प्रकार के कचरे का स्रोत उद्योग, कारखानों और कई अन्य विनिर्माण प्रसंस्करण इकाई है। विभिन्न प्रकार के ठोस एवं तरह अपशिष्ट यहां से उत्पन्न होने वाले प्रमुख अपशिष्ट है। इनमें मुख्य रूप से प्रसंस्कृत अपशिष्ट, रसायन चर्म शोधन, भवन निर्माण सामग्री, कोयले और लकड़ी का जलना, लकड़ी का कोयला और राख खतरनाक ठोस एवं गैसिय अपशिष्ट औद्योगिक गतिविधियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।

4. नगर (नगरपालिका) अपशिष्टः सड़क सार्वजनिक सुविधाओं, भवनों, रेलवे लाइनों, सड़कों की सफाई, किसी क्षेत्र के भूनिर्माण आदि के निर्माण के दौरान विभिन्न नगरपालिका गतिविधियों द्वारा उत्पन्न अपशिष्टों को नगरपालिका अपशिष्ट के रूप में जाना जाता है। नगरपालिका ठोस अपशिष्ट से परिभाषित किया गया है जिसम घरेलू कचरा, वाणिज्यिक और बाजार क्षेत्र का कचरा, बूचड़खाने का कचड़ा, संस्थागत कचरा (जैसे स्कूलों, सामुदायिक हाॅल से), बागवानी अपशिष्ट (पार्को और उद्यानो से), सड़क की सफाई से निकलने वाला कचरा, जल निकासी से गाद और ट्रीटेट जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को शामिल करते है।

5. जैव-चिकित्सा अपशिष्टः अस्पतालों, क्लीनिकों, पैथेलोजी लैब, रक्त के रूप में प्रायोगिक प्रयोगशालाओं, रोगग्रस्त अंगो, चिकित्सा कार्य के दौरान उपयोग की जाने वाली सामग्री प्रयोग के दौरान जहरीली गैसो और ऐसी कई वस्तुओं से निकलने वाली अपशिष्ट को जैव-चिकित्सा अपशिष्ट कहा जाता है। प्राकृतिक आपदाओं से अपशिष्टः प्राकृतिक या मानव जनित आपदाओं के घटना के बाद, विभिन्न सामग्री अपशिष्ट के रूप में पीछे रह जाती है। इसमें ज्वालामुखी विस्फोटो से लावा और राख, भूकंप-भूस्खलन के बाद भवनों के मलबे और बाढ़ चक्रवात/सुनामी, आग, संरचनात्मक पतन के कारण पीछे छोड़े गए विभिन्न अवशेष शामिल है।

6. जैव अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल) अपशिष्ट - ये अपशिष्ट कार्बनिक पदार्थो के वे बचे हुए पदार्थ है जो जटिल से सरल यौगिकों में अवक्रमित हो जाते हैं। इनमें कागज, कपड़ा, लकड़ी खाद्य अपशिष्ट, फल और सब्जी के छिलके आदि शामिल है। ये घरेलू, औद्योगिक एवं व्यवसायिक स्तरों पर विभिन्न मानवीय क्रियाकलापों के परिणामस्वरूप भी उत्पन्न होते हैं। 

7. अजैव अपघटनिय (गैर-वायोडिग्रेडेबल)- इस अपशिष्ट में अकार्बनिक और कुछ हद तक पुनः प्रयोज्य अपशिष्ट उत्पाद शामिल है। इसमें प्लास्टिक अपशिष्ट, कांच का कचरा, डिब्बे धातु आदि शामिल है।

इन अपशिष्ट को आगे विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट के अन्तर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है, जो इस प्रकार है- 
  1. सामान्य अपशिष्टः यह विभिन्न सामाग्रियों और वस्तुओं को बनाने, बेचने, तैयार करने, संभालने, निर्यात करने और निस्तारण की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। इसमें ठोस के साथ-साथ तरल अपशिष्ट भी शामिल है जिनने असहनीय गंध हो सकती है। इसके अलावा, यह विभिन्न कीड़ों, चूहों, सुअरों को आकर्षित करता है, जिसके कारण इसके सामाजिक प्रबंधन के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
  2. स्ट्रीट अपशिष्टः सार्वजनिक स्थलों जैसे सड़कों, पार्को, पार्किंग क्षेत्रों, खाली क्षेत्रों आदि से एकत्र किया गया अपशिष्ट आते है। इसमें भारी गंदगी धूल, पौधों के पŸो, प्लास्टिक के खोल, प्लास्टिक की बोतले आदि शामिल हैं।
  3. प्लास्टिक अपशिष्टः विभिन्न उत्पादो और समानों को प्लास्टिक से विभिन्न तरीकों से बनाया और बेचा जाता है जैसे बैग या पानी की बोतलों जो अक्सर उपयोग की जाती है। ये प्लास्टिक ज्यादातर सिंगल यूज (एक बार प्रयोग में आने वाली) प्लास्टिक होते है और इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाते हैं। यह एकल उपयोग प्लास्टिक दुनिया भर में विभिन्न पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार प्रमुख समस्याओं में से एक है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  4. फार्म अपशिष्टः फार्मअपशिष्ट कृषि अपशिष्ट के समान है जैसाकि उपर चर्चा की गई है। इसके अलावा, कृषि मृदा और भूजल प्रदूषण के प्रबंधक के संदर्भ में यह फार्म अपशिष्ट एक गंभीर समस्या बन गए है। कृषि योजनाकारों के सामने वह एक महत्वपूर्ण चूनौती है।
  5. ई अपशिष्टः इलेक्ट्रानिक उत्पादों पर मानव की अत्यधिक निर्भरता के कारण इलेक्ट्रानिक अपशिष्ट पैदा हुआ है। भारत के पर्यावरण और वन मंत्रालय के अनुसार इलेक्ट्रोनिक अपशिष्ट में इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्राॅनिक उपकरणों और घरेलू उपकरणों से उत्पन्न अपशिष्ट शामिल है, जो उनके इच्छित उपयोग के उपर्युक्त नहीं है और रिकवरी, रीसाइक्लिंग एवं निस्तारण के लिए नियत हैं। टेलीविजन, कम्प्यूटर, रेफ्रिजरेटर, मोबाइल फोन और एयर कंडीशनर जैसे विभिन्न इलेक्ट्रानिक उपकरण आज के मानव जीवन में सर्वव्यापी हो गए है। उनसे जुड़ी सामग्री जैसे कम्प्यूटर हार्डवेयर घरों और कार्यालयों ने इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रानिक उपकरण जैसे मोबाइल, पेन ड्राइव, लोहा बिजली के प्लग, तार टेलीविजन आदि सभी ई-अपशिष्ट है।
  6. परमाणु अपशिष्टः परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से विभिन्न प्रकार के परमाणु अपशिष्ट हथियारों के निर्माण के समय, प्रयोगों और उनके परिक्षण आदि के दौरान उत्पन्न होते है जो परमाणु अपशिष्ट की श्रेणी में शामिल होते हैं।
  7. खतरनाक अपशिष्टः खतरनाक अपशिष्ट वो होते है जिन्हे औद्योगिक संस्थागत या उपभोक्ता के अपशिष्ट के रूप में परिभाषित किया जाता है। उपर चर्चा किए गए प्रकारो के अलावा भी अपशिष्ट की सूची काफी लंबी है और अन्य प्रकार के अपशिष्ट की भी पहचान की जा सकती है।

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