बालक के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के उपाय

मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ-जब व्यक्ति कोई मानसिक बीमारी से न हो तो उसे मानसिक रूप से स्वस्थ समझा जाता है और उसकी इस अवस्था को मानसिक स्वास्थ्य की संज्ञा दी जाती है।

बालक के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के उपाय 

बालक के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में परिवार, विद्यालय तथा समाज का विशेष योगदान है। बालक के मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने तथा उन्नति करने में सहायता देने वाले कारक या उपाय हैं- 

1. परिवार के कार्य - मानसिक स्वास्थ्य में परिवार का सबसे अधिक महत्व है। परिवार मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने में निम्न रूप से सहायक हो सकता है- 

1. परिवार को बालक की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तथा उसकी रुचि, आकांक्षा और मानसिक योग्यता के विकास के लिए पूर्ण अवसर, सुविधा और वातावरण प्रदान करना चाहिए। 

2. बालक के मानसिक स्वास्थ्य को बनाने के लिए परिवार का वातावरण शान्तिपूर्ण होना चाहिए तथा परिवार के सभी सदस्यों में परस्पर प्रेम और सद्भावनाएँ होनी चाहिए। बालक को रुचि के अनुसार कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। माता-पिता का मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा होना चाहिए। 

2. विद्यालय के कार्य - विद्यालय में शिक्षक का कार्य बड़ा महत्त्वपूर्ण होता है। वह बालकों के मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में तथा मानसिक अस्वस्थता को रोकने के लिए निम्न कारकों पर ध्यान देकर सहायता कर सकता है। विद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य की उन्नति के लिए इन बातों पर ध्यान देना चाहिए- 

1. विद्यालय में नियमित शारीरिक शिक्षा, भोजन, विश्राम, खेलकूद, व्यायाम, स्वच्छता तथा रोगों के उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए। 

2. शिक्षक को बालकों से नम्र, शिष्ट और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। शिक्षक को सभी विद्यार्थियों से बिना किसी भेदभाव के समान व्यवहार करना चाहिए। 

3. भय, दण्ड, दमन और कठोरता की नीति नहीं अपनानी चाहिए। बालकों में आत्मानुशासन की भावना जाग्रत करने के लिए उन्हें विद्यालय के उत्तर दायित्वपूर्ण कार्य करने के लिए देना चाहिए। 

4. पाठ्यक्रम बालक की आयु, रुचि और आवश्यकता के अनुकूल और लचीला हो। पाठ्यक्रम में इस प्रकार के विषय हों जिससे विद्यार्थी के व्यक्तित्व के समस्त पहलुओं पर स्वस्थ और संतुलित विकास हो सके। 

5. विद्यार्थियों को बहुत अधिक गृह-कार्य नहीं देना चाहिए। गृह-कार्य के बोझ से उन्हें सदा चिन्ता लगी रहती है कि विद्यालय में गृह-कार्य न करके ले जाने पर दण्ड मिलेगा। इससे उनके मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 

6. पाठ्य-विषयान्तर क्रियाओं का आयोजन-विद्यालय में खेलकूद, मनोरंजन, स्काउटिंग एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए। इन क्रियाओं के द्वारा बालकों की मूल-प्रवृत्तियों, प्रेरणाओं और इच्छाओं को स्वस्थ रूप में व्यक्त होने का अवसर मिल जाता है। 

8. बालकों को उनकी रुचि और योग्यता के अनुसार विषय चुनने में सहायता करना चाहिए। 

12.बालक के नैतिक और चारित्रिक विकास के लिए धर्म और नीति संबंधी बातों से भी उसे समय-समय पर अवगत कराते रहना चाहिए। इससे वे स्वस्थ भावनाओं और अच्छे आदर्शों को सहजता से अपनाते हैं। 

13. मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी आदतों का निर्माण आवश्यक है। शिक्षक को बालकों में नियमित जीवन, संतुलित खान-पान तथा सादा जीवन उच्च विचार की आदतों को डालने का प्रयत्न करना चाहिए। 

15. बालकों को अच्छा नागरिक बनाने की शिक्षा आरंभ से ही विद्यालय में देनी चाहिए। समाज का सदस्य होने के नाते, सामाजिक गुणों के विकास के लिए विविध विषयों के माध्यम से तथा विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा आदर्श नागरिकता एवं सामाजिकता की शिक्षा देनी चाहिए। 

मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए उपर्युक्त उपाय मानसिक अस्वस्थता की रोकथाम के साधारण उपाय हैं।

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