E-commerce - ई कॉमर्स क्या है?

ई-कॉमर्स, जिसे इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स भी कहते है, इंटरनेट तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से उत्पाद और सेवाएँ खरीदना - बेचना तथा ऑनलाइन मनी ट्रांसफर करना एवं डेटा शेयर करने की प्रक्रिया है। ई-कॉमर्स में फिजिकल प्रोडक्ट्स के अलावा इलेक्ट्रॉनिक गुड्स तथा सर्विसेस का व्यापार भी होता है और आसान शब्दों में कहें तो ऑनलाइन शॉपिंग करना ही ई-कॉमर्स कहलाता है । आप फिजिकल प्रोडक्ट (फर्नीचर, किचन आइटम, इंडस्ट्री मशीनरी आदि), डिजिटल गुड्स (E-Books, E-Magazines, E-Paper, Video Course, Graphic, Painting आदि) एवं सेवाएँ (कंसल्टेंसी, टीचिंग, राइटिंग, हेल्थ एडवाइस, लीगल एडवाइस आदि) ऑनलाइन खरीद-बेच सकते है। Amazon, Flipkart, Walmart, BigBasket, Alibaba, Paytm Mall, Myntra, Snapdeal, ShopClues आदि ई-कॉमर्स खिलाड़ियों (ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस) ने ऑनलाइन शॉपिंग को व्यापक स्तर पर पहुँचा दिया है और अपने ग्राहकों तक आसान पहुँच सुनिश्चित भी की है। इससे ग्राहकों के साथ-साथ व्यापारियों को भी लाभ हुआ है।

ई-कॉमर्स वेबसाइट तथा मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए किया जाता है जिसमें पेमेंट गेटवे, SSL Certificates, Inventories, Taxes, Encrypting Technologies आदि इंटीग्रेटेड की जाती हैं ताकि शॉपिंग के दौरान ग्राहक के साथ कोई धोखाधड़ी ना हो पाए और उसे सारी सुविधाएँ एक ही जगह पर उपलब्ध कराई जा सके। सोशल मीडिया Platforms, Online Chatting, Calling आदि इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भी ई-बिजनेस किया जा रहा है।

ई-कॉमर्स का इतिहास

11, अगस्त 1994 को 'फिल ब्रेंडनबर्जर' ने अपना कम्प्यूटर शुरु किया और Net Market (एक ऑनलाइन स्टोर) से स्टिंग (Sting) की सीडी को $12.48 में खरीदा जिसका भुगतान क्रेडिट कार्ड से किया गया। इस सीडी का नाम 'Ten Summoners' Tales” था। इस घटना ने इतिहास रचा था और आज भी इसे ही असल ई-कॉमर्स ट्राजेंक्शन माना जाता है। क्योंकि इस ऑनलाइन ट्राजेक्शन के दौरान पहली बार Encryption Technology का उपयोग ऑनलाइन शॉपिंग मे हुआ था जो आज आम बात हो गई है। ई-कॉमर्स का जन्म भी इंटरनेट के समय ही हो गया था क्योंकि यूनिवर्सिटीज, शिक्षण संस्थान, शोधार्थी, वैज्ञानिक अपने रिसर्च पेपर तथा शिक्षण सामग्री का आदान–प्रदान करने लगे थे। 1960 के दौरान बिजनेसेस ने अन्य कंपनियों के साथ अपने बिजनेस डॉक्यूमेंट Electronic Data Interchange (EDI) का उपयोग करते हुए शेयर करने शुरु कर दिए। फिर 1979 में American National Standard Institute ने बिजनेस डॉक्यूमेंट शेयर करने के लिए सार्वभौमिक मानक तैयार किए जिन्हें ASC X12 के नाम से जाना जाता है। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों जैसे इबे, अमेजन आदि का जन्म होना शुरु हुआ और ई-कॉमर्स क्रांति की शुरुआत हो गई ।

ई-कॉमर्स के प्रकार

ई-कॉमर्स मुख्य रूप से सात मॉडल ऑफ ई-कॉमर्स से संचालित होता है। जिनका वर्णन इस प्रकार है-

Business to Business Model

जब ऑनलाइन बिजनेस दो से अधिक बिजनेस कंपनियों, संस्थानों, एजेंसियों के बीच किया जाता है तो यह Business to Business Model (B2B) कहलाता है। क्योंकि इस प्रोसेस में अंतिम उपभोक्ता आप या हम नहीं होते है बल्कि, एक दूसरा व्यापार ही होता है जो दूसरे व्यापार से अपनी जरूरत का सामान ऑनलाइन खरीदता है। इस बिजनेस मॉडल में उत्पादक, थोक व्यापारी और खुदरा व्यापारी शामिल होते है। यहाँ पर व्यापारी अधिकतर कच्चा सामान, रिपैकिंग होने वाला सामान खरीदते है और सेवाओं के रूप में सॉफ्टवेयर तथा कानूनी सलाह शामिल होती है। 

Business to Consumer Model

ई-कॉमर्स का सबसे प्रचलित रुप B2C है। जब उपभोक्ता प्रकाशक से अपने लिए कोई किताब ऑर्डर करते है तो यह शॉपिंग इसी बिजनेस मॉडल में शामिल होती है, क्योंकि यहाँ पर ट्रांजेक्शन सीधा बिजनेस से उपभोक्ता के बीच होता है।

