भारतीय संविधान के प्रमुख अनुच्छेद

 

भारतीय संविधान के प्रमुख अनुच्छेद

अनुच्छेद 1-  संघ का नाम औ राज्य क्षेत्र - संविधान में अनुच्छेद 1 में कहा गया है कि इंडिया, यानी भारत, राज्यों का एक संघ होगा। भारत का क्षेत्र इसमें शामिल होगा: राज्यों के क्षेत्र, केंद्रशासित प्रदेश और भविष्य में प्राप्त किए जा सकने वाले क्षेत्र।

अनुच्छेद 2-  नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना -  संसद ऐसे निर्बंधन और शर्तों के साथ जिन्हें उचित समझे संघ में नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना कर सकती है। इस प्रकार अनुच्छेद 2 के अधीन संसद को दो प्रकार की शक्ति प्राप्त है। एक नए राज्यों को संघ में शामिल करने की शक्ति और दूसरी नए राज्यों को स्थापित करने की शक्ति।

अनुच्छेद 3- राज्य का निर्माण तथा सीमाओं या नामों में परिवर्तन - इसने संसद को नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों के परिवर्तन से संबंधित कानून बनाने का अधिकार दिया ।

अनुच्छेद 4-  यह अनुच्छेद पहली अनुसूची में परिणामी परिवर्तन की अनुमति देता है अर्थात भारत संघ में राज्यों के नाम और चौथी अनुसूची अर्थात प्रत्येक राज्य के लिए राज्य सभा में आवंटित सीटों की संख्या ।

अनुच्छेद 5-  संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता - भारत की नागरिकता से संबंधित है। जिसमे संविधान के लागू होते ही कौन कौन भारत का नागरिक होगा ये लिखा गया है।

अनुच्छेद 6 - भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता - उन लोगों की नागरिकता के बारे में बात करता है, जो पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए हैं।

अनुच्छेद 7 - पाकिस्तान जाने वालों को नागरिकता - कोई व्यक्ति जिसने 1 मार्च, 1947 के पश्चात् भारत के राज्यक्षेत्र से ऐसे राज्यक्षेत्र को, जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रवास किया है, भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा

अनुच्छेद 8 - भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों का नागरिकता - इसने भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों के नागरिकता अधिकारों को विनियमित किया।

अनुच्छेद 9 - विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर भारत का नागरिक ना होना - कोई भी व्यक्ति जिसने 26 जनवरी 1950 से पहले किसी दूसरे देश की नागरिकता हासिल कर ली है। वो अनुच्छेद 5,6 और 8 के तहत भारत का नागरिक नहीं हो सकता है।

अनुच्छेद 10 - नागरिकता क अधिकारों का बना रहना - प्रत्येक व्यक्ति जो इस भाग के पूर्वगामी प्रावधानों में से किसी के तहत भारत का नागरिक है, संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन, ऐसा नागरिक बना रहेगा।

अनुच्छेद 11 - संसद द्वारा नागरिकता के लिए कानून का विनियमन - इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों की कोई बात नागरिकता के अर्जन और समाप्ति के तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी विषयों के संबंध में उपबंध करने की संसद की शक्ति का अल्पीकरण नहीं करेगी। अनुच्छेद-11 के अनुसार नागरिकता संबंधी कानुन संसद बनाती है यह जिम्मेदारी गृहमंत्रालय को दी गई है।

अनुच्छेद 12 - राज्य की परिभाषा- संविधान के अनुच्छेद १२ मे राज्य की परिभाषा दी हुई है की “राज्य” के अंतर्गत भारत की सरकार और संसद तथा राज्यों में से प्रत्येक राज्य की सरकार और विधान- मंडल तथा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी हैं।
 
अनुच्छेद 13 - मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां - राज्य के नागरिक के विरुद्ध को मूल अधिकारों के संरक्षण की गारण्टी देता है। यदि राज्य द्वारा कोई ऐसी विधि बनाई जाती है जो मूल अधिकारों का उल्लंघन करती है तो न्यायालय उसको शून्य घोषित कर सकता है।

अनुच्छेद 14 - विधि के समक्ष समानता -  विधि के समक्ष समता एवं विधियों के समान संरक्षण का उपबंध किया गया है। संविधान का यह अनुच्छेद भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर भारतीय नागरिकों एवं विदेशी दोनों के लिये समान व्यवहार का उपबंध करता है।

