वातावरण किसे कहते हैं? वातावरण की परिभाषा, अर्थ एवं प्रभाव।

वातावरण का अर्थ पर्यावरण हैं. पर्यावरण दो शब्दों – परि एवं आवरण के मिलने से बना हैं. परि का अर्थ होती हैं चारों ओर, आवरण का अर्थ होता हैं ढकना या घेरना. इस प्रकार पर्यावरण का अर्थ होता हैं चारों ओर से घेरने वाला. प्राणी या मनुष्य, जल, पानी, हवा, पेड़-पौधे, जीव-जंतुओं आदि सब मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं

मानव विकास में जितना योगदान आनुवंशिकता का है उतना ही वातावरण का भी, इसलिए कुछ मनोवैज्ञानिक वातावरण को सामाजिक वंशानुक्रम भी कहते हैं. व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिक ने वंशानुक्रम से अधिक वातावरण को महत्व दिया हैं

वातावरण की परिभाषा

1. एनास्टैसी के अनुसार – “पर्यावरण वह हर चीज है, जो व्यक्ति के जीवन के अलावा उसे प्रभावित करती हैं”।

2. जिसबर्ट के अनुसार – “जो किसी एक वस्तु को चारों ओर से घेरे हुए है तथा उस पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता हैं वह पर्यावरण होता हैं”।

3. हालैण्ड एवं डगलस के अनुसार – “जीव-जगत के प्राणियों के विकास, परिपक्वता, प्रकृति, व्यवहार तथा जीवन शैली को प्रभावित करने वाले बाह्य समस्त शक्तियों, परिस्थितियों तथा घटना को पर्यावरण में सम्मिलित किया जाता हैं और उन्हीं की सहायता में पर्यावरण का वर्णन किया जाता हैं”।

वातावरण का प्रभाव 

वातावरण के प्रभाव निम्न हैं –

1. शारीरिक अंतर का प्रभाव – व्यक्ति के शारीरिक लक्षण वैसे तो वंशानुगत होते है, किन्तु इस पर वातावरण का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का कद छोटा होता हैं, जबकि मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का शरीर लम्बा एवं गठीला होता हैं।

2. प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव – कुछ प्रजातियों की बौद्धिक श्रेष्ठता का कारण वंशानुगत न होकर वातावरणीय होता हैं. ये लोग इसलिए अधिक विकास कर पाते हैं, क्योंकि उनके पास श्रेष्ठ शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक वातावरण उपलब्ध होता हैं।

3. उदाहरणस्वरुप – यदि एक महान व्यक्ति के पुत्र को ऐसी जगह पर छोड़ दिया जाए, जहाँ शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक वातावरण उपलब्ध न हो, उसका अपने पिता की तरह महान बनना सम्भव नहीं हो सकता।

4. व्यक्तित्व पर प्रभाव – व्यक्तित्व के निर्माण में वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर अधिक प्रभाव पड़ता हैं. कोई भी व्यक्ति उपयुक्त वातावरण में रहकर अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके महान बन सकता हैं. न्यूमैन, फ्रीमैन और होलजिगर ने इस बात को साबित करने के लिए 20 जोड़े जुड़वाँ बच्चे को अलग-अलग वातावरण में रखकर उनका अध्ययन किया. उन्होंने एक जोड़े के एक बच्चे को गाँव के एक फार्म पर और दुसरे को नगर में रखा. बड़े होने पर दोनों बच्चों में पर्याप्त अंतर पाया गया. फार्म का बच्चा अशिष्ट, चिंताग्रस्त और बुद्धिमान था. उसके विपरीत, नगर का बच्चा, शिष्ट, चिंतामुक्त और अधिक बुद्धिमान था।

5. मानसिक विकास पर प्रभाव – गोर्डन नामक मनोवैज्ञानिक का मत है की उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण नहीं मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती हैं।

6. बालक पर बहुमुखी प्रभाव – वातावरण बालक के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक आदि सभी अंगों पर प्रभाव डालता हैं। 

इसकी पुष्टि ‘एवेरान का जंगली बालक’ के उदाहरण से की जा सकती हैं. इस बालक को जन्म के बाद भेड़िया उठा ले गया था और उसका पालन-पोषण जंगली पशुओं के बीच में हुआ था. कुछ शिकारियों ने उसे 1799 ई. में पकड़ लिया. उस समय उसकी आयु 11 अथवा 12 वर्ष की थी. उसकी आकृति पशुओं-सी हो गयी थी. वह उनके समान ही हाथों-पैरों से चलता था. वह कच्चा मांस खाता था. उसमें मनुष्य की समान बोलने और विचार करने की शक्ति नही थी

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