पत्रकारिता का इतिहास

पत्रकारिता का आशय केवल शासकीय नीतियों, आदेशों और सूचनाओं को जनता तक पहुँचाना था । सम्राट अशोक के शिलालेख, समुद्रगुप्त के विजय स्तंभ आदि पर राजकीय नीति की उद्घोषणाएँ उपलब्ध हैं । अन्य राष्ट्रों में भी इसी तरह की सूचनाएँ उपलब्ध हैं । ईसापूर्व 60 में रोम में जूलियस सीजर के शासन काल में एक्टा डायना नामक पहला दैनिक बुलेटिन मिलता है। यह बुलेटिन रोम के सार्वजनिक स्थानों पर चिपकाया जाता था और उसमें सरकारी घोषणाएँ रहती थीं। ई. स. 105 में कागज का आविष्कार हुआ । 

मुद्रण कला - कागज पर लिखी हुई सामग्री अधिक सुविधा जनक बनी । ई. स. 650 में चीन में विश्व की पहली मुद्रित पुस्तक मिलती है। चीन की वांगचांग नामक लडकी ने ई. स. 1314 में मुद्रण के लिए टाइप की खोज की । ई. स. 1450 में धातु का टाइप जर्मनी में बना। इसके बाद इस कला का विकास फ्रांस, इंग्लैंड, पुर्तगाल आदि देशों में हुआ ।

1.3.2.1 विश्व का प्रथम पत्र : - ई. स. 1440 में जर्मनी के मायन्स नगर में गुटन बर्ग ने प्रेस की निर्मित की । इंग्लैंड में प्रेस का आरंभ हो जाने पर ई. स. 1561 में 'न्यूज आउट ऑफ कैण्ट' नामक ब्रिटन का पहला पत्र निकला । आगे चलकर नीदरलैण्ड से ‘न्यूजाइटुंग’, जर्मनी से ‘फ्रैक फुर्टेर जर्नल', फ्रांस से 'गजट द फ्रांस' की निर्मित हुई । विश्व का पहला समाचार पत्र जर्मनी के आसबर्ग नगर से ई. स. 1609 में प्रकाशित हुआ । अंग्रेजी का प्रथम नियमित पत्र ई. स. 1620 में एम्सरर्डम से शुरू हुआ । इंग्लैण्ड में प्रेस का स्वतंत्र अस्तित्व स्वीकृत हो जाने पर जनरूचि के परिष्कार और समाचार पत्रों के महत्त्व में विकास हुआ। इ. स. 1690 में 'पब्लिक अकरसेस बाय फारेन एण्ड डोमेस्टिक' यह अमेरिका का पहला समाचार पत्र प्रकाशित हुआ । इ. स. 1702 में अमेरिका में ‘डेली कोंट' दैनिक पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ ।

भारत में पत्रकारिता का आरंभ

पुर्तगालियों ने भारत में गोवा में प्रेस लगाया। अंग्रेजों ने बंबई (1672), मद्रास (1772) और कलकत्ते (1779) में प्रेस की शुरूआत की । ई. स. 1780 में कलकत्ता से संपादक जेम्स आगस्टक हिकी ने ‘बंगाल गजट एण्ड कैलकटा एडवर्टाइजर' पत्र अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किया । इसे 'हिक्कीज गजट' के नाम से जाना जाता है । कंपनी काल में ई. स. 1780 में पीटर रीड, इ. स. 1784 में कैलकटा गजट, इ. स. 1785 में बंगाल जर्नल, मद्रास से मद्रास कुरियर, इंडियन हेराल्ड, बंबई से बंबई हेराल्ड, बॉम्बे गजट आदि अंग्रेजी भाषा में पत्र निकलते रहे।

ई. स. 1818 में बंगला भाषा में भारतीय भाषा का प्रथम नियतकालिक जे. सी. मार्शमैन ने ‘दिग्दर्शन' प्रकाशित किया। आगे चलकर यह ‘समाचार दर्पण' नाम से बंगला और अंग्रेजी भाषा में सप्ताह में दो बार छपने लगा । इसी समय भारतीय समाज सुधारकों ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना योगदान निभाया । 

राजा राममोहन राय ने ई. स. 1816 में बंगाल गजट, इ. स. 1821 में संवाद कौमुदी, इ. स. 1825 में मिरातउल अखबार प्रकाशित किए । भारत का प्रथम समाचार पत्र 'बंगाल गजट' के संपादक गंगाधर भट्टाचार्य थे । ‘मिरातउल अखबार' की भाषा फारसी थी । राजा राममोहन राय ने ब्राह्मोसमाज की मुख्य पत्रिका के रूप में 'ब्रह्मानिकल' की शुरूआत की । लार्ड विलियम बेटिंग के काल में राजा राममोहन राय ने अंग्रेजी में 'बंगाल हेराल्ड' का प्रकाशन किया । बंगला, हिंदी और फारसी में प्रकाशित 'बंगदूत' का प्रकाशन नील रतन हलदार ने किया । त्रिभाषीय पत्र ‘बंगदूत’ बाद में अंग्रेजी में भी निकलने लगा। ‘बेंगाल हरकारू', 'जानबुल' तथा 'दि इंग्लिश मैन' का प्रकाशन द्वारकानाथ टैगोर ने किया । राजा राममोहन राय की उदारवादी तथा सुधारवादी नीतियों का व्यापक विरोध हुआ था । ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने ‘संवाद प्रभाकर' दैनिक की शुरूआत की। बंगाल की देखा देखी अन्य प्रांतों में भी पत्रकारिता का आरंभ हुआ । 

ई. स. 1830 में बंबई से 'मुंबई वर्तमान' और ‘जामे जमशेद’ ये दो गुजराती पत्र निकले । ई. स. 1832 में जेम्स प्रिंक्षेप के संपादन में 'जर्नल आफ द रायल सोसायटी आफ बैंगाल' नामक शोधोन्मुखी पत्रिका प्रारंभ हुई । इसी समय मद्रास में ‘जरनल आफ द लिटरेचर एण्ड सायन्स' का प्रकाशन हुआ ।

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