अनुच्छेद 15 - धर्म जाति लिंग पर भेद का प्रतिशेध - भारत के संविधान का अनुच्छेद 15 केवल धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को रोकता है।

अनुच्छेद 16 - लोक नियोजन में अवसर की समानता- "राज्याधीन नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के संबंध में सब नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी । " 

अनुच्छेद 16 (2) केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, उद्भव, जन्म-स्थान, निवास अथवा इनमें से किसी के आधार पर किसी नागरिक के लिए राज्याधीन किसी नौकरी या पद के विषय में अपात्रता न होगी और न विभेद किया जाएगा। "

अनुच्छेद 17 - अस्पृश्यता का अंत - "अस्पृश्यता" को समाप्त कर दिया गया है और किसी भी रूप में इसका अभ्यास वर्जित है। "अस्पृश्यता" से उत्पन्न होने वाली किसी भी अक्षमता को लागू करना कानून के अनुसार दंडनीय अपराध होगा।

अनुच्छेद 18 - उपाधियों का अंत - राज्य, सेना या विद्या संबंधी सम्मान के सिवाय और कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा। (2) भारत का कोई नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा।

अनुच्छेद 19 - वाक् की स्वतंत्रता - वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रावधान है और आमतौर पर राज्य के खिलाफ लागू होता है। वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार। शांतिपूर्वक सम्मेलन में भाग लेने की स्वतंत्रता का अधिकार।

अनुच्छेद 20 - अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण - अपराधों के लिए सजा के संबंध में सुरक्षा का प्रावधान करता है। इस अनुच्छेद के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: भारत में न्यायालय के समक्ष साक्ष्य के रूप में नार्को-एनालिसिस और पॉलीग्राफ परीक्षणों के परिणामों को प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।

अनुच्छेद 21 -प्राण और दैहिक स्वतंत्रता - “किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है”।

अनुच्छेद 21 क - 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार - राज्य छह से चौदह वर्ष की आयु के सभी बच्चों को इस तरह से मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा, जैसा कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करे। यह एक मौलिक अधिकार है। यह प्रावधान भारत के संविधान, 1950 में शामिल नहीं किया गया था।

अनुच्छेद 22 - कुछ दशाओं में गिरफ्तारी से सरंक्षण - गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को ऐसी गिरफ्तारी के कारणों के बारे में यथाशीघ्र सूचित किए बिना हिरासत में नहीं रखा जाएगा और न ही उसे अपने कानूनी व्यवसायी से परामर्श करने और बचाव करने के अधिकार से वंचित किया जाएगा।

अनुच्छेद 23 - मानव के दुर्व्यापार और बाल श्रम - मानव तस्करी, बेगार (बलात् श्रम) और इसी प्रकार के अन्य बलात् श्रम के प्रकारों पर प्रतिबंध लगाता है, जिससे देश के लाखों अल्प-सुविधा प्राप्त और वंचित लोगों की रक्षा की जा सके। यह अधिकार भारत के नागरिक और गैर-नागरिक दोनों के लिये उपलब्ध है। पुरुष, महिला और बच्चों की खरीद-बिक्री।

अनुच्छेद 24 - कारखानों में बालक का नियोजन का प्रतिशत -  कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध : चौदह वर्ष से कम आयु के किसी बालक को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय नियोजन में नहीं लगाया जाएगा।

अनुच्छेद 25 - धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता -  लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्नय तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा।

अनुच्छेद 26 -धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता -  (धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता) व्यक्ति को अपने धर्म के लिए संस्थाओं की स्थापना और पोषण का, अपने धर्म विषयक कार्यों का प्रबंध करने का, जंगम और स्थावर संपत्ति के अर्जन और स्वामित्व का, ऐसी संपत्ति का विधि के अनुसार प्रशासन करने का, अधिकार होगा।

अनुच्छेद 29 - अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण - 29(1): भारत के राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के निवासी नागरिकों के किसी अनुभाग को, जिसकी अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति है, उसे बनाए रखने का अधिकार होगा । 29(2): राज्य द्वारा पोषित या राज्य-निधि से सहायता पाने वाली किसी शिक्षा संस्था में प्रवेश से किसी भी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, भाषा या इनमें से किसी के आधार पर वंचित नहीं किया जाएगा ।

अनुच्छेद 30 - शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार - 

अनुच्छेद 32 - अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार - सर्वोच्च न्यायालय को भाग III के तहत मौलिक अधिकारों के गारंटर के रूप में कार्य करने की शक्ति देता है।

