सृजनशील व्यक्ति की विशेषताएं एवं मापन

प्रत्येक व्यक्ति में किसी न किसी प्रकार की मानसिक योग्यता होती है। जिसके आधार पर वह लेखक, कलाकार वैज्ञानिक तथा संगीतज्ञ इत्यादि बनता है। मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सृजनात्मकता की अभिव्यक्ति होती है। 

सृजनशील व्यक्ति की विशेषताएं 

मनोवैज्ञानिकों ने सृजनशील व्यक्ति की विशेषताओं को समझने के लिए अनेक अध्ययन किये जिसमें मुख्य रूप से व्यक्तित्व परीक्षणों तथा जीवन के अनुभवों का प्रयोग किया गया। मेकिनन तथा उनके सहयोगियों ने वैज्ञानिकों, आविष्कारकों तथा विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों का अध्ययन करके कुछ गुणों का निर्धारण किया।
  1. कम बुद्धि वाले व्यक्तियों में सृजनात्मकता चिन्तन नहीं के बराबर होता है। 
  2. सृजनशील व्यक्तियों में अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा वातावरण के प्रति संवेदना अधिक पायी जाती है।
  3. सृजनशील व्यक्तियों के विचारों तथा क्रियाओं में स्वंत्रता देखी जाती है। 
  4. ये व्यक्ति किसी भी घटना, चीज व वस्तु को गंभीरता से नही होते है वरन् प्रत्येक कार्य को मनोविनोद से करते हैं। 
  5. सृजनशील व्यक्ति किसी भी विषय पर अधिक विचार व्यक्त करते है। 
  6. सृजनात्मकता व्यक्तियों में अन्य व्यक्तियों ज्यादा लचीलापन पाया जाता है। 
  7. सृजनात्मकता विचारको में हमेशा एक नवीन जटिल समस्या का समाधान करते हैं। चिन्तन के आधार पर नयी चीज व घटना की खोज करते है। 
  8. सृजनशील व्यक्ति अपनी इच्छाओं का कम से कम दमन करते हैं। ऐसे व्यक्ति इस बात की परवाह नही करते हैं कि दूसरे व्यक्ति क्या सोचेंगे तथा वे अपनी इच्छाओं तथा आवेगों का आदर करते है। 
  9. सृजनशील व्यक्ति अपने विचारों को खुलकर अभिव्यक्त करते हैं तथा उन्हें तर्कपूर्ण तरह से प्रस्तुत करते हैं। 
  10. सृजनशील व्यक्ति रूढ़िवादी विचारों को सन्देह की दृष्टि से देखते हैं।
  11. सृजनात्मकता व्यक्ति विभिन्न प्रकार की बाधाओं को दूर करते हुए धैर्यपूर्वक अपना कार्य करते हैं।
  12. सृजनात्मकता व्यक्तियों में अपने कार्य के प्रति आत्मविश्वास पाया जाता है ऐसे व्यक्ति लक्ष्य के प्रति संवेदनशील होते है।

सृजनात्मकता का मापन

सृजनात्मकता व्यक्ति का घनात्मक गुण है अत: मनोवैज्ञानिकों ने इसकी माप के लिए विभिन्न परीक्षण बनाये हैं। परन्तु सबसे प्रचलित टारेंस का परीक्षण है। सृजनात्मकता को मापने के लिए टारेन्स ने 1966 में एक परीक्षण बनाया जो अत्यन्त लोकप्रिय साबित हुआ। इस परीक्षण के दो भाग है - शाब्दिक भाग तथा आकृतिक भाग। शाब्दिक भाग के सात उपभाग है। प्रत्येक उपभाग अपने में पूर्ण है तथा सर्जनात्मकता का मापन करने में सक्षम है।

1. पूछना तथा अनुमान करना - इस उपभाग में व्यक्ति को एक तस्वीर या आकृति दी जाती है तथा उससे यह अनुमान लगाने को कहा जाता है कि यह आकृति किस तरह से तथा किन कारकों से बनी है तथा तस्वीर में आगे क्या होने वाला है। इस उपभाग को पूर्ण करने की समय 5 मिनट है।

2. कारण- इस उपभाग की समय सीमा भी 5 मिनट है इसमें एक तस्वीर दी गयी है जिसे देखकर एक कहानी लिखनी होती है।

3. उत्पादन उन्नति - इस उपभाग में 6 मिनट में व्यक्ति को दिये गये खिलौने से कुछ ऐसा करने का सुझाव देने को कहा जाता है जिससे वह कुछ अजूबा दिखायी दे।

4. अनुमानित परिणाम- इस उपभाग की समय सीमा 5 मिनट है।

5. असाधारण उपयोग - इसमें व्यक्ति से साधारण वस्तु जैसे टीन आदि के असाधारण उपयोग जो उसके मन में आ सकते हैं लिखने को कहा जाता है। इस उपभाग की समय सीमा 10 मिनट है।

6. असाधारण प्रश्न- इस उपभाग की समयसीमा 5 मिनट है। इसमें व्यक्ति को टीन के बक्से को देखकर जितने प्रश्न आते है उन्हें लिखना है।

7, मान लीजिए- इसमें व्यक्ति के सामने एक असम्भव स्थिति दी जाती है तथा यह पूछा जाता कि इस असम्भव स्थिति के उत्पन्न हो जाने पर क्या होगा। आकृति भाग में व्यक्ति की सृजनात्मकता के मापन के लिए तीन उपपरीक्षणों का प्रयोग किया जाता है।
  1. आकृति बनाना- इसमें व्यक्ति को एक आकृति को बनाना है तथा उसका शीर्षक भी लिखना है।
  2. आकृति पूर्ण करना- इसमें 10 मिनट में दस अपूर्ण चित्रों को पूर्ण करना है साथ ही उसका शीर्षक भी लिखना है।
  3. सामान्तर रेखा- इसमें दस सामान्य रेखाओं के युग्म दिये जाते हैं जिसे आधार मानकर उसे पूर्ण करना है अथवा आकृति बनानी है।

Post a Comment

Previous Post Next Post