सूक्ष्म शिक्षण का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, सिद्धांत, आवश्यकता

आज के युग को तकनीकी का युग कहा जाता हैं, जिसमें प्रत्येक क्षेत्र में सुधार किया जा रहा है तो अध्यापन का क्षेत्र भी इससे अछूत नहीं हैं अध्यापन को भी प्रभावशाली तथा आकर्षित करने के लिए प्रशिक्षु से सूक्ष्म शिक्षण करवाना भी शिक्षक प्रशिक्षण के क्षेत्र में आता हैं. सूक्ष्म शिक्षण एक ऐसी कड़ी हैं जिसमें विभिन्न शिक्षण कौशलों का अभ्यास सूक्ष्म शिक्षण द्वारा करवाया जाता हैं. जिससे की छात्र अध्यापक या छात्र अध्यापिका कक्षा में जाकर विवेकपूर्ण शिक्षण करवा सकें

सूक्ष्म शिक्षण का अर्थ 

शिक्षक व्यवहार में सुधार के लिए अपनाई जाने वाली प्रविधियों में से सूक्ष्म शिक्षण भी हैं. यह एक प्रशिक्षण प्रणाली हैं जिसका प्रयोग अध्यापकों को कक्षा अध्यापन प्रक्रियाओं की शिक्षा देने हेतु किया जाता हैं. सूक्ष्म शिक्षण वास्तविक शिक्षण हैं, परन्तु इस प्रणाली में साधारण कक्षा अध्यापन की जटिलताओं को कम कर दिया जाता हैंइससे प्रतिपुष्टि द्वारा अभ्यास को नियंत्रित किया जा सकता हैं

सूक्ष्म शिक्षण की परिभाषा

1. डी.एलन के अनुसार, - ” सूक्ष्म शिक्षण समस्त शिक्षण का लघु क्रियाओं में बाँटना हैं

2. बुश के अनुसार, - ” सूक्ष्म शिक्षण शिक्षक प्रशिक्षण की प्रविधि हैं जिसमें शिक्षक स्पष्ट रूप से परिभाषित शिक्षण कौशलों का प्रयोग करते हुए, ध्यानपूर्वक पाठ तैयार करता हैं. नियोजित पाठों के आधार पर 5 से 10 मिनट तक वास्तविक छात्रों के छोटे समूह के साथ अत: क्रिया करता है जिसके परिणामस्वरूप वीडियो टेप पर प्रेक्षण प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता हैं

3. मैक कॉलेज के अनुसार, - ” सूक्ष्म शिक्षण, अध्यापन अभ्यास से पूर्व कक्षागत क्षमताओं एवं कुशलताओं को प्राप्त करने का अवसर हैं

4. एलेन एवं ईव के अनुसार, - ” सूक्ष्म अध्यापन नियंत्रित अभ्यास का सत्र हैं,जिसमें एक विशिष्ट अध्यापन व्यवहार का नियंत्रित दशाओं में सीखना सभंव हैं

उपरोक्त परिभाषाओं से पूर्ण रूप से सूक्ष्म शिक्षण का अर्थ स्पष्ट हो जाता हैं. वास्तव में सूक्ष्म शिक्षण में एक-एक कौशल को छोटी-छोटी इकाइयों में विभाजित करके प्रत्येक का बारीकी से प्रशिक्षण कराया जाता हैं. उनके लिए यह एक प्रशिक्षण विधि हैं जिसमें शिक्षण की जटिलताओं को समिति किया जाता हैं अर्थात एक समय में एक ही शिक्षण कौशल का अभ्यास करवाया जाता हैं

सूक्ष्म शिक्षण के उद्देश्य 

सूक्ष्म शिक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित हैं –
  1. एक शिक्षक प्रशिक्षु को कई कौशल में योग्य बनाना।
  2. एक शिक्षक प्रशिक्षु को अपने ज्ञान को आत्मसात करने में योग्य बनाना।
  3. एक शिक्षक को अपने शिक्षण में विश्वास करने योग्य बनाना।
  4. शिक्षार्थियों को नए कौशल सिखाने के योग्य बनाना।

सूक्ष्म शिक्षण के सिद्धांत 

सूक्ष्म शिक्षण के सिद्धांत निम्न हैं –
  1. यह वास्तविक अध्यापन हैं।
  2. इनमें एक समय पर एक ही कौशल के प्रशिक्षण पर बल दिया जाता हैं।
  3. अभ्यास के प्रशिक्षण पर नियंत्रण रखा जा सकता हैं।
  4. पृष्ठपोषण के प्रभाव की परिधि विकसित होती हैं।

सुक्ष्म शिक्षण की आवश्यकता

सूक्ष्म शिक्षण की आवश्यकता निम्नलिखित हैं-
  1. यह शिक्षकों में आत्मविश्वास बनाये रखता हैं।
  2. इसमें अधिक नियन्त्रण और नियंत्रित शिक्षण अभ्यास शामिल है।
  3. सूक्ष्म शिक्षण से प्रभावी शिक्षण अभ्यास तथा प्रभावी शिक्षक तैयार किये जाते हैं।
  4. यह कक्षा का समय, कक्षा का अनुशासन, कक्षा का आकार जैसे समस्याओं को कम करता हैं।
  5. यह विभिन्न प्रकार के कौशल आत्मसात करने में सहायक हैं।
इस प्रकार सूक्ष्म शिक्षण एक शिक्षक प्रशिक्षु को बेहतर बनाने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाता हैं. साथ-ही-साथ शिक्षण को प्रभावशाली बनाता हैं तथा शिक्षार्थियों में विशिष्ट कौशल को बढ़ाता हैं।

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