अनुच्छेद 40 - ग्राम पंचायतों का संगठन - ग्राम पंचायत के संगठन से संबंधित है ।

अनुच्छेद 48 - कृषि और पशुपालन संगठन - भारतीय संविधान का अनुच्छेद 48 क्या कहता है? राज्य पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने और देश के वनों और वन्य जीवन की रक्षा करने का प्रयास करेगा।

अनुच्छेद 48क - पर्यावरण वन तथा वन्य जीवों की रक्षा - अनुच्छेद 48क के तहत राज्य, देश के पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन का और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा। इस निदेश के तहत मुख्य रूप से दो कार्य हैं; पहला – देश के पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन। और दूसरा – वन तथा वन्य जीवों की रक्षा करने का प्रयास।

अनुच्छेद 49- राष्ट्रीय स्मारक स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण - सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए राज्य के दायित्व से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण।

अनुछेद. 50 - कार्यपालिका से न्यायपालिका का प्रथक्करण - राज्य को न्यायिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक सेवाओं में न्यायपालिका का कार्यपालिका से अलगाव सुनिश्चित करना है और संघीय कानून बनाकर इस उद्देश्य को प्राप्त कर लिया गया है।

अनुच्छेद 51 - अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा - अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना।

अनुच्छेद 51क - मूल कर्तव्य - इस उपबंध से परे प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भाईचारा की भावना का निर्माण करें तथा ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है।

अनुच्छेद 52 - भारत का राष्ट्रपति - राष्ट्रपति पद का प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद - 53 संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी जिसका प्रयोग वह प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार करेगा।

अनुच्छेद 53 - संघ की कार्यपालिका शक्ति - संघ की कार्यपालक शक्ति उनमें निहित हैं। वह भारतीय सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनानायक भी हैं। सभी प्रकार के आपातकाल लगाने व हटाने वाला, युद्ध/शान्ति की घोषणा करने वाला होता है। वह देश के प्रथम नागरिक हैं।

अनुच्छेद 54 - राष्ट्रपति का निर्वाचन - राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा किया जाता है

अनुच्छेद 55 - राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीती -  (1) जहां तक ​​साध्य हो, राष्ट्रपति के चुनाव में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व के पैमाने में एकरूपता होगी।

अनुच्छेद 56 - राष्ट्रपति की पदावधि - राष्ट्रपति अपने पद-ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा।

अनुच्छेद 57 - पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता - पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता एक व्यक्ति जो राष्ट्रपति के रूप में पद धारण करता है, या जिसने पद धारण किया है, इस संविधान के अन्य प्रावधानों के अधीन, उस पद के लिए फिर से चुनाव के लिए पात्र होगा।

अनुच्छेद 58 - राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए आहर्ताए -  भारत का संविधान [2] कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।

अनुच्छेद 59 - राष्ट्रपति पद के लिए शर्तें - (1) राष्ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा और यदि संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य राष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान राष्ट्रपति के रूप में अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है।

अनुच्छेद 60 - राष्ट्रपति की शपथ -  राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण से संबंधित है।

अनुच्छेद 61 - राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया -  राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया अनुच्छेद 61(1) जब किसी राष्ट्रपति पर संविधान के उल्लंघन के लिए महाभियोग चलाया जाना हो, तो संसद के किसी भी सदन द्वारा आरोप लगाया जाएगा। अनुच्छेद 61(2) ऐसा कोई आरोप तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक।

अनुच्छेद 62 - राष्ट्रपति पद पर व्यक्ति को भरने के लिए निर्वाचन का समय और रीतियां  - राष्ट्रपति के कार्यालय में रिक्ति को भरने के लिए चुनाव कराने का समय बताया गया है और आकस्मिक निर्वाचन को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति के कार्यालय का कार्यकाल भी बताया गया है।

अनुच्छेद 63 - भारत का उपराष्ट्रपति - भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।" उपराष्ट्रपति मृत्यु, इस्तीफे, महाभियोग या अन्य स्थितियों के कारण राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है। भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है।

अनुच्छेद 64 - उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना - भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होगा और अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा।

अनुच्छेद 65 - राष्ट्रपति के पद की रिक्त पर उप राष्ट्रपति के कार्य - राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने या अन्यथा के कारण उनके कार्यालय में कोई रिक्ति होने की स्थिति में, उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा, जिस तारीख के अनुसार एक नया राष्ट्रपति निर्वाचित होता है

