मुसलमान किसे कहते हैं मुसलमान कितने प्रकार के होते हैं?

अल्लाह और उसके पैगम्बर हज़रत मुहम्मद साहब पर विश्वास करने वाले 'मुसलमान' कहलाते है। उनका धर्म है 'ईमान' । इस्लाम के पाँच स्तम्भ हैं:- ईमान, नमाज़, रोजा, जकात और हज़। मक्का-मदीना के अलावा ख्वाजा की दरगाह दिल्ली की जामा मस्जिद, लखनऊ का इमामबाड़ा आदि पवित्र माने जाते हैं। मुस्लिम समुदाय के यहाँ अल्लाह का नाम जपा जाता है।

मुस्लिम समुदाय की स्थापना 'इस्लाम धर्म के प्रमुख सिद्धान्तों पर आधारित है। 'कुरान शरीफ' मुसलमानों का धर्म-ग्रन्थ है उसमें मुस्लिम समुदाय को नियंत्रित तथा संगठित करने के लिए विभिन्न नीतियों का उल्लेख किया गया है। मुस्लिम समुदाय के ऊपर हिन्दू समुदाय का व्यापक असर पड़ा है। यह मुस्लिम समुदाय की विशेषता रही है कि समय और स्थान के साथ-साथ इसने अपने में मूलभूत संशोधन किया है।

मुस्लिम समुदाय वह संगठन है, जिसमें एक पति उसकी पत्नी तथा बच्चे परिवार इस्लाम धर्म को मानने वाले सम्मिलित किये जाते है। समुदाय का स्वरूप इस्लामिक—सत्तात्मक होता है । समुदाय के सभी सदस्य साधारणतया एक परिवार के रूप में संगठित रहकर साथ-साथ खाना खाते तथा एक ही देवता "अल्लाह" की उपासना करते हैं ।

मुस्लिम समुदाय के लोगों के परिवार का आकार साधारणतया बड़ा होता है क्योंकि एक पति चार पत्नियों तक को रख सकता है। ऐसी स्थिति में उत्पन्न सन्तानों की संख्या साधारणतया अधिक होती है। परिवार के सभी सदस्य माता, पिता, पुत्र, पुत्री तथा अन्य मिलकर परिवार की संख्या का विस्तार करते हैं । इस विस्तारित स्वरूप से इनका समुदाय भी विस्तारित होता है । समुदाय के सभी सदस्य एक अल्लाह में विश्वास रखते हैं | हज़रत मुहम्मद साहब द्वारा दिये गये उपदेशों का पालन सभी निष्ठा और लगन के साथ करते हैं। कुरान में व्यवहारिक जीवन के लिए विविध विधान बताये गये हैं उसी के अनुरूप सभी आचरण करते हैं। कुरान का मत है कि जो लोग अल्लाह के संदेश में विश्वास नहीं करते वे दण्ड़ के भागी होते हैं। 

मुस्लिम समुदाय की स्त्रियों में पर्दा प्रथा का विशेष चलन है। "स्थान परिवर्तन तथा आने-जाने में पर्दे के प्रयोग से सुन्दर स्त्रियों को सुरक्षा मिलती है।" मुस्लिम समुदाय बहुपत्नी विवाह को मान्यता प्रदान करता है । इस्लाम में बहुपत्नीत्व को स्वीकार किया गया है तथा एक पुरुष को एक समय में चार पत्नियां रखने की छूट दी गई है।

मुस्लिम समुदाय में संस्कारों की प्रधानता है। एक मुस्लिम व्यक्ति समाज में रहते हुए अनेक धार्मिक एवं सामाजिक संस्कारों सातवाँ, अकीका, चिल्ला, विसमिल्ला, खतना, निकाह, मैयत को पूरा करता है।

मुस्लिम विवाह एक संविदा है। विवाह के मुख्य उद्देश्य गृहस्थी बसाना एवं यौन इच्छाओं की पूर्ति सन्तानोत्पादन आदि प्रायः सभी समाजों में समान उद्देश्य हैं।

पैगम्बर मुहम्मद की मृत्यु के बाद उनके अनुयायी मुख्य रूप से दो भागों में बँट गये। एक खेमें का मत था कि मुहम्मद के बाद उनका उत्तराधिकारी उनके निकट सम्बन्धी को बनाना चाहिए । इसलिए उन्होंने मुहम्मद साहब के दामाद 'अली' को खलीफा बनाये जाने का समर्थन किया बाद में अली के उन्हीं समर्थकों को ‘शिया' कहा जाने लगा। इस मत के लोगों का कहना है कि मुहम्मद साहब ने अली को अल्लाह की कुछ ऐसी बातें बतायीं थीं जो 'कुरान' में नहीं हैं

दूसरे खेमें में वे लोग थे जो मानते थे कि पैगम्बर मुहम्मद को अल्लाह जो 'इलहाम' के समय जिन दैनिक बातों का पता लगा 'कुरान' में वे सभी बातें हैं, उनके निकटतम मित्रों को ही उनका उत्तराधिकारी बनना चाहिए। दूसरे शब्दों में जो लोग अली को खलीफा बनाने के विरोधी थे, वे बाद में सुन्नी कहे गये।

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