पत्रकारिता क्या है और उनके प्रकार

अंग्रेजी शब्द जर्नलिज्म का हिंदी अनुवाद पत्रकारिता है। ‘जर्नलिज्म' शब्द ' जर्नल' से निकला है । उसका शाब्दिक अर्थ ‘दैनिक’ है। समय और समाज के संदर्भ में सजग रहकर लोगों में दायित्वबोध निर्माण कराने की कला को ‘पत्रकारिता' कहा जाता है । 

जनसेवा का सशक्त माध्यम पत्रकारिता है । इससे मानव जीवन की विविधताएँ तथा नित्य घटित होने वाली घटनाएँ शीघ्रातिशीघ्र विश्वभर में पहुँचती हैं। विश्व के समाचारों और घटनाओं को संकलित करना, उनका विवेचन करना, खबरों का विवरण इकट्ठा करना, उन्हें पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से जनता तक पहुँचाना पत्रकारिता का उद्देश्य रहा है । विचारों को जनता तक पहुँचाने का साधन पत्रकारिता है। दुनिया के सभी विषय पत्रकारिता की परिधि में आते हैं । पहले पहले पत्रकारिता का उद्देश्य सरकारी तथ्यों की जानकारी जनता को देकर उनकी प्रतिक्रिया जानना था । फिर पत्रकारिता का विकास होने पर उसके विषय विस्तृत बने हैं । 

पत्रकार अखबार की सहायता से विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली घटनाओं की जानकारी जनता को देता है। वह लोगों को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, राजनैतिक, गतिविधियों का परिचय देकर लोक जागृति करता है । आज पत्रकारिता पाठकों को शिक्षा देने के साथ मनोरंजन का काम भी कर रही है ।

सूचना के क्षेत्र में प्रिंट मीडिया का वर्चस्व रहा है । पत्रकारिता विज्ञान की देन है । पत्रकारिता का प्रथम स्वरूप अखबार है। आज के वैज्ञानिक युग में सूचना, ई-मेल आदि का विकास हो जाने से पत्रकारिता के स्वरूप में विकास और विस्तार हुआ है। पहले समाचार चोबीस घंटों में जनता तक पहुँचता था । आज रेडियो से कुछ ही क्षणों में समाचार श्रोता तक पहुँच जाता है। ई-मेल से दुनिया की खबर मिनटों में मिलती है। खबरों के साथ दृश्यों को भी दर्शक देखता है।

संगणक के विकास से पत्रकारिता का स्वरूप विकसित हुआ है। समाचार संकलन, लेखन, संपादन आदि कार्य सहज बन रहे हैं, जिनसे अखबार का प्रकाशन समय पर होने में सहायता मिल रही है । साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में भी आज काफी विस्तार हुआ है । इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विकास से पत्रकारिता के स्वरूप में विस्तार हुआ है । रेडियो, दूरदर्शन और संगणक आदि से साहित्यिक पत्रकारिता के स्वरूप में काफी परिवर्तन आया है। समाचार, साहित्यिक परिचर्चा, गोष्ठियाँ, देश-विदेश की साहित्यिक गतिविधियाँ, खेल-कूद, युद्धों के समाचार आज हम केवल सुनते ही नहीं, बल्कि आँखों से देख भी रहे हैं। आज पत्रकारिता समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका बनी है।

अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम पत्रकारिता है । वह एक मनोरम कला है, जिसके माध्यम से जनता के सामने लोककल्याण के कार्यों की सूची प्रस्तुत होती है । भारत में पत्रकारिता पहले मिशन के रूप में थी । आज उसमें व्यावसायिकता आई है । आज शब्द, ध्वनि और चित्रों के माध्यम से ज्ञान और विचार समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ पत्रकारिता से जनकल्याण हेतु जनता तक पहुँच रहे हैं। पत्रकारिता समाज को जागृत कर रही है ।

पत्रकारिता की परिभाषा

अनेक विद्वानों ने पत्रकारिता को परिभाषा में बद्ध करने का प्रयास किया है।

1. न्यू वेबस्टर्स डिक्शनरी:- "प्रकाशन, संपादन, लेखन एवं प्रसारण युक्त समाचार माध्यम का व्यवसाय पत्रकारिता है । '

2. सी. जी. मूलर :- “पत्रकारिता सामूहिक ज्ञान का व्यवसाय है । इसमें तथ्यों की प्राप्ति, मूल्यांकन एवं ठीक-ठीक प्रस्तुतीकरण होता है ।" 