अनुच्छेद 66 - उप-राष्ट्रपति का निर्वाचन - उपराष्ट्रपति का निर्वाचन [संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों]* द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा।

अनुच्छेद 67 - उपराष्ट्रपति की पदावधि -  उपराष्ट्रपति, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी, तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है।

अनुच्छेद 68 - उप राष्ट्रपति के पद की रिक्त पद भरने के लिए निर्वाचन - उपाध्यक्ष पद की रिक्तियों को भरने के लिए निर्वाचन कराने का समय तथा आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति का कार्यकाल । (1) उपराष्ट्रपति के पद की अवधि की समाप्ति के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए एक चुनाव कार्यकाल की समाप्ति से पहले पूरा किया जाएगा।

अनुच्छेद 69 - उप राष्ट्रपति द्वारा शपथ -  उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान प्रत्येक उपाध्यक्ष, अपना पद ग्रहण करने से पहले, राष्ट्रपति या उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष निम्नलिखित रूप में एक शपथ या प्रतिज्ञान करेगा, अर्थात् भगवान I, AB के नाम पर शपथ लेगा।

अनुच्छेद 70 - अन्य आकस्मिकता में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन - अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन संसद ऐसा प्रावधान कर सकती है जैसे कि इस अध्याय में प्रदान नहीं की गई किसी भी आकस्मिकता में राष्ट्रपति के कार्यों के निर्वहन के लिए उपयुक्त समझे।

अनुच्छेद 71. - राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधित विषय - राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए प्रधान मंत्री के साथ एक मंत्रिपरिषद होगी, जो अपने कार्यों के अभ्यास में ऐसी सलाह के अनुसार कार्य करेगा।

अनुच्छेद 72 -क्षमादान की शक्ति -  राष्ट्रपति को, किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलंबन विराम या परिहारकरने की अथवा दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण करने की शक्ति होगी।

अनुच्छेद 73 - संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार - जब तक संसद द्वारा अन्यथा प्रदान नहीं किया जाता है, एक राज्य और किसी राज्य का कोई अधिकारी या प्राधिकरण, इस लेख में किसी भी बात के होते हुए भी, उन मामलों में प्रयोग करना जारी रख सकता है जिनके संबंध में संसद को उस राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति है, ऐसी कार्यकारी शक्ति या कार्य जैसा कि राज्य या उसके अधिकारी या प्राधिकरण इस संविधान मंत्रिपरिषद के प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग कर सकते हैं।

अनुच्छेद 74 - राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद -  राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद का गठन। 

अनुच्छेद 75 - मंत्रियों के बारे में उपबंध - (१) प्रधान मंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधान मंत्री की सलाह पर की जाएगी। (२) मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेगा। (३) मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होगी।

अनुच्छेद 76 - भारत का महान्यायवादी - संविधान के अनुच्छेद 76 में महान्यायवादी (Attorney General) के पद का प्रावधान है।

अनुच्छेद 77 - भारत सरकार के कार्य का संचालन - (1) भारत सरकार की समस्त कार्यपालिका कार्रवाई राष्ट्रपति के नाम से की हुई कही जाएगी।

अनुच्छेद 78 - राष्ट्रपति को जानकारी देने के प्रधानमंत्री के कर्तव्य - (सी) यदि राष्ट्रपति की आवश्यकता है, तो किसी भी मामले को मंत्रिपरिषद के विचार के लिए प्रस्तुत करने के लिए, जिस पर एक मंत्री द्वारा निर्णय लिया गया है लेकिन जिस पर परिषद अध्याय II संसद द्वारा विचार नहीं किया गया है।

अनुच्छेद 79 - संसद का गठन - संघ के लिये एक संसद होगी, जो राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी। 

अनुच्छेद 80 - राज्य सभा की सरंचना - राज्यसभा के गठन का प्रावधान करता है।

अनुच्छेद 81 - लोकसभा की संरचना - अनुच्छेद 81(1) (क) तथा (ख) के अनुसार लोकसभा का गठन राज्यों में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए 530 से अधिक न होने वाले सदस्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 20 से अधिक न होने वाले सदस्यों के द्वारा किया जाएगा। लोकसभा में संसद सदस्यों की अधिकतम संख्या 550 बताई गई है । पहले यह 552 थी, लेकिन 2 नामित एंग्लो-इंडियन व्यक्तियों का प्रावधान अब हटा दिया गया है।

