वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव

हम सभी जानते है कि वायु जीवन के लिए आवश्यक है। यदि वायु प्रदूषित होती है तो वह जीवन के सभी रूपों को खराब कर देगी। हम विशेष रूप से शहरों के वातावरण में वायु प्रदूषण के स्तर के संबंध में समाचार पत्रों या टेलीवीजन चैनलों में कई सूचना पाते होंगे। प्रदूषित वायु बच्चों तथ वृद्ध जनसंख्या के आंखों नाक, गले, फेफड़ों को सीधे तौर पर गंभीर रूप से प्रभावित करती है। विषाक्त वायु के अंतःश्वसन से न केवल श्वसन प्रणाली के लिए बल्कि हमारे कुल शारीरिक प्रणाली के नुकसान का कारण बनता है। 

वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव

प्रदूषित वायु का मानव स्वास्थ्य पर पर प्रभाव इस प्रकार है:
  1. सल्फर डाइऑक्साइड मानव श्वसन प्रणाली को नुकसान पंहुचा सकता है और सांस लेने में कठिनाई कर सकता है। यह त्वचा और आंखों, नाक, गले और फेफड़े के श्लेष्म झिल्ली में जलन पैदा करता हैं
  2. उच्च सांद्रता में नाइट्रोजन ऑक्साइड सांस लेने की समस्या (श्वासन), सिरदर्द, एलर्जी का कारण बनता है और वायु के छिद्रों में जल के संचय के कारण फेफड़े के कार्य को बाधित करता है। नाइट्रोजन यौगिक भू-स्तर पर सूक्ष्म कणों और ओजोन के निर्माण में योगदान करते है दोनों ही प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव से जुड़े है। लंबे समय तक छव् का एक्स्पोजर अस्थमा का कारण बन सकता है और इससे बच्चों और बुजुर्ग लोगों को संभावित खतरा बन सकता है।
  3. कार्बन मोनोऑक्साइड के अत्यधिक संपर्क में आने से थकान, मितली, चक्कर आना, साइकोमोटर, फंक्शन की गड़बड़ी दृष्टि समस्याएं, ब्रेन डैमेज, कार्डियों संबंधनी प्रणालयों पर गंभीर प्रभाव, मांसपेशियों में कमजोरी और यहां तक की मृत्यु जैसी लक्षण दिखाई देते है। सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड कार्बन मोनोऑक्साइड के साथ मिलकर रक्त में फैल जाते है, हीमोग्लोबीन के साथ मिलकर आक्सीजन परिवहन में बाधा उत्पन्न करते है।
  4. वायु में रेडियो सक्रिय तत्व गंभीर त्वचा रोग, श्वेत रक्त कोशिकाओं में कमी, छोटी रक्त वाहिकाओं की क्षति, हृदय घातऔर विकृति के कारण होते है जो अपने आनेे वाले पीढि़यों को विरासत में मिल सकता हैं
  5. अभिकणीय प्रदूषक जैसे की सिलिकाॅन कण, सीसा, कार्बन, एस्बेस्टस और कपास के रेशे, सिलिकोसिस, फाइबे्रेसिस इत्यादि जैसे बीमारियों का कारण बनते है।
  6. वायु जनित विजाणु, पराग कण, जीवाणु, कवक, फर, बाल आदि श्वसनिय अस्थमा, बुखार और तपेदिक, चर्मरोग आदि जैसे खतरनाक रोगों जैसे विभिन्न एजर्ली अभिक्रियों का कारण बनते है, कणों के लगातार संपर्क, हृदय और श्वसन रोग के साथ फेफड़ों का कैंसर के फैलने में योगदान देता है।

वायु प्रदूषण का वन्यजीवों पर प्रभाव

वायु में विषाक्त प्रदूषक, मानव के समान पशुओं को भी प्रभवित करते है। अध्ययनों से पता चलता है कि जानवरों में जन्म दोष, प्रजनन विफलता और बीमारी के लिए वायु विषक्तता का योगदान है। विषाक्त वायु प्रदूषक जलीय परिस्थितिक तंत्र को भी प्रभावित करते है। अवसादों में जमा प्रदूषक जल और वायु के तुलना में कईगुना अधिक सांद्रता में खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर पशुओं के ऊतकों  में जैव-आवर्धन कर कर सकते है। हम विश्व भर में फ्लोराइड और आर्सेनिक द्वारा विशाक्त हुए काफी संख्या में मवेशियों को पा सकते है।

वायु प्रदूषण का पर्यावरण पर प्रभाव

मानव, पशुओं, पौधों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने के सााथ, वायु प्रदूषण विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय प्रभावों का कारण बन सकता है। सल्फर आक्साइड और नाइट्रोजन वायुमंडल में जल, आक्सीजन एवं अन्य रसायन के साथ मिलकर अम्लीय वर्षा कराती है जो झीलों और वन जैसे संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते है। अम्लीय वर्षा न केवल वनस्पतिक बल्कि मृदा और जलनिकायों को भी नुकसान पहुँचता है। तालाबों और झीलों सहित जलनिकाय अम्लीय हो गए है जिससे जल कुछ मछलियों और अन्य वनजीवों के लिए अनुपयुक्त हो गया है। अम्लीय वर्षा क परिणाम इमारतों, स्मारकों और मूर्तियों के त्वरत क्षय के रूप में होता है।

नाइट्रोजन ऑक्साइड की उच्च सांद्रता वनस्पतियों को पत्तियों तथा उनके वृद्धि को नुकसान पहुँचा कर प्रभावित करती है। यह सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में अन्य प्रदूषकों के साथ प्रतिक्रिया करके ओजोन को बिताता है जो वनस्पति को नुकसान पहुँचा सकता है।

धूंध भी वायु प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण प्रभाव है। यह वायु में छोटे प्रदूषण कणों के कारण होता है जो दृश्यता, स्पष्टता, रंग, बनावट और जो हम देखते हैं उसके रूप को नुकसान पहुंचाा है। वायु प्रदूषण के स्रोत जो धूंध उत्पन्न करते है, उनमें बिजली संयंत्र, उद्योग ट्रकों और आटोमोबाइल तथा निर्माण गतिविधियां हो सकती है। लेड (सीसा) की उच्चतम सांद्रता प्रायः स्मेलअर्स (प्रगलनशाला) के पास पाई जाती है। अमोनिया का उच्च स्तर दाहक और खतरनाक दोनों है।

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