नेहरू महालनोविस माॅडल की विशिष्ट उपलब्धियां और कमियां

नेहरू महालनोविस माॅडल

नेहरू विकास माॅडल की विशिष्ट उपलब्धियां इस प्रकार हैं 
  1. कृषि उत्पादकता में भारी वृद्धि के कारण उर्वरक व तकनीकी का प्रयोग जिससे देश में खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता। 
  2. भारत में औद्योगिक क्षमता के विस्तार को कारण पूंजी वस्तुओं में कामगार व सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका। 
  3. संचालन शक्ति, सिचाई, परिवहन एवं संचार आदि के रूप में आर्थिक अवसंरचना का विकास। 
  4. आधुनिक औद्योगिक ढांचे को चलाने हेतु विकास एवं अनुसंधान और तकनीकी व प्रबन्धकीय कार्यों की स्थापना।

नेहरू महालनोविस में औद्योगिकरण पर बल देने का कारण

1. आधारिक व मूलभूत उद्योगों के विकास द्वारा ही तीव्र औद्योगिकरण को प्राप्त किया जा सकता है। यह आगामी विकास की पृष्ठभूमि को तैयार करते हैं। 

2. औद्योगिक क्षेत्रा के विकास से अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों को मदद मिलती है जैसे औद्योगिक क्षेत्रा में कृषिजन्य वस्तुओं की मांग तो बढ़ती है साथ ही साथ कृषि विकास के लिए भी कृषि आदानों से सम्बन्धित उद्योगों का विकास होता है। 

3. कृषि पर जनसंख्या की निर्भरता कम करने हेतु औद्योगिक विकास आवश्यक था। 

4. 1956 में अर्थव्यवस्था में असंतुलन व्याप्त था, औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ापन था इसलिए नये उद्योगांें की स्थापना और विद्यमान उद्योगों का विकास एवं विस्तार आवश्यक था। इसके लिये उत्पादन तथा तकनीकी क्षमता को बढ़ाने हेतु औद्योगिकरण की नीति को अपनाना आवश्यक था। 

5. उद्योगों की स्थापना से रोजगार संभावनाओं का सृजन किया जा सके और साथ ही प्रति व्यक्ति उत्पादकता बढ़ायी जा सके। 

6. औद्योगिक विकास के द्वारा यातायात एवं संवहन के साधनों और शक्ति के उत्पादकता को भी गति प्रदान कर सके।

नेहरू-महालनोविस माॅडल की कमियां

भारी उद्योगों पर आधारित नेहरू विकास माॅडल में कई कमजोरियां थी। तीन दशकों के आयोजन के बावजूद यह राष्ट्रीय न्यूनतम जीवन स्तर उपलब्ध कराने में असफल रहा। 40 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या निर्धनता स्तर के नीचे रह रही थी। बेरोजगार और अल्प रोजगार व्यक्तियों की संख्या बहुत ज्यादा रही, और यह लगातार बढ़ रही थी। आय तथा सम्पत्ति की असमानतायें और गंभीर होती जा रही थी। कुछ लोगों के हाथों में आर्थिक शक्ति का सकेन्द्रण बढ़ता जा रहा था। भू-सुधारों को सही ढंग से लागू नहीं किया गया और इस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत अधिक असंतोष रही। इन सबके अतिरिक्त देश में कभी एक और कभी दूसरी वस्तु का अभाव बना रहा है। और इसके परिणामस्वरूप देश में एक भयंकर स्पफीतिकारी दबाव पैदा हो गया। 

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