अनुच्छेद 83 - संसद के सदनो की अवधि -राज्यों की परिषद विघटन के अधीन नहीं होगी, लेकिन संसद द्वारा इस संबंध में किए गए प्रावधानों के अनुसार हर दूसरे वर्ष की समाप्ति पर जितना संभव हो सके सदस्यों के एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

अनुच्छेद 84 -संसद के सदस्यों के लिए अहर्ता - संसद के सदस्य बनने की योग्यता का वर्णन किया गया है जिसमें राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं। संसद के किसी भी सदन का सदस्य बनने की योग्यता। वह भारत का नागरिक होना चाहिए। उसे पुष्टि की शपथ बनानी और सदस्यता लेनी चाहिए।

अनुच्छेद 85 - संसद का सत्र सत्रावसान और विघटन - राष्ट्रपति समय-समय पर, संसद् के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा, किन्तु उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह मास का अंतर नहीं होगा।] (ख) लोक सभा का विघटन कर सकेगा।

अनुच्छेद 87 - राष्ट्रपति का विशेष अभी भाषण - राष्ट्रपति लोक सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ समवेत संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और संसद को उसके आह्वान के कारण बताएगा।"

अनुच्छेद 88 - सदनों के बारे में मंत्रियों और महानयायवादी अधिकार - प्रत्येक मंत्री और भारत के महान्यायवादी को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी सदन में, सदनों की किसी संयुक्त बैठक में और संसद‌ की किसी समिति में, जिसमें उसका नाम सदस्य के रूप में दिया गया है, बोले और उसकी कार्यवाहियों में अन्यथा भाग ले, किन्तु इस अनुच्छेद के आधार पर वह मत देने का हकदार नहीं होगा।

अनुच्छेद 89 -राज्यसभा का सभापति और उपसभापति - (1) भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होगा। (2) राज्य सभा, यथाशक्य शीघ्र, अपने किसी सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी और जब-जब उपसभापति का पद रिक्त होता है तब-तब राज्य सभा किसी अन्य सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी।

अनुच्छेद 90 - उपसभापति का पद रिक्त होना या पद हटाया जाना -  (ग) परिषद के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित परिषद के एक प्रस्ताव द्वारा अपने कार्यालय से हटाया जा सकता है: बशर्ते कि खंड (सी) के उद्देश्य के लिए कोई भी प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जाएगा जब तक कि कम से कम चौदह दिन का नोटिस न हो प्रस्ताव पेश करने की मंशा से दिया गया है।

अनुच्छेद 91 -सभापति के कर्तव्यों का पालन और शक्ति -जब सभापति का पद रिक्त है या ऐसी अवधि में जब उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहा है या उसके कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, तब उपसभापति या यदि उपसभापति का पद भी रिक्त है तो, राज्य सभा का ऐसा सदस्य जिसको राष्ट्रपति इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा।

अनुच्छेद 92 - सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन हो तब उसका पीठासीन ना होना- जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना

अनुच्छेद 93 - लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष - लोकसभा, यथाशक्य शीघ्र, अपने दो सदस्यों को अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी और जब-जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त होता है तब-तब लोकसभा किसी अन्य सदस्य को, यथास्थिति, अध्यक्ष या उपाध्यक्ष चुनेगी।

अनुच्छेद 94 - अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना - लोकसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष को पद रिक्त होने, पद त्याग देने या पद से हटाए जाने से संबंधित प्रावधान किये गए हैं,

अनुच्छेद 95 - अध्यक्ष में कर्तव्य एवं शक्तियां - अध्यक्ष का पद रिक्त है तब उपाध्यक्ष, या यदि उपाध्यक्ष का पद भी रिक्त है तो लोकसभा का ऐसा सदस्य, जिसको राष्ट्रपति इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा।

अनुच्छेद 96 - अध्यक्ष उपाध्यक्ष को पद से हटाने का संकल्प हो तब उसका पीठासीन ना होना 

अनुच्छेद 97 - सभापति उपसभापति तथा अध्यक्ष,उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते- राज्यों की परिषद के सभापति और उपसभापति को और लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को ऐसे वेतन और भत्ते दिए जाएंगे जो संसद द्वारा कानून द्वारा निर्धारित किए जा सकते हैं और जब तक कि कि ओर से ऐसा किया जाता है, ऐसे वेतन और भत्ते जो दूसरी अनुसूची में निर्दिष्ट हैं।

