ऐतिहासिक बुरहानपुर नगर शेख बुरहानुद्दीन के नाम पर स्थापित है। नगर ताप्ती नदी के उत्तरी तट पर स्थित है। जिले में सबसे बड़ा यह नगर, मध्य रेल्वे की दिल्ली मुख्य लाईन पर मुंबई से 504 कि.मी. और पूर्व निमाड़ के पूर्व जिला मुख्यालय खण्डवा से लगभग 68.8 कि.मी. दूर दक्षिण में स्थित है। कहा जाता है कि यह नगर खानदेश फारूकी राजवंश के नासिर खान फारूकी द्वारा ईसवी सन् 1400 में बसाना या बसानखेड़ा के पुराने नगर के स्थान पर बसाया गया था। यह बाद के सभी फारूकी राजाओं का सामान्य निवास स्थान था जिन्होंने बुरहानपुर को अपनी राजधानी बना लिया था । इस तरह यह नगर लगभग दो सौ वर्षो तक राजधानी बना रहा। अकबर ने ई.स. 1600 में खानदेश को अपने राज्य में अंतिम रूप से मिला लिया। इस काल में बुरहानपुर की यह फारूकी राजधानी दक्षिण अहमदनगर, मालवा और गुजरात के प्रतिद्वंदी मुस्लिम शासकों द्वारा लगातर लूटी जाती रही। कहा जाता है कि फारूकी राजा आदिल खान, प्रथम ने बहुत से सुन्दर महलों तथा बुरहानपुर में एक किले का (बादशाही किला) निर्माण करवाया था उनमें से कुछ के ही अवशेष उपलब्ध हैं। ये संरक्षित स्मारक । नगर के निकट का ईदगाह भी आदिलखान प्रथम के द्वारा बनाया गया। कहा जाता है इसी के शासन काल में बुरहानपुर तथा सम्पूर्ण राज्य ने वैभव का वह स्तर प्राप्त किया जो उन्हें पहले के किन्हीं भी शासकों के काल में देखने को नहीं मिला था। सन् 2003 से इस शहर को जिला मुख्यालय बनाया गया जो पूर्व में पूर्वी निमाड़ जिले की तहसील रूप में था। जिले का क्षेत्रफल 2472 वर्ग कि.मी है।
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