4. मानक हिंदी कोश :- “पत्रकारिता वह विधा है, जिसमें पत्रकारों के कार्यों, कर्तव्यों, उद्देश्यों आदि का विवेचन किया जाता है ।

5. डॉ. शंकर दयाल शर्मा :- "पत्रकारिता एक पेशा नहीं है, बल्कि यह तो जनता की सेवा का माध्यम है ।

6. डॉ. अर्जुन तिवारी :- “प्रकाशन, चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण तथा प्रसारण हेतु सामयिक और सरस तथ्यों के संग्रह और संपादन को पत्रकारिता कहा जा सकता है । आज पत्रकारिता का क्षेत्र बहुआयामी है और मानव जीवन की समस्त गतिविधियाँ इसकी सीमा में आती हैं ।'

आज पत्रकारिता सूचना केंद्र के साथ रचनात्मक, सामाजिक, सांस्कृतिक आंदोलन बनी है । मुद्रित जनमाध्यम के साथ आकाशवाणी, दूरदर्शन, संगणक आदि नवइलेक्ट्रॉनिक माध्यम भी पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं।

पत्रकारिता के प्रकार

मानव जीवन के हर क्षेत्र से पत्रकारिता का संबंध रहा है। पत्रकारिता का क्षेत्र विशाल बनने से उसकी व्यापकता बढ़ गई है। उसके अनेक रूप एवं प्रकार सामने आए हैं, जिनमें से कुछ प्रकार हैं-

1. आर्थिक पत्रकारिता : आर्थिक समाचारों को महत्ता मिलने से भारत की सभी भाषाओं में आर्थिक पत्रों का प्रकाशन शुरू हुआ, जिनमें बिजनेस इंडिया, बिजनेस टुडे, बिजनेस वर्ड, बिजनेस टाईम्स, फायनान्शियल एक्सप्रेस, रिसाला बाजार, उद्योग भारती, कारोबार, व्यापार आदि प्रमुख हैं ।

2. ग्रामीण पत्रकारिता :- भारत गाँवों का देश होने से देश की 70 प्रतिशत आबादी गाँवों में है । ग्रामीण जनता की समस्याओं का निवारण, कुप्रथाओं का पर्दाफाश, खेती के बारे में नवीन खोजों की जानकारी, ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा आदि ग्रामीण पत्रकारिता के महत्त्वपूर्ण काम हैं। जिस पत्र से लघु उद्योग, नारी शिक्षा, पशुपालन, खेती, खाद्य, बीज, प्रौढ शिक्षा, परिवार कल्याण, परिवार नियोजन आदि से संबंधित जानकारी प्रकाशित होती है, उसे 'ग्रामीण पत्र' कहा जाएगा ।

3. कृषि पत्रकारिता ':- भारत कृषि प्रधान देश होने से 80 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है । इसमें कृषि अर्थशास्त्र, मृदा एवं कृषि रसायन, कीट शास्त्र, जीव विज्ञान, कृषि प्रसार, पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय, भूमि संरक्षण, उद्यानशास्त्र, बाजारभाव, फसल रिपोर्ट, मंडी की ताजा खबरें, मौसम समाचार आदि का समावेश होता है ।

4. अन्वेषणात्मक पत्रकारिता -  इसे 'खोजी पत्रकारिता' भी कहते हैं । जब किसी व्यक्ति, संस्था, :- संघटन अथवा अधिकारी से तथ्य छिपाने की कोशिश की जाती है, तब पत्रकार जासूस, वकील अथवा जज की भूमिका निभाकर अन्वेषण करता है । अमरिका का 'वाटरगेट कांड' खोजी पत्रकारिता से सामने आया ।  

5. व्याख्यात्मक पत्रकारिता - केवल जानकारी से श्रोता संतुष्ट नहीं होता । इसलिए संवाददाता घटना की गहराइयों में जाकर खोज करता है और विवेचन एवं विश्लेषण से घटना से जुड़े मुद्दों को प्रस्तुत करता है । 

6. विकास पत्रकारिता :- आर्थिक विकास, समाज राष्ट्र एवं विश्व की उन्नति के बारे में नई तकनीकें अपनाकर विकास पत्रकारिता काम करती है । केंद्रीय सरकार की पत्रिका 'योजना' विकास पत्रकारिता का उदाहरण है ।