अनुच्छेद 98 - संसद का सविचालय - संसद के सचिवालय के लिए प्रावधान देता है। 

अनुच्छेद 99 - सदस्य द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान

अनुच्छेद 100 - संसाधनों में मतदान रिक्तियां के होते हुए भी सदनों के कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति 

अनुच्छेद 108 - कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक

अनुत्छेद 109 - धन विधेयक के संबंध में विशेष प्रक्रिया

अनुच्छेद 110 - धन विधायक की परिभाषा

अनुच्छेद 111 - विधेयकों पर अनुमति

अनुच्छेद 112 - वार्षिक वित्तीय विवरण

अनुच्छेद 118 - प्रक्रिया के नियम

अनुच्छेद 120 - संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा

अनुच्छेद 123 - संसद विश्रांति काल में राष्ट्रपति की अध्यादेश शक्ति

अनुच्छेद 124 - उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन

अनुच्छेद 125 - न्यायाधीशों का वेतन

अनुच्छेद 126 - कार्य कार्य मुख्य न्याय मूर्ति की नियुक्ति

अनुच्छेद 127 - तदर्थ न्यायमूर्तियों की नियुक्ति

अनुच्छेद 128 - सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति

अनुच्छेद 129 - उच्चतम न्यायालय का अभिलेख नयायालय होना

अनुच्छेद 130 - उच्चतम न्यायालय का स्थान

अनुच्छेद 131 - उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता

अनुच्छेद 137 - निर्णय एवं आदेशों का पुनर्विलोकन

अनुच्छेद 143 - उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति

अनुच्छेद144 -सिविल एवं न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता

अनुच्छेद 148 - भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक

अनुच्छेद 149 - नियंत्रक महालेखा परीक्षक के कर्तव्य शक्तिया

अनुच्छेद 150 - संघ के राज्यों के लेखन का प्रारूप

अनुच्छेद 153 - राज्यों के राज्यपाल

अनुच्छेद 154 - राज्य की कार्यपालिका शक्ति

अनुच्छेद 155 - राज्यपाल की नियुक्ति

अनुच्छेद 156 - राज्यपाल की पदावधि

अनुच्छेद 157 - राज्यपाल नियुक्त होने की अर्हताएँ

अनुच्छेद 158 - राज्यपाल के पद के लिए शर्तें

अनुच्छेद 159 - राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान

अनुच्छेद 163 - राज्यपाल को सलाह देने के लिए मंत्री परिषद

अनुच्छेद 164 - मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध

अनुच्छेद 165 - राज्य का महाधिवक्ता

अनुच्छेद 166 - राज्य सरकार का संचालन

अनुच्छेद 167 - राज्यपाल को जानकारी देने के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य

अनुच्छेद 168 - राज्य के विधान मंडल का गठन

अनुच्छेद 170 - विधानसभाओं की संरचना

अनुच्छेद 171 - विधान परिषद की संरचना

अनुच्छेद 172 - राज्यों के विधानमंडल कि अवधी

अनुच्छेद 176 - राज्यपाल का विशेष अभिभाषण

अनुच्छेद 177 सदनों के बारे में मंत्रियों और महाधिवक्ता के अधिकार

अनुच्छेद 178 - विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष

अनुच्छेद 179 - अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना या पद से हटाया जाना

अनुच्छेद 180 - अध्यक्ष के पदों के कार्य व शक्ति

अनुच्छेद 181 - अध्यक्ष उपाध्यक्ष को पद से हटाने का को संकल्प पारित होने पर उसका पिठासिन ना होना

अनुच्छेद 182 - विधान परिषद का सभापति और उपसभापति

अनुच्छेद 183 - सभापति और उपासभापति का पद रिक्त होना पद त्याग या पद से हटाया जाना

अनुच्छेद 184 - सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन व शक्ति

अनुच्छेद 185 - संभापति उपसभापति को पद से हटाए जाने का संकल्प विचाराधीन होने पर उसका पीठासीन ना होना

अनुच्छेद 186 - अध्यक्ष उपाध्यक्ष सभापति और उपसभापति के वेतन और भत्ते

अनुच्छेद 187 - राज्य के विधान मंडल का सविचाल.

