पीटर महान की उपलब्धियां

रूस का पीटर महान (1689-1725 ई0) यूरोप का महान शासक था। पीटर तेज स्वभाव का और परिश्रमी मनुष्य था। रूस इस समय तक यूरोप का एक पिछड़ा हुआ देश था। रूस के पास न अच्छी सेना थी और न अच्छे जहाज थे। रूस का मुख्य व्यवसाय कृषि था। पीटर ने अपने देश की उन्नति करने का दृढ़ निश्चय किया। उसने निश्चय कर लिया कि वह अपने देश को यूरोप के अन्य देशों की तरह प्रगतिशील बनाएगा। वह इसी विचार से जर्मनी, इंग्लैण्ड और हाॅलैण्ड की यात्रा करने भी गया। अपनी यूरोप यात्रा से लौटते समय वह अपने साथ अच्छे-अच्छे कारीगर, कलाकार, जहाज बनाने एवं चलाने वाले और वैज्ञानिकों को लाया था। रूस की सेना में अब तक सरकारी सैनिक नहीं थे। अब उसने अपनी एक अलग सेना बनायी, जो उसके लिये प्राण न्योछावर करने को सदैव तत्पर रहती थी उसने उसके सहयोग से अपने प्रत्येक उद्देश्य में सफलता पायी। वह अपने देश में यूरोप की नई सभ्यता लाना चाहता था। 

अतः उसने अपने देश की प्रजा को यूरोपियन ढंग के कपड़े पहनने को विवश किया। अपने बड़े-बड़े सरदारों की दाढ़ी-मूँछें अपने हाथ से काट डालीं और दाढ़ी का रखना एक अपराध घोषित कर दिया। वह उन लोगों पर जुर्माने करता था जो दाढ़ी रखने के लिए अन्य लोगों की प्रोत्साहन देते थे। उसने लम्बे लबादे हटवा दिये और उसके स्थान पर सब लोगों को जाकिट या कोट पहनने की आज्ञा दी। उसने बहुत से पुराने रीति-रिवाज भी समाप्त कर दिये।

धर्म के विषय में भी उसने अच्छा सुधार किया। चर्च का शासन उसने प्रधान पैट्रिआर्क के हाथ से लेकर एक धार्मिक समिति को सौंप दिया, जिसके सदस्य जार रूस के शासक के प्रभाव में थे। इस सुधार से रूस का चर्च जार का समर्थक एवं सहायक बन गया। अपने देश का विस्तार करने एवं शक्ति बढ़ाने के लिये उसने काले सागर के तट पर तुर्की के बन्दरगाह ‘एजोफ’ को ले लिया। उसने यह निश्चय कर लिया था कि यदि उसका देश उन्नति करना चाहता है, तो उसको समुद्र के तट पर कहीं न कहीं अपने जहाजों के लिये बन्दरगाह प्राप्त करने चाहिए। अच्छे बन्दरगाह की खोज में उसने बाल्टिक सागर के तट पर पेट्रोग्राड नामक नगर बसाया, जो अब लेनिनग्राड कहलाता है। इसके विषय में पीटर कहा करता था कि मैंने पश्चिम की ओर एक खिड़की खोल दी है। उसने बन्दरगाहों की प्राप्ति के लिये कई देशों से लड़ाइयाँ भी कीं। उसने स्वीडन से कई ऐसे क्षेत्र छीन लिए जो रूस और बाल्टिक सागर के बीच में थे। इससे रूस को अब समुद्र तक पहुँचने का मौका मिल गया। 

पीटर महान् के समय से रूस की गणना यूरोप के महान् शक्तिशाली देशों में होने लगी। उसने इतने सुधार किये कि रूस में इतने कभी नहीं हुये थे। उसने रूस की सीमा को बाल्टिक सागर तथा काला सागर तक पहुँचा दिया। रूस जो अब तक केवल एक कृषि-प्रधान देश था, अब देश उद्योग-धंधे और वाणिज्य में उन्नति करने लगा।

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