राजी सेठ का व्यक्तित्व एवं कृतित्व

राजी सेठ का व्यक्तित्व एवं कृतित्व

राजी सेठ का जन्म 4 अक्तूबर 1935 को नौशेहरा छावनी (उत्तर पश्चिम सीमांत प्रदेश) में हुआ। 1942 तक पिता के साथ रहने के उपरांत लाहौर में आकर रहने लगी। परंतु वतन से अलग होने के कारण अपने देश से दूर होने का दर्द उन्हें सहना पड़ा। जो दंगे-फसाद, कोलाहल, सारी चीजों को अपनी आंखो के सामने उन्होंने देखा । देश–विभाजन का दर्द सबकुछ सीने में दबाकर संपूर्ण परिवार के साथ उत्तरप्रदेश शाहजहाँपुर नामक शहर में आकर बसना पड़ा। अपना बचपन उन्होंने केवल देश-विभाजन में ही भोगा है।

राजी सेठ जी की प्रारंभिक शिक्षा लाहौर में हुई देश विभाजन के उपरांत जब वे शाहजहाँपुर आकर रहने लगी और उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई उन्होंने राष्ट्रीय विद्यालय से बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई की और शहर में आगे की पढ़ाई करने को कोई व्यवस्था नहीं थी । कहने का तात्पर्य यह है कि लड़के-लड़कियों की पढ़ाई की अलग-अलग व्यवस्था थी । इस कारण उन्हें आगे की परीक्षा पूर्ण करने के लिए लखनऊ जाना पड़ा। वहां उन्होंने अंग्रेजी तथा दर्शनशास्त्र विषय को लेकर उन्होंने एम.ए पूर्ण करना चाहा । परंतु यह इच्छा पूर्ण न हो सकी और पारिवारिक कुछ समस्या के कारण उन्हें आगे की कोई पढ़ाई छोड़नी पड़ी। परंतु पढ़ने की इच्छाओं को उन्होंने दफन नहीं होने दिया और विवाह के उपरांत पद्रह वर्ष के बाद एम.ए में पुनः दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई को उन्होंने 'गुजरात विश्वविद्यालय' से 'तुलनात्मक धर्म और भारतीय दर्शन' को लेकर अहमदाबाद में अध्ययन पूर्ण की। आगे राजी सेठ पी.एच.डी करना चाहती थी परंतु फिर कुछ कारणों के वजह से वह अपना पी. एच. डी पूर्ण नहीं कर पाई।

राजी सेठ जी का बचपन अपने परिवार के साथ देश - विभाजन के दर्द को झेलते ही गया। परंतु इनके पिताजी काफी स्वाभिमानी, देशभक्त, आदर्शवादी एवम् स्वयम् चितक । राजी सेठ के पिता का नाम देशराज त्रेहन था वे लड़का और लड़की दोनों को एक समान मानते थे। राजी जी को दो भाई थे कृष्णलाल, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे। छोटे भाई यशपाल और उनकी पत्नी ऊषा है । राजी सेठ की दो बहने भी है राज खोसला, दूसरी बहन डॉ. कमलेश सिंह । इनका परिवार काफी संकट की परिस्थितियों से गुजरा है

माता पढ़ी-लिखी नहीं थी, परंतु अनुशासन प्रिय थी। राजी जी के पिता यह चाहते थे कि बच्चे वयस्क हो जाए तो यह जरुरी है कि वे अपने बड़ो के प्रति सम्मान उनके हृदय में जरुर हो। इसके बाद जैसे-जैसे राजी सेठ वयस्क हुई उनका विवाह 1956 में उत्तर प्रदेश के एक जमीदार घराने में संपन्न हुआ जो पुश्तो से शाहजहाँपुर में बसा था । ससुर एडवोकेट थे और उनके विवाह पूर्ण ही उनके ससुर की मृत्यु हो गई है।

पति उच्च शिक्षा प्राप्त कर, भारतीय राजस्व सेवा में पदाधिकारी रहे। पति के टांसफर के दौरान 16 वर्ष तक गुजरात में रही । राजीजी के ससुर का नाम नवलकिशोर सेठ और सास का नाम रामदुलारी राजीजी के गुणों से वे काफी प्रभावित थी। उनमें काफी प्रेम का रिश्ता था । जेठ भी थे जो अब नहीं रहे और तीन ननद भी थी जिसमें से लक्ष्मी आनंद की मृत्यु हो गई थी। इनकी पुत्र- वधू अमेरिका में रहती हैं और बेटा राहुल तथा बहू उज्ज्वला सेठ । इस समय उनका निवासस्थान दिल्ली में है ।

राजी सेठ का व्यक्तित्व

राजी सेठ के व्यक्तित्व निर्माण में उनके माता-पिता, भाई, बहन, साहित्यकार तथा उनके गुरु का सहयोग काफी है यह वह मानती है । राजी सेठ का ऊँचा कद, रंग गोरा, तेज, आँखे, आँखों में बड़े फ्रेम का चश्मा और माथे पर बड़ी बिन्दी उनके चित्र को दर्शाती है। उनकी मुस्कान में एक आशा की पहचान है। उन्हें सीधा-साधा रहन - सहन काफी पसंद है वे चाकाचौंध से अपने को दूर रखना चाहती थी। उन्हें अपने देश के प्रति काफी लगाव था। उनके अंदर स्वाभिमान कूट-कूटकर भरा था बिलकुल अपने पिता की तरह किसी पर अन्याय हो रहा हो वह उनसे बर्दाश नहीं होता था। हमेशा उन्हें चाहे वह पति हो या पिता हमेशा उन्हें एक शहर से दूसरे शहर में भ्रमण करना पड़ता था। इसी कारण इनकी कहानियों में इन शहरों का जिक्र ज्यादा देखने को मिलता है।

साहित्यिक रूचि बनते ही राजी सेठ ने जिन रचनाकारों को अधिक पढ़ा सराहा है, उनमें शरतचंद्र, गुरुवर टैगोर, जयशंकर प्रसाद और 'अज्ञेय' का नाम अग्रणीय है। इन रचनाओं को वे बार-बार पढ़ा करती थी उनके मस्तिष्क में ये रचनाकार हमेशा रहा करते है। परिणाम राजी जी का लेखकीय व्यक्तित्व प्रसाद जी के साहित्यिक प्रभाव से काफी प्रभावित रहा है। उनकी आधुनिक विचार राजी जी को काफी आकर्षित करते रहे है।

राजी सेठ का कृतित्व

उपन्यास
1) तत्सम
2) निष्कवच
कहानी
1) अंधे मोड़ से आगे
2) तीसरी हथेली
3) यात्रा-मुक्त दूसर देश काल में
4) यह कहानी नहीं
5) सदियों से
6) किसका इतिहास, गमें हयात ने मारा
7) खाली लिफाफा
8) मार्था का देश
9) यही तक
10) उसका आकाश
11) तुम भी
12) बाहरी लोग
पुरस्कार
1) अनंत गोपाल शेवडे हिंदी कथा पुरस्कार
2) भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार
3) कथा साहित्य रचना पुरस्कार
4) हिंदी निदेशालय द्वारा हिंदी वर भाषी लेखकीय
5) टेगोर लिटरेचर आवार्ड
सम्मान
1) हिंदी अकादमी सम्मान
2) वाग्मीठा सम्मान
3) हिंदी प्रतिनिधधि सम्मान
4) संसद साहित्य परिषद सम्मान
5) अक्षरम साहित्य सम्मान

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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