बेरोजगारी से आशय एक ऐसी स्थिति से है जिसमें व्यक्ति वर्तमान मजदूरी की दर पर काम करने को तैयार
होता है परन्तु उसे काम नहीं मिलता। किसी देश में बेरोजगारी की अवस्था वह अवस्था है जिसमें देश में बहुत-से
काम करने योग्य व्यक्ति हैं परन्तु उन्हें विभिन्न कारणों से काम नहीं मिल रहा है।
बेरोजगारी का अनुमान
लगाते समय केवल उन्हीं व्यक्तियों की गणना की जाती है जो काम करने के योग्य हैं (i) काम करने के इच्छुक हैं तथा (ii) वर्तमान मजदूरी पर काम करने के लिए तैयार हैं। उन व्यक्तियों को जो काम करने के योग्य
नहीं हैं जैसे- बीमार, बूढ़े, बच्चे, विद्यार्थी आदि को बेरोजगारी में सम्मिलित नहीं किया जाता। इसी प्रकार जो लोग
काम करना ही पसन्द नहीं करते, उनकी गणना भी बेरोजगारों में नहीं की जाती है।
1. ब्रिटिशों ने भारत को अपना उपनिवेश
बनाकर इसके प्राकृतिक संसाधनों का शोषण किया। उनके शासन के दौरान, आधुनिक उद्योगों के विकास की ओर कोई
प्रयास नहीं किया गया। छोटे पैमाने के उद्योगों को नष्ट कर दिया गया। परिणामस्वरूप भारतीय गरीब हो गए।
प्रो. पीगू के अनुसार, एक व्यक्ति को उस समय ही बेरोजगार कहा जायेगा जब उसके पास रोजगार का कोई साधन नहीं है परन्तु वह रोजगार
प्राप्त करना चाहता है।
भारत में बेरोजगारी के कारण
2. अब तक हमने
अपने प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल नहीं किया है। हमारे देश के संसाधनों का या तो अल्प प्रयोग
हुआ है या फिर बिल्कुल ही इस्तेमाल नहीं किया गया है। बहुत अधिक मात्रा में जल, वन, उर्जा और खनिज
संसाधनों को पूरी तरह इस्तेमाल नहीं किया गया है।
3. भारत में कृषि में पिछड़ी हुई
तकनीकी का इस्तेमाल किया जाता है यहाँ पर्याप्त साधनों जैसे- जल, उर्वरक, खाद, कीटनाशक और उन्नत बीजों
आदि की कमी है। परिणामस्वरूप, प्रति हैक्टेयर और प्रति श्रमिक उत्पादकता बहुत कम है। जिससे किसानों की
स्थिति हमेशा खराब रहती है।
4. गरीबी भी बेरोजगारों की बढ़ती हुई संख्या के साथ बढ़ती जा रही है।
बेरोजगारी के कारण कार्यशील जनसंख्या पर निर्भर लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे प्रति व्यक्ति उपभोग
व्यय घटता जा रहा है और अधिक संख्या में लोग गरीबी की रेखा के नीचे रह रहे हैं।
5. पूँजी की निम्न प्रति व्यक्ति उपलब्ध्ता के कारण और निम्न पूँजी निर्माण
के कारण देश में पूँजी की कमी हैं परिणामस्वरूप, कुल उत्पादन और प्रति श्रमिक उत्पादकता भारत में गिरी है।
6. भारत में गरीबी के लिए जिम्मेदार एक कारण तकनीकी
का निम्न स्तर भी है। निर्माण, उद्योग और कृषि क्षेत्र में निम्न प्रौद्योगिकी होने के कारण प्रति श्रमिक उत्पादकता
भी निम्न स्तर की है और जिससे अर्थव्यवस्था गरीबी की स्थिति में है।
7. देश में मुद्रा स्फीति ने भी गरीब लोगों की संख्या को बढ़ाया है। स्फीति वस्तु
की कीमत को बढ़ा देती है। जब कीमतें बढ़ती हैं, मुद्रा की क्रय शक्ति कम हो जाती है और जिससे गरीब
और मध्यम आय वर्ग के लोगों पर बुरा असर पड़ता है। मुद्रा के मूल्य में कमी होने से गरीब लोग कम मात्रा
में वस्तुएँ खरीदते हैं जिससे उनकी दशा और खराब हो जाती है।
8. हमारी सामाजिक वुफप्रथायें, जन्म-मरण, विवाह की रूढि़वादी परंपरायें,
अनुत्पादक खर्चे, झूठी प्रतिष्ठा के लिये अनावश्यक ट्टण आदि भी हमारी गरीबी के लिए जिम्मेदार हैं।
9. अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर की
तुलना में जनसंख्या की वृद्धि दर बहुत तेज रही है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि दर के कारण प्रति व्यक्ति आय
और उपभोग व्यय बढ़ नहीं सका है।
10. उत्पादन के साधनों और
मौद्रिक आय के वितरण की असमानता के कारण भी भारत में गरीबी पाई जाती है। संपत्ति और उत्पादन के
साधन कुछ ही हाथों में केंद्रित हैं। जिससे अधिकतर लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं।
11. भारत गरीबी के कुचक्र में फसा है और ये गरीबी
का कारण और परिणाम दोनों ही हैं। गरीबी एक अभिशाप है, लेकिन इससे भी बड़ा अभिशाप यह है कि ये
खुद ही अपने आप को पैदा करती है।
12. भारत में अर्थव्यवस्था
की वृद्धि दर और जनसंख्या वृद्धि दर को देखते हुए आर्थिक विकास की दर बहुत कम है। आर्थिक वृद्धि की उच्च दर ही गरीबी को दूर कर सकती है। दुर्भाग्यवश इसे अभी तक प्राप्त नहीं किया जा सका है।
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