जीवन बीमा की परिभाषा इंडियन स्टैम्प एक्ट की धारा 98 (1) के अनुसार

जीवन बीमा की परिभाषा

इंडियन स्टैम्प एक्ट की धारा 98 (1) में जीवन बीमा की परिभाषा इस प्रकार दी गई है:- "जीवन बीमा पॉलिसी का तात्पर्य किसी जीव या जीवों या किसी घटना या आकस्मिकता जिसका सम्बंध किसी जीव या जीवों से या के ऊपर निर्भरता से है, पर आधारित बीमा पॉलिसी से है सिवाय उन पॉलिसीयों को छोडकर जो किसी व्यक्ति की मृत्यु केवल दुर्घटना या हिंसा या प्राकृतिक कारणों के अलावा किसी अन्य कारणों से होने पर भुगतान के लिये सहमत हुई है” बीमा अधिनियम 1938 की धारा 2 ( 11 ) में जीवन बीमा व्यवसाय को परिभाषित किया गया है "जीवन बीमा व्यवसाय" से तात्पर्य मानव जीवन से सम्बधित संविदायें करने के व्यापार से है जिसमें ऐसी कोई संविदा जिसके द्वारा मृत्यु होने पर (केवल दुर्घटना से हुई मृत्यु छोडकर) या मानव जीवन पर आधारित किसी आकस्मिकता के घटित होने पर धन के भुगतान की गारण्टी दी जाती है और ऐसी कोई संविदा जो कि मानव जीवन पर आधारित एक अवधि के लिये प्रीमियम का भुगतान किये जाने के अध्यधीन है, सम्मिलित है और निम्नलिखित को सम्मिलित किया गया समझा जायेगाः–

→ यदि बीमा संविदा में इस प्रकार का अनुबंध हो तो अपंगता लाभ और दुर्घटनाहित लाभ के रूप में दुगनी या तिगुनी क्षतिपूर्ति प्रदान करना

→ मानव जीवन पर वार्षिकी प्रदान करना

→ ऐसे व्यक्ति जो किसी विशेष व्यवसाय व्यापार या नौकरी में हो या रह चुके हों या इस प्रकार के व्यक्तियों के आश्रित हो के पोषण व राहत के लिये विशेष तौर पर गठित किसी कोष में से देय अधिवार्षिकी भत्ता एवं वार्षिकी का भुगतान करना ।

बीमाधारक एवं बीमाकर्ता

भारत में बीमा व्यवसाय से सम्बन्धित विधि को समेकित करने तथा संशोधित करने हेतु सर्वप्रथम बीमा अधिनियम 1938 अधिनियमित किया गया जिसके द्वारा बीमा व्यवसाय शासित होता है। इस अधिनियम से पूर्व बीमा व्यवसाय संविदा विधि, कॉमन लॉ एवं अनेक अन्य अधिनियमों के अध्यधीन विनियमित होता था और बीमा के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित विवाद इन्हीं विधियों के अन्तर्गत निस्तारित किये जाते थे।

बीमा अधिनियम 1938 के अन्तर्गत बीमा से संबन्धित पक्षकार

बीमाकर्ता एवं बीमाधारक को तो परिभाषित किया गया है परंतु बीमा शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। बीमा शब्द को परिभाषित करना सम्भव ही नहीं है क्योंकि इसका अर्थ बीमा से प्राप्त होने वाले उद्देश्यों से लगाया जा सकता है न की किसी औपचारिक परिभाषा से । यह शब्द वास्तव में व्यावसायिक शब्द है विधि का नहीं

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