Consumer to Consumer Model 

यह मॉडल शुरुआत का बिजनेस मॉडल है। इस ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल में एक ग्राहक दूसरे ग्राहक से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करता है। ईबे, अमेजन पर कुछ इसी तरह का मॉडल देखने को मिलता है जहाँ पर एक ग्राहक अपना पुराना सामान तथा नया सामान भी सीधे ग्राहक को बेचता है । 

Consumer to Business Model

जब एक ग्राहक अपना सामान अथवा सेवाएँ सीधे एक बिजनेस को बेचता है तो यह ई–कॉमर्स मॉडल C2B कहलाता है । एक फोटोग्राफर, गायक, कॉमेडियन, नृतक, यूट्यूबर आदि अपने दर्शकों के हिसाब से बिजनेस से उत्पाद प्रचार के शुल्क लें सकते है और अपनी कुछ सेवाएँ रॉयल्टी के आधार पर भी उपलब्ध करवा सकते है। ये सभी कार्य Consumer to Business Model के अंतर्गत आते हैं। पेशेवर उपभोक्ता इस बिजनेस मॉडल से खूब पैसा कमाते है

Business to Government Model

जब सरकारें अपनी जरूरत का कुछ सामान अथवा सेवाएँ बिजनेस से ऑनलाइन खरीदती है तो इसे B2G ई-कॉमर्स मॉडल कहा जाता है। उदाहरण, किसी लोकल सरकारी एजेंसी को अपने अधिकार क्षेत्र में CCTV Cameras लगवाने है तो वह इसके लिए किसी कैमरा स्टोर से कैमरा खरीदती है और उन्हें लगवाने का ठेका भी किसी बिजनेस को दे सकती हैं । यह सब कार्य इसी मॉडल में आते हैं। भारत देश में इसका सबसे अच्छा उदाहरण बाबा रामदेव का लोकप्रिय स्वदेशी पतंजली ब्रांड (निजी व्यापार) है जो अपने उत्पाद भारतीय सेना (सरकारी संस्था) को बेच रहा है। यह बिजनेस मॉडल B2G के अंतर्गत ही है ।

Consumer to Government Model

ई-गवर्नेस सेवा यहाँ भी लागू होती हैं क्योंकि एक आम नागरिक को भी बहुत सारा सरकारी कामकाज रहता है जिसके लिए उसे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं मगर जब सरकारी सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध हो जाती हैं तो ग्राहक सीधा वेबसाइट या ऐप्प के माध्यम से इन सेवाओं का लाभ ले सकता है। ई-मित्र सेवा, उमंग, ई–फाइलिंग, डिजिलॉकर, फास्टैग आदि इसी मॉडल के उदाहरण हैं ।

ई-कॉमर्स के लाभ

ई-कॉमर्स का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उपभोक्ता को सामान खरीदने के लिए दुकान या स्टोर तक नहीं जाना पड़ता है बल्कि सामान खुद उपभोक्ता तक आ जाता है। बस ऑर्डर कीजिए और भुगतान करके डिलीवरी एड्रेस चुनना होता है और हो गई खरीददारी लेकिन इसके अलावा भी बहुत सारे अन्य लाभ हैं जिनका विवरण इस प्रकार है—

1. विश्वव्यापी (Global Reach ) ई - कॉमर्स की सहायता से पूरी दुनिया में पहुँच बनाई जा सकती है। विक्रेताओं के लिए नये ग्राहक ढूँढने की जरूरत नहीं रहती है क्योंकि पूरी दुनिया ग्राहक बनने के लिए तैयार है और ग्राहक के लिए दुनिया भर के स्टोर सामान बेचने के लिए उपलब्ध रहते हैं । उपभोक्ता अपनी पसंद का कुछ भी सामान आराम से देखकर और जानकारी प्राप्त करके खरीद सकता है। 

2. सस्ता (Cheap Rate) ई-कॉमर्स का संचालन एक किराना की दुकान के बराबर भी नहीं होता है यदि आप ऑनलाइन खुद का स्टोर फ्रंट बनाते है। आप बिना एक रुपया खर्च करें ऑनलाइन दुकान शुरु कर सकते हैं इसलिए ग्राहकों को ज्यादा सस्ता प्रोडक्ट उपलब्ध हो जाता है क्योंकि कंपनियों को बिचौलियों का सहारा नहीं लेना पड़ता है। इनकी लागत का सीधा असर प्रोडक्ट की लागत पर होता है, चूंकि इनकी जरूरत खत्म सी हो जाती है इसलिए प्रोडक्ट की वास्तविक कीमत कम हो जाती है और ग्राहकों को सामान खरीदने के लिए दुकान पर भी नहीं जाना पड़ता है तो किराया और पेट्रोल-डीजल के व्यय में भी कमी आती है ।

3. आसान शॉपिंग (Easy Shopping) ऑनलाइन सामान खरीदना आसान होता है। उपभोक्ताओं ने खुद माना है कि उन्हें दुकान से सामान खरीदने की बजाय सिफारिशें करता है और ग्राहक के पसंद नापसंद के हिसाब से प्रोडक्ट्स सुझाता है। यह सुविधा एक फिजिकल स्टोर पर नहीं मिलती।

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