अनुच्छेद 188 - सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान

अनुच्छेद 189 - सदनों में मतदान रिक्तियां होते हुए भी साधनों का कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति

अनुच्छेद 199 - धन विदेश की परिभाषा

अनुच्छेद 200 - विधायकों पर अनुमति

अनुच्छेद 202 - वार्षिक वित्तीय विवरण

अनुच्छेद 213 - विधान मंडल में अध्यादेश सत्यापित करने के राज्यपाल की शक्ति

अनुच्छेद 214 - राज्यों के लिए उच्च न्यायालय

अनुच्छेद 215 - उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना

अनुच्छेद 216 - उच्च न्यायालय का गठन

अनुच्छेद 217 - उच्च न्यायालय न्यायाधीश की नियुक्ति पद्धति शर्तें

अनुच्छेद 221 - न्यायाधीशों का वेतन

अनुच्छेद 222 - एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में न्यायाधीशों का अंतरण

अनुच्छेद 223 - कार्यकारी मुख्य न्याय मूर्ति के नियुक्ति

अनुच्छेद 224 - अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति

अनुच्छेद 226 - कुछ रिट निकालने के लिए उच्च न्यायालय की शक्ति

अनुच्छेद 231 - दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना

अनुच्छेद 233 - जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति

अनुच्छेद 241 - संघ राज्य क्षेत्र के लिए उच्च-न्यायालय

अनुच्छेद 243 - पंचायत नगर पालिकाएं एवं सहकारी समितियां

अनुच्छेद 244 - अनुसूचित क्षेत्रो व जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन

अनुच्छेद 248 - अवशिष्ट विधाई शक्तियां

अनुच्छेद 252 - दो या अधिक राज्य के लिए सहमति से विधि बनाने की संसद की शक्ति

अनुच्छेद 254 - संसद द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान मंडल द्वारा बनाए गए विधियों में असंगति

अनुच्छेद 256 - राज्यों की और संघ की बाध्यता

अनुच्छेद 257 - कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण

अनुच्छेद 262 - अंतर्राज्यक नदियों या नदी दूनों के जल संबंधी विवादों का न्याय निर्णय

अनुच्छेद 263 - अंतर्राज्यीय विकास परिषद का गठन

अनुच्छेद 266 - संचित निधी

अनुच्छेद 267 - आकस्मिकता निधि

अनुच्छेद 269 - संघ द्वारा उद्ग्रहित और संग्रहित किंतु राज्यों को सौपे जाने वाले कर

अनुच्छेद 270 - संघ द्वारा इकट्ठे किए कर संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जाने वाले कर

अनुच्छेद 280 - वित्त आयोग

अनुच्छेद 281 - वित्त आयोग की सिफारिशे

अनुच्छेद 292 - भारत सरकार द्वारा उधार लेना

अनुच्छेद 293 - राज्य द्वारा उधार लेना

अनुच्छेद 300 क - संपत्ति का अधिकार

अनुच्छेद 301 - व्यापार वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता

अनुच्छेद 309 - राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों

अनुच्छेद 310 - संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि

अनुच्छेद 313 - संक्रमण कालीन उपबंध

अनुच्छेद 315 - संघ राज्य के लिए लोक सेवा आयोग

अनुच्छेद 316 - सदस्यों की नियुक्ति एवं पदावधि

अनुच्छेद 317 - लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य को हटाया जाना या निलंबित किया जाना

अनुच्छेद 320 - लोकसेवा आयोग के कृत्य

अनुच्छेद 323 क - प्रशासनिक अधिकरण

अनुच्छेद 323 ख - अन्य विषयों के लिए अधिकरण

अनुच्छेद 324 - निर्वाचनो के अधिक्षण निर्देशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना

अनुच्छेद 329 - निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप का वर्णन

अनुछेद 330 - लोक सभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये स्थानो का आरणण

अनुच्छेद 331 - लोक सभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व

अनुच्छेद 332 - राज्य के विधान सभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण

अनुच्छेद 333 - राज्य की विधानसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व

अनुच्छेद 343 - संघ की परिभाषा

अनुच्छेद 344 - राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति

अनुच्छेद 350 क - प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं

अनुच्छेद 351 - हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश

अनुच्छेद 352 - आपात की उदघोषणा का प्रभाव

अनुछेद 356 - राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध

अनुच्छेद 360 - वित्तीय आपात के बारे में उपबंध

अनुच्छेद 368 - संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसकी प्रक्रिया

अनुच्छेद 377 - भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के बारे में उपबंध

अनुच्छेद 378 - लोक सेवा आयोग के बारे

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