वर्णनात्मक अनुसंधान किसे कहते हैं ?

वर्णनात्मक अनुसंधान का उद्देश्य किसी अध्ययन विषयक के बारे में यर्थात तथा तथ्य एकत्रित करके उन्हें एक विवरण के रूप में प्रस्तुत करना होता है। सामाजिक जीवन के अध्ययन से सम्बन्धित अनेक विषय इस तरह के होते है जिनका अतीत में को गहन अध्ययन प्राप्त नहीं होता ऐसी दशा में यह आवश्यक होता है कि अध्ययन से सम्बन्धित समूह समुदाय अथवा विषय के बारे में अधिक से अधिक सूचनायें एकत्रित करके उन्हें जनसामान्य के समक्ष्य प्रस्तुत की जाये ऐसे अध्ययनों के लिए जो अनुसंधान किया जाता है। उसे वर्णनात्मक अनुसंधान कहते है।

इस प्रकार के अनुसंधान में किसी पूर्व निर्धारित सामाजिक घटना, सामाजिक परिस्थिति अथवा सामाजिक संरचना का विस्तृत विवरण देना होता है। अनुसंधान हेतु चयनित सामाजिक घटना या सामाजिक समस्या के विभिन्न पक्षों से सम्बन्धित तथ्यों को एकत्रित करके उनका तार्किक विश्लेषण किया जाता है, एवं निष्कर्ष निकाले जाते हैं। तथ्यों को एकत्रित करने के लिये, प्रश्नावली, साक्षात्कार अथवा अवलोकन आदि किसी भी प्रविधि का प्रयोग किया जा सकता है। 

ऐसे अनुसंधान को स्पष्ट करने के लिये जन गणना उपक्रम का उदाहरण लिया जा सकता। जन गणना में भारत के विभिन्न प्रान्तों में भिन्न-भिन्न विशेषताओं से युक्त समूहों का संख्यात्मक तथा, आंशिक तौर पर, गुणात्मक विवरण दिया जाता है।

वर्णनात्मक अनुसंधान के चरण

  1. अध्ययन विषय का चुनाव
  2. अनुसंधान के उद्देश्यों का निर्धारण
  3. तथ्य संकलन की प्रविधियों का निर्धारण
  4. निदर्षन का चुनाव
  5. तथ्यों का संकलन
  6. तथ्यों का विश्लेषण
  7. प्रतिवेदन को प्रस्तुत करना

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