इब्नबतूता कौन था वह किस काल में भारत आया था? Ibn battuta kaun tha

इब्नबतूता का जन्म 24 फरवरी, सन् 1304 ई0 को अफ्रीका के तंजा नाम के स्थान पर हुआ था । 1333 ई0 में वह भारत की सैर करने के लिए आया । जब वह मुहम्मद तुगलक के दरबार में पहुँचा तो सुल्तान उससे बहुत प्रसन्न हुआ । अतः उसने इब्नबतूता को 9 जून, 1334 ई0 को दिल्ली का काजी बना दिया ।

इब्नबतूता बचपन से ही रहस्यमय देशों की यात्रा के स्वप्न देखा करता था । 21 वर्ष की अवस्था में 14 जून 1325 ई० को उसने अपनी यात्रा प्रारम्भ की । उसने हिन्दू समाज का अध्ययन किया था । अपनी यात्रा का विवरण उसने " रेहला” नामक पुस्तक में लिखा था । वह यहाँ के योगियों से बहुत प्रभावित था । ये योगी कई महीनों तक कुछ नहीं खाते थे तथा जमीन में रहते थे । ये मन चाहा रूप धारण कर लेते थे । इब्नबतूता ने एक योगी को शेर का रूप धारण किए हुए देखा था । ये योगी समाधि में रहते समय अपने द्वारा बनाई गई एक विशेष प्रकार की गोली खाते थे । उसने सती प्रथा का आँखों देखा वर्णन किया है । उसने डायनों का उल्लेख किया है । ये जवान विधवाएँ होती थीं। इन्हें घृणा की दृष्टि से देखा जाता था । उसने यहाँ एक ऐसे राज्य का उल्लेख किया है जहाँ केवल महिलाओं का राज्य था । इससे पूर्व यूनानी लेखकों ने भी पंजाब के संगल राज्य में स्त्रियों के राज्य का उल्लेख किया है ।

इब्नबतूता 22 जून, 1342 ई० को दिल्ली छोड़ कर ग्वालियर की ओर चला । मार्ग में डाकुओं ने उस पर आक्रमण किया । उन्होंने उसका घोड़ा तथा हथियार छीन लिए । ग्वालियर के सूबेदार अहमद बिन शेर खाँ ने उसका काफी स्वागत किया तथा उनको चार सुन्दर लड़कियाँ भेंट की । उस समय ग्वालियर में आम सड़कों पर अपराधियों को फाँसी दी जाती थी । जब तक इब्नबतूता ग्वालियर रहा सूली की सजा बन्द रही ।'

प्रत्येक व्यक्ति के समान इब्नबतूता की भी बौद्धिक सीमाएँ हैं । वह कभी- कभी सन्तों के चमत्कारों पर सच्चे बर्बर के समान विश्वास करने के लिए उद्यत हो उठता है । चूँकि उसने अपनी लम्बी यात्राओं का कोई अभिलेख नहीं रखा था उसने भारतीय राजनैतिक जीवन के मोटे तथ्यों का कोई क्रमबद्ध अध्ययन नहीं किया, वह कभी-कभी अनेक गलतियाँ कर बैठता था और तथ्यों का मनोरंजक रूप से त्रुटिपूर्ण वर्णन कर देता था । 

Post a Comment

Previous Post Next Post