7. संदर्भ पत्रकारिता :- संपादक, स्तंभलेखक, संवाददाता, प्रशासनिक अधिकारी इनके लिए लेख लिखते समय पत्र-पत्रिका में पहले प्रकाशित सामग्री की आवश्यकता होती है । तब संदर्भ विभाग, पुरानी कतरनों, इन्हीं से सहायता ली जाती है ।

8. संसदीय पत्रकारिता :- संसद की कार्यवाही प्रकाशन के नियम 1956 के अंतर्गत रहकर संसद के राज्यसभा, लोकसभा तथा प्रादेशिक विधानसभाओं और विधानपरिषदों की कार्यवाही की रिपोर्टिंग की जाती है। सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक आदि गतिविधियों की रिपोर्टिंग करते वक्त पत्रकारों को विशेष सावधानी बरतनी पडती है ।

9. विज्ञान पत्रकारिता :- विज्ञान की उपलब्धियों से उद्योग कृषि, चिकित्सा, अभियांत्रिकी आदि से मानव जीवन सुख-सुविधा से संपन्न बनाने के लिए विज्ञान पत्रकारिता काम कर रही है । ‘विज्ञान प्रगति', 'विज्ञान कला', 'विज्ञान कीर्ति', 'विज्ञान जगत्' आदि पत्रिकाएँ इस क्षेत्र में काम कर रही हैं ।

10. रेडियो पत्रकारिता :- रेडियो देश का सशक्त संचार माध्यम है । रेडियो की भाषा संक्षिप्त, स्पष्ट और सारगर्भित होती है और उससे जानकारी तीव्र गति से प्रसारित होती है । इससे प्रसारित समाचार विश्वसनीय एवं उपयोगी होते हैं।

11. दूरदर्शन पत्रकारिता :- भारत में 15-9- 1959 को दिल्ली में दूरदर्शन का प्रारंभ हुआ । समाचारों की अधिकता और प्रामाणिकता तथा मनोरंजन के साथ सांस्कृतिक, साहित्यिक, ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का प्रसारण इससे होता है । देश की एकता, अखंडता और जीवन मूल्यों का पोषण दूरदर्शन से हो रहा है । इसके संप्रेषण से देखने और सुनने का आनंद मिलता है। 

12. फिल्मी पत्रकारिता :- फिल्मों की समीक्षा, फिल्म उद्योग, फिल्म समाचार पत्र-पत्रिकाओं से प्रकाशित होते हैं। फिल्मी पत्रकारिता का आरंभ 1931 में कलाकारों की लोकप्रियता बढने से उनके निजी जीवन के किस्से, रोमांस, रोचक सामग्री लोग पढ़ना चाहते हैं । 

13. बाल पत्रकारिता :- देश प्रेम का बीजारोपण, कार्टून से मनोरंजन, कोमल भावनाओं का विकास आदि के लिए 'बालसखा', 'शिशु', 'बालकं', 'चंदामामा' आदि पत्रिकाएँ काम कर रही हैं।

14. फोटो पत्रकारिता :- घटना की विश्वसनीयता फोटो से बढ़ती है । वैज्ञानिक उपकरण, प्राकृतिक दृश्य, , फैशन शो आदि के फोटो सच्चाई को ज्यों का त्यों प्रस्तुत करते हैं । इसके लिए कुशल फोटोग्राफर की आवश्यकता होती है। चीनी लोकोक्ति के अनुसार, "दस हजार शब्दों वाले विस्तृत विवरणों की अपेक्षा एक आकर्षक और प्रतिभाशाली चित्र अधिक उपयुक्त होता है । "

15. महिला पत्रकारिता :- शिक्षा, विज्ञान, खेलकूद आदि में महिलाएँ आगे बढ़ रही है। आज महिलाएँ पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर कार्यरत हैं । 

16. खेल पत्रकारिता :- स्थानीय खेल से विश्व प्रतियोगिताओं तक के समाचार खेल पत्रकारिता से प्राप्त होते हैं । स्वयं मैदान में जाकर जो समाचार इकट्ठे किए जाते हैं, वे महत्त्वपूर्ण होते हैं। खेल पत्रकारिता का क्षेत्र विशाल बना है । 

17. आध्यात्मिक पत्रकारिता :- भारत देश धर्मपरायण ऋषियों और दार्शनिकों का माना जाता है । जीवन के रहस्यों को जानने का मूलमंत्र आध्यात्मिक पत्रकारिता से मिलता है ।

18. सर्वोदय पत्रकारिता :- सर्वोदय पत्रकार व्यक्तिगत राग द्वेष का त्याग करता है । महात्मा गांधी जी ने ‘मेरी जिंदगी मेरा संदेश है' में अपना पत्रकार व्यक्तित्व सामने लाया था। ‘हरिजन’, ‘नवजीवन’, ‘खादी-जगत्’, ‘ग्रामराज', 'हरिजन सेवा' आदि पत्रिकाएँ इस क्षेत्र में योगदान निभा रही हैं।

19. वृत्तान्त पत्रकारिता :- आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से लोकसभा, विधानसभा, मेला, उत्सव आदि का आँखों देखा हाल प्रसारित किया जाता है । इसके लिए आवाज की गुणवत्ता, निष्पक्षता, घटना का ज्ञान और उत्तरदायित्व बोध आवश्यक रहता है ।

20. साहित्यिक पत्रकारिता :- पत्रकारिता साहित्य संप्रेषण का उत्कृष्ट माध्यम है। साहित्यिक पत्रकारिता एक रोचक क्षेत्र है । साहित्यिक क्षेत्र की गतिविधियाँ, नए प्रकाशन, आलोचना, संक्रमण, साहित्यकारों से भेंटवार्ता, जुल्म के विरुद्ध जोखिम आदि इस पत्रकारिता में आते हैं । कवि वचन सुधा, पीयूष, प्रवाह, विशाल भारत, कादंबिनी, आदि पत्र-पत्रिकाओं ने इस क्षेत्र में विशिष्ट भूमिका निभाई है ।

21. शैक्षिक पत्रकारिता :- शैक्षिक पत्रकारिता शैक्षिक प्रवृत्तियों, शिक्षा जगत् की घटनाओं तथा शैक्षिक समस्याओं को जनसंचार माध्यम से जनता तक पहुँचाती है । 

22. हास्य-व्यंग्य पत्रकारिता :- मनुष्य के जीवन में हास्य-व्यंग्य का होना अत्यंत आवश्यक है । इसलिए भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हास्य व्यंग्य पत्रकारिता की शुरूआत 'हरिश्चंद्र चंद्रिका' से की। आज अनेक पत्र पत्रिकाओं में हास्य-व्यंग्य का स्तंभ रहता है । 'होली' पर व्यंग्य विनोद विशेषांक अधिक मात्रा में निकलते हैं।

23. ब्रेल पत्रकारिता :- अंध व्यक्तियों के लिए लुई ब्रेल ने विशेष लिपि का निर्माण किया है। ठाकुर विश्वनारायण सिंह ने भारत में ब्रेल पत्रकारिता का प्रचार-प्रसार किया । आज अनेकानेक ब्रेल पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं।

24. भित्ति पत्रकारिता :- रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया में इसका प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है । स्कूल तथा कालेजों में भित्ति पत्रक सुवाच्च अक्षरों में लिखे जाते हैं। भित्ति पत्र में स्थानीय शिकायतें, सूचना, आंदोलन आदि के विशेष समाचार होते हैं । 

25. अंतरिक्ष पत्रकारिता :- विज्ञान युग में सूचना की क्रांति आकाश स्थित ग्रहों और उपग्रहों पर आधारित है। अंतरिक्ष यान धरती की परिक्रमा लगाते हुए धरती की आँख और कान बने हुए हैं। इनकी सहायता से लेख, समाचार, फोटो, विज्ञापन, एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में तुरंत भेजने में सहायता मिलती है। संचार क्रांति के युग में अंतरिक्ष पत्रकारिता महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है ।

26. पीत पत्रकारिता :- अमेरिका के जोसेफ पुलित्जर पीत पत्रकारिता के जनक माने जाते हैं। उत्तेजनात्मक, हिंसात्मक और विस्मयकारी समाचारों को इसमें महत्ता मिलने से यह पत्रकारिता पत्रकारिता जगत् को कलंकित करती है। सस्ती लोकप्रियता इसका उद्देश्य रहा है ।

27. सांस्कृतिक पत्रकारिता :- भारतीय जनता की सांस्कृतिक, अभिरूचि, सांस्कृतिक गतिविधियाँ, परंपराएँ इन्हीं का समावेश इसमें होता है । संगीत, नृत्य, क्रीडा, रंगमंच आदि का समावेश इसमें होता है । संस्कृति को बनाए रखना और समाज में सात्विक सुधार लाना इसका उद्देश्य रहा है । विभिन्न क्षेत्रों में और प्रदेशों में स्थित परंपराएँ, प्रवृत्तियाँ, उनका सांस्कृतिक विवरण इनका लेखा-जोखा इस पत्रकारिता से प्रस्तुत किया जाता है । 

28 वीडियो पत्रकारिता :- वीडियो पत्रकारिता में सच्चाई की अधिकाधिक खबरें, एवं सनसनीखेज खबरें प्रकाशित होती हैं। फिल्म, राजनीति, खेल आदि के अंतर्गत वीडियो पत्रकारिता ने सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त की है ।

29. इंटरनेट पत्रकारिता :- ‘गूगल- न्यूज' ने एक साथ अनेक समाचार पोर्टल्स को जोडकर दुनिया की घटनाओं को कुछ ही पलों में दर्शाने का उपक्रम किया है । इंटरनेट पत्रकारिता सशक्त रूप में सामने आ रही है । अनेक समाचार पत्र अपनी इंटरनेट आवृत्तियाँ निकाल रहे हैं, जिनसे वे केवल अपने प्रदेशों में ही स्थित न रहकर पूरी दुनिया पर छाए हुए हैं ।

30. शिक्षा पत्रकारिता :- प्रत्येक राज्य का शिक्षा विभाग पत्रिकाएँ प्रकाशित करता है। ज्ञान की एक शाखा से दूसरी शाखा में मनुष्य की स्वतंत्र गतिशीलता बढ़ाने में शिक्षा पत्रकारिता महत्त्वपूर्ण योगदान निभाती है । 'नया शिक्षक और शिक्षा', ‘नई तालीम', ‘भारतीय शिक्षा’, ‘भारती’, ‘शिक्षक बंधु' आदि शिक्षा पत्रिकाएँ स्तरीय शिक्षा - पत्रिकाएँ रही हैं ।

31. पर्यावरण पत्रकारिता - पेड-पौधें, जीव जंतु, दवा-पानी, नदी पहाड़, सागर इन्हीं प्राकृतिक साधनों के साथ संतुलन रखकर पर्यावरण की रक्षा करना चाहता है । पर्यावरण पत्रकारिता का काम केवल वायु, जल, भूमि, ध्वनि आदि प्रदूषणों की जानकारी देना नहीं है, बल्कि गंभीर संकट से अवगत करके मानव को पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रेरित करना है ।

32. अपराध पत्रकारिता :- जनता भी अपराध संबंधी समाचार जानने में उत्सुक रहती है । पत्रकारिता का कर्तव्य है कि वह आपराधिक घटनाओं की छानबीन करके वास्तव रूप सामने लाए और कर्तव्य पालन की सीख समाज को दे, जिससे समाज सामाजिक मूल्यों का रक्षण कर सके ।

33. साक्षात्कार पत्रकारिता :- साक्षात्कार पत्रकारिता के लिए संवेदनशीलता, अनुभूति की गहराई, भाषा का तीखापन, शैली की सजीवता, आत्मीयता, वास्तवता की आवश्यकता होती है । आज हिंदी पत्रकारिता ने अनेक महत्त्वपूर्ण साक्षात्कार प्रकाशित किए हैं।

34. फीचर पत्रकारिता :- इसमें कल्पना जगत् की अपेक्षा घटना का शोध परक और गहराई से अध्ययन करके विस्तार के साथ उसे प्रस्तुत किया जाता है । विषय का रोचक और विस्तृत परिचय फीचर का प्रमुख तत्त्व है । लक्ष्य का स्पष्ट निर्धारण और तथ्यों का स्पष्ट संकलन फीचर में होना चाहिए । मेला, मनोरंजन, सभा, खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम, विशेष घटना आदि पर फीचर लिखे जाते हैं ।

35. कार्टून पत्रकारिता :- कार्टून मनोरंजन के साथ बहस का मुद्दा भी बनते हैं। बुद्धिजीवी, अशिक्षित, कम पढ़े लिखे लोगों को भी कार्टून आकर्षित करते हैं। शब्दों की अपेक्षा ये चित्र लोगों को सर्वाधिक प्रभावित करते हैं । आज प्राय: सभी समाचार-पत्रों में कार्टून प्रकाशित हो रहे